15 जुलाई का इतिहास : इस दिन के इतिहास में महत्वपूर्ण व्यक्तियों के जन्म, निधन और प्रमुख घटनाओं पर एक नजर
15 जुलाई का दिन इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं और प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्म और निधन के लिए जाना जाता है। इस दिन विल्फ्रेडो पेरेटो, एमेलिन पंकहर्स्ट, वाल्टर बेंजामिन, दुर्गाबाई देशमुख, अख्तर हमीद खान और कई अन्य प्रमुख व्यक्तियों का जन्म हुआ था। इसी दिन बाल गंधर्व और बानो जहाँगीर कोयाजी जैसे महान व्यक्तियों का निधन भी हुआ था। इसके अलावा, कई ऐतिहासिक घटनाएँ जैसे रॉयल सोसाइटी की स्थापना, बोइंग कंपनी की स्थापना, और भारतीय रुपये का प्रतीक प्रकाशित होना भी 15 जुलाई को हुई थीं।

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15 जुलाई को कई प्रसिद्ध व्यक्तियों का जन्म हुआ है इनमें से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार है:
1848: विल्फ्रेडो पेरेटो, इतालवी अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री।
1858: एमेलिन पंकहर्स्ट, ब्रिटिश पत्रकार।
1892: वाल्टर बेंजामिन, जर्मन दार्शनिक।
1909: दुर्गाबाई देशमुख, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी।
1914: अख्तर हमीद खान, पाकिस्तानी अर्थशास्त्री।
1921: रॉबर्ट ब्रूस मेरिफील्ड, अमेरिकी जैव रसायनज्ञ, नोबेल पुरस्कार विजेता।
1922: लियोन एम. लेडरमैन, अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ, नोबेल पुरस्कार विजेता।
1925: क्लाउड सरकार, भारतीय अभिनेता।
1930: जैक्स डेरिडा, अल्जीरियाई-फ्रांसीसी दार्शनिक।
1933: एम. टी. वासुदेव नायर, भारतीय लेखक।
1940: के. कामराज, भारतीय पत्रकार और राजनीतिज्ञ।
1946: हसनल बोल्किया, ब्रुनेई के सुल्तान।
1949: कार्ल बेट्स, स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री।
1955: मारियो केम्प्स, अर्जेंटीना के फुटबॉल खिलाड़ी।
1956: अशोक सेन, भारतीय भौतिक विज्ञानी।
1975: राम श्री मुगली, भारतीय कवि।
1977: प्रभाष जोशी, भारतीय पत्रकार।
1981: बर्ट्राम ब्रॉकहाउस, कनाडाई भौतिक विज्ञानी, नोबेल पुरस्कार विजेता।
1990: जॉसलिन बेल बर्नेल, उत्तरी आयरिश खगोलशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता।
1992: फॉरेस्ट व्हिटेकर, अमेरिकी अभिनेता।
1992: हीथ स्लेटर, अमेरिकी पहलवान।
1996: डायने क्रूगर, जर्मन अभिनेत्री।
15 जुलाई को कई प्रसिद्ध व्यक्तियों का निधन हुआ है इनमें से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार है:
1991: बाल गंधर्व, मराठी रंगमंच के महान नायक और प्रसिद्ध गायक।
2004: बानो जहाँगीर कोयाजी, भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक और परिवार नियोजन विशेषज्ञ।
15 जुलाई को कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी हैं इनमें से कुछ प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित है:
1662: इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय ने लंदन में रॉयल सोसाइटी की स्थापना की।
175 मिलियन: 'मार्सिलेस' फ्रांस का राष्ट्रगान बना।
1910: एमिल क्रेप्लिन ने अलोइस अल्जाइमर के नाम पर अल्जाइमर रोग का नाम रखा।
1916: हवाई जहाज कंपनी बोइंग की स्थापना हुई।
1927: वियना नरसंहार - ऑस्ट्रियाई पुलिस ने मृतकों को मार डाला।
1932: अमेरिका के 15वें राष्ट्रपति हूवर ने अपने वेतन में 15 प्रतिशत की कटौती की।
1933: इतालवी संसद ने नया संविधान स्वीकार किया।
1948: अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन को दूसरे कार्यकाल के लिए नामित किया गया।
1990: अमेरिका के लॉस एंजिल्स में पहला बौद्ध मंदिर बना।
