संसद में आज पेश होने वाला वक्फ बिल: सदन में आज पक्ष और विपक्ष में होगी बहस

आज, 2 अप्रैल 2025 को, भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश होने जा रहा है। वक्फ अधिनियम, 1995 भारत में वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है। वक्फ संपत्तियां वे हैं जो मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक उद्देश्यों के लिए दान की जाती हैं। वक्फ बिल को लेकर आज संसद में होने वाली बहस निस्संदेह एक ऐतिहासिक क्षण होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार अपने दावों को साबित कर पाती है या विपक्ष इसे रोकने में सफल होता है।

Apr 2, 2025 - 08:11
Apr 2, 2025 - 10:16
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संसद में आज पेश होने वाला वक्फ बिल: सदन में आज पक्ष और विपक्ष में होगी बहस

INDC Network : नई दिल्ली, भारत :संसद में आज पेश होने वाला वक्फ बिल: पूरी खबर


आज, 2 अप्रैल 2025 को, भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश होने जा रहा है। यह विधेयक लंबे समय से चर्चा में रहा है और इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस की उम्मीद है। वक्फ बिल को लेकर सरकार और विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगी दलों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने और विधेयक के समर्थन में वोट देने का निर्देश दिया है, वहीं विपक्षी दल इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी करार देते हुए इसका पुरजोर विरोध करने की योजना बना रहे हैं। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संचालन और उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है, लेकिन इसके प्रावधानों को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं।

वक्फ बिल का इतिहास और पृष्ठभूमि

वक्फ अधिनियम, 1995 भारत में वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है। वक्फ संपत्तियां वे हैं जो मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक उद्देश्यों के लिए दान की जाती हैं। देश में लगभग 8.7 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जो करीब 9.4 लाख एकड़ क्षेत्र में फैली हुई हैं। यह रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद देश में तीसरा सबसे बड़ा संपत्ति मालिक है। हालांकि, इन संपत्तियों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार, अतिक्रमण और पारदर्शिता की कमी की शिकायतें लंबे समय से रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया। इस विधेयक को पहली बार 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष के हंगामे के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया। जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई, और अब यह संशोधित रूप में आज फिर से संसद में पेश होने जा रहा है।

वक्फ बिल के प्रमुख प्रावधान

इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं। पहला, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों और कम से कम दो महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान है। दूसरा, वक्फ संपत्तियों के दावों की जांच अब जिला कलेक्टर करेंगे, न कि वक्फ बोर्ड या ट्रिब्यूनल। तीसरा, संपत्ति को वक्फ के रूप में घोषित करने के लिए यह अनिवार्य होगा कि दानकर्ता कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो और संपत्ति का मालिकाना हक उसके पास हो। चौथा, वक्फ संपत्तियों के विवादों में अब हाई कोर्ट में अपील की जा सकेगी, जो पहले संभव नहीं था। इसके अलावा, सभी वक्फ संपत्तियों का केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा, ताकि इनका रिकॉर्ड पारदर्शी तरीके से रखा जा सके। सरकार का दावा है कि ये बदलाव वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकेंगे और गरीब मुस्लिमों, खासकर महिलाओं और बच्चों को लाभ पहुंचाएंगे।

सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों पर अंकुश लगाएगा और संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता लाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि यह विधेयक संविधान के दायरे में रहकर बनाया गया है और इससे किसी के अधिकारों पर आंच नहीं आएगी। बीजेपी सांसद और जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने भी दावा किया कि यह बिल अल्पसंख्यक समुदाय के हित में है और इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। एनडीए के पास लोकसभा में 293 सांसदों का समर्थन है, जो इसे आसानी से पारित कराने के लिए पर्याप्त है।

विपक्ष का विरोध

विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने इस बिल को अल्पसंख्यक विरोधी और संविधान के खिलाफ बताया है। कांग्रेस का कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है, जबकि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे "वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश" करार दिया। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म करना चाहती है। कई मुस्लिम संगठनों, जैसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), ने भी इसका विरोध किया है और इसे वापस लेने की मांग की है।

आगे की राह

आज लोकसभा में इस बिल पर आठ घंटे की चर्चा प्रस्तावित है। अगर यह लोकसभा से पारित हो जाता है, तो इसे राज्यसभा में भेजा जाएगा, जहां एनडीए का बहुमत थोड़ा कमजोर है। हालांकि, सरकार को भरोसा है कि वह छोटे दलों के समर्थन से इसे पारित करा लेगी। यह विधेयक न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश के अल्पसंख्यक समुदाय के साथ सरकार के रिश्तों को प्रभावित कर सकता है।

वक्फ बिल को लेकर आज संसद में होने वाली बहस निस्संदेह एक ऐतिहासिक क्षण होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार अपने दावों को साबित कर पाती है या विपक्ष इसे रोकने में सफल होता है। इस बिल का भविष्य न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को प्रभावित करेगा, बल्कि देश की राजनीति पर भी गहरा असर डालेगा।

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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.