कासगंज में बौद्ध एकता समिति ने धार्मिक अधिकारों के लिए राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन : बी.टी. एक्ट 1949 रद्द करने की मांग
बौद्ध एकता समिति ने भारत के राष्ट्रपति को पत्र भेजकर महाबोधि महाविहार, बोधगया का पूर्ण नियंत्रण बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग की है। समिति का कहना है कि बी.टी. एक्ट 1949 संविधान के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है क्योंकि इसके तहत 4 बौद्ध और 5 गैर-बौद्ध सदस्य इस ऐतिहासिक धरोहर का प्रबंधन कर रहे हैं। समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पत्र भेजकर न्याय की अपील की है। यह मांग एक कानूनी और धार्मिक बहस को जन्म दे रही है—क्या भारत महाबोधि महाविहार का संपूर्ण नियंत्रण बौद्धों को सौंपेगा?

INDC Network : कासगंज, उत्तर प्रदेश : बोधगया महाविहार को बौद्धों के लिए सौंपने की मांग, राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र
गंजडुंडवारा, कासगंज: बौद्ध एकता समिति ने महामहिम राष्ट्रपति को एक पत्र भेजकर विश्व धरोहर स्थल (WORLD HERITAGE SITE) महाबोधि महाविहार, बोधगया (बिहार) को पूर्णतः बौद्धों को सौंपे जाने की मांग की है। समिति ने इस संबंध में जिला अधिकारी, कासगंज को भी ज्ञापन सौंपा है।
पत्र में कहा गया है कि बोधगया का महाबोधि महाविहार बौद्धों के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थल है, जिसे पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म के अनुयायी श्रद्धा और आस्था की दृष्टि से देखते हैं। लेकिन वर्तमान में B.T. Act 1949 के तहत इस स्थल का प्रबंधन 4 बौद्ध और 5 गैर-बौद्ध (अन्य धर्मों के लोग) मिलकर कर रहे हैं। समिति का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है, क्योंकि धार्मिक स्थल का प्रबंधन उसी धर्म के लोगों के हाथ में होना चाहिए।
समिति ने यह भी कहा कि B.T. Act 1949 भारतीय संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है और इसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। भारत के संविधान की प्रस्तावना के अनुसार देश को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने की परिकल्पना की गई है, जहां सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। ऐसे में महाबोधि महाविहार का प्रबंधन पूर्णतः बौद्धों को सौंपा जाना चाहिए, ताकि वे अपने धर्म और परंपराओं के अनुसार इसका संरक्षण और संचालन कर सकें।
समिति के प्रतिनिधियों ने आग्रह किया है कि महामहिम राष्ट्रपति इस मामले में हस्तक्षेप करें और महाबोधि महाविहार को बौद्धों के अधिकार में देने का निर्णय लें। उन्होंने कहा कि यह न केवल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए बल्कि भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए भी आवश्यक है।
इस पत्र की प्रतिलिपि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी भेजी गई है। पत्र पर बौद्ध एकता समिति के डॉ. कृपाल सिंह शाक्य, भंते मंगल वर्धन, भंते आनंद मित्र, कुलदीप शाक्य, अरविन्द मौर्य, निहाल सिंह, ग्रीश कुमार(एक विचार सेवा समिति) समेत कई अन्य लोगों के हस्ताक्षर हैं।
समिति के सदस्यों ने विश्वास व्यक्त किया है कि सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगी और महाबोधि महाविहार को बौद्धों के सुपुर्द करके ऐतिहासिक न्याय प्रदान करेगी।
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