1990: पंजाब में सिख समुदाय के अशांत हो जाने के बाद पंजाब को आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया।
1991: अमेरिकी सेना उत्तरी इराक में पहुंची।
1999: चीन ने न्यूट्रॉन बम की क्षमता हासिल करने की घोषणा की।
2000: सिएरा लियोन में सैन्य अभियान में बंधक बनाए गए सभी भारतीय सैनिकों को रिहा कर दिया गया।
2002: पाकिस्तानी अदालत ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे उमर शेख को मौत की सजा सुनाई।
2004: नेपाल के प्रधानमंत्री ने माओवादियों से बातचीत में विदेश नीति स्वीकार की। श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय ने सुनामी राहत सामग्री के वितरण पर सरकार-एलटीटीई समझौते को रद्द कर दिया।
2008: नेपाल में दो प्रमुख वामपंथी दलों ने देश के पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और नई सरकार के गठन पर सहमति व्यक्त की।
2010: भारत सरकार द्वारा भारतीय रुपये का प्रतीक (₹) प्रकाशित किया गया।
2012: नेपाल के पारसी में बस दुर्घटना में 39 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गयी।
बाल गंधर्व, जिन्हें नारायण श्रीपाद राजहंस के नाम से भी जाना जाता है, मराठी रंगमंच के एक महान नायक और अत्यधिक प्रसिद्ध गायक थे। उन्होंने भारतीय संगीत और नाट्य जगत में अपनी गहरी छाप छोड़ी। उनका जीवन, कला, और योगदान मराठी थिएटर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। आइए, उनके जीवन और करियर के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1. प्रारंभिक जीवन:
- जन्म और परिवार: बाल गंधर्व का जन्म 26 जून 1888 को पुणे के पास नागठाणे में हुआ था। उनका वास्तविक नाम नारायण श्रीपाद राजहंस था। उनके पिता का नाम श्रीपाद राजहंस था, जो एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे।
- संगीत में रुचि: बाल गंधर्व को बचपन से ही संगीत और गायन में रुचि थी। उन्होंने अपने शुरुआती वर्षों में ही संगीत की बारीकियों को समझा और उसमें महारत हासिल करना शुरू किया।
2. नाट्य जीवन का प्रारंभ:
- थिएटर में प्रवेश: बाल गंधर्व ने अपने थिएटर करियर की शुरुआत किशोर अवस्था में की। उस समय मराठी रंगमंच में महिला पात्रों की भूमिका पुरुष निभाते थे, और बाल गंधर्व ने इस परंपरा में अपनी कला को प्रदर्शित किया। उन्होंने महिला पात्रों के रोल इतनी कुशलता से निभाए कि वे जल्दी ही प्रसिद्ध हो गए।
- गंधर्व उपाधि: उन्हें "बाल गंधर्व" का उपनाम तब मिला जब महान संगीतकार भास्करबुआ बखले ने उनके गायन और अभिनय की प्रशंसा की और उन्हें "गंधर्व" (जिसका अर्थ है स्वर्गीय गायक) की उपाधि दी। इसके बाद वे बाल गंधर्व के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
3. थिएटर करियर और प्रमुख नाटक:
- गंधर्व नाटक मंडली: बाल गंधर्व ने अपने थिएटर करियर को आगे बढ़ाने के लिए गंधर्व नाटक मंडली की स्थापना की। यह मंडली मराठी थिएटर में उत्कृष्टता का प्रतीक बन गई। उन्होंने इस मंच से कई प्रसिद्ध नाटकों में प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं।
- महिला पात्रों का अद्वितीय अभिनय: बाल गंधर्व के अभिनय की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने महिला पात्रों को इतनी स्वाभाविकता और खूबसूरती से निभाया कि वे उन किरदारों के पर्याय बन गए। उनके द्वारा निभाए गए प्रमुख महिला पात्रों में "सुभद्रा", "वसंतसेना", "यशोदा", "सावित्री" और "शकुंतला" शामिल हैं।
- प्रमुख नाटक: बाल गंधर्व ने कई प्रसिद्ध नाटकों में अपनी अदाकारी का जादू बिखेरा। इनमें "शारदा", "मानापमान", "सौभद्र", "मृच्छकटिक", "एकच प्याला", और "संशय कल्लोल" प्रमुख हैं।
4. संगीत में योगदान:
- गायन शैली: बाल गंधर्व ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नाट्य संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनकी गायन शैली में खयाल, ठुमरी, और भजन की मिश्रित ध्वनियाँ शामिल थीं। उनकी आवाज़ में ऐसी मिठास और प्रभाव था कि वे श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते थे।
- संगीत नाटक: बाल गंधर्व ने मराठी संगीत नाटकों (संगीत नाट्य) में एक नई परंपरा की शुरुआत की। उनके नाटकों में संगीत का विशेष स्थान था, और उन्होंने इसे अपनी अनूठी शैली से समृद्ध किया।
- गाने: उनके द्वारा गाए गए गीत आज भी मराठी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं। उनके प्रमुख गीतों में "श्यामसुंदर राजसा", "स्वयंवराला जाणा" और "राजहंसाचे पंख" शामिल हैं।
5. कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ:
- अर्थिक समस्याएँ: बाल गंधर्व को अपने जीवन में कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी गंधर्व नाटक मंडली को चलाने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा, जिससे उनके जीवन के उत्तरार्ध में उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- परिवर्तन: 1930 के दशक में भारतीय थिएटर और सिनेमा में बदलाव के दौर के कारण पारंपरिक संगीत नाटकों की लोकप्रियता में कमी आई। इस समय बाल गंधर्व को अपने नाटक मंडली के लिए नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
6. व्यक्तिगत जीवन:
- सादगीपूर्ण जीवन: बाल गंधर्व ने एक साधारण और सादगीपूर्ण जीवन जिया। उन्होंने कला को अपना जीवन माना और अपने जीवन के हर पहलू में इसे प्रतिबिंबित किया।
- सामाजिक योगदान: बाल गंधर्व ने समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी समझी और कई सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में भाग लिया।
7. सम्मान और पुरस्कार:
- पुरस्कार: बाल गंधर्व को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले। उन्हें संगीत नाट्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
- मान्यता: उनकी कला को भारतीय संगीत और नाट्य इतिहास में एक प्रमुख स्थान मिला। उनकी अद्वितीय प्रतिभा और योगदान को आज भी सराहा जाता है।
8. अंतिम वर्ष और विरासत:
- अंतिम समय: बाल गंधर्व का निधन 15 जुलाई 1967 को हुआ। उनके निधन के बाद भी उनकी कला और योगदान की यादें लोगों के दिलों में जिंदा हैं।
- विरासत: बाल गंधर्व की विरासत आज भी मराठी थिएटर और संगीत में जीवित है। उनके नाम पर पुणे में एक प्रमुख थिएटर "बाल गंधर्व रंगमंदिर" स्थापित किया गया है। उनकी कला और संगीत नाट्य को नई पीढ़ियाँ आज भी प्रेरणा के स्रोत के रूप में देखती हैं।
9. बाल गंधर्व की कला की विशेषताएँ:
- संगीत और अभिनय का संगम: बाल गंधर्व की कला में संगीत और अभिनय का अद्वितीय संगम था। उन्होंने अपने नाटकों में संगीत का ऐसा प्रयोग किया, जिससे पात्रों की भावनाएँ और अधिक प्रभावी बन गईं।
- महिला पात्रों का सजीव चित्रण: उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने महिला पात्रों को इतनी कुशलता से निभाया कि उनके दर्शक यह भूल जाते थे कि वे एक पुरुष कलाकार को देख रहे हैं। उन्होंने पात्रों की भावनाओं और संवेदनाओं को अत्यंत सजीवता से प्रस्तुत किया।
बाल गंधर्व का जीवन और उनका योगदान मराठी रंगमंच और भारतीय संगीत के लिए अमूल्य है। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से न केवल मनोरंजन किया, बल्कि मराठी संस्कृति और भाषा को भी समृद्ध किया। उनकी कला और योगदान को आज भी आदर और सम्मान के साथ याद किया जाता है।
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