चंद्रशेखर आजाद का लोकसभा में जोशीला भाषण: सामाजिक न्याय और समानता की आवाज

नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में एक जोशीला भाषण दिया, जिसमें उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, और कांशीराम को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सामाजिक न्याय, जाति जनगणना, और वंचित वर्गों के आरक्षण की मांग की। आजाद ने शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव, सरकारी कार्यालयों में अल्पसंख्यकों के शोषण, और किसानों के मुद्दों पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने चीन की घुसपैठ, अग्निवीर योजना, और चमार रेजीमेंट की पुनः बहाली पर भी जोर दिया। आजाद ने बेरोजगारी, पेपर लीक, और कोविड-19 के दौरान मजदूरों की समस्याओं पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने नारी सम्मान और दलित-मुस्लिम हिंसा के मुद्दों पर भी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।

Jul 3, 2024 - 13:17
Sep 28, 2024 - 17:19
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चंद्रशेखर आजाद का लोकसभा में जोशीला भाषण: सामाजिक न्याय और समानता की आवाज
Image Sourse : Sansad TV (Youtube)

INDC Network : दिल्ली : लोकसभा सदन में नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए चंद्रशेखर आजाद ने सदन में कई गंभीर मुद्दे उठाए और सत्ता पर भी कई सवाल किए।

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चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "मैं महात्मा ज्योतिबा फुले, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और कांशीराम साहब को याद करता हूँ। साथ ही नगीना की महान जनता, भीम आर्मी और हमारी पार्टी आजाद समाज पार्टी कांशीराम के साथियों का भी धन्यवाद करता हूँ। इसके बाद, मैं अपने कुलगुरु जगतगुरु रविदास जी महाराज को भी नमन करता हूँ, जिन्होंने लगभग 600 साल पहले बेगमपुर शहर के रूप में दुनिया को सबसे महान लोकतांत्रिक दर्शन दिया।

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अध्यक्ष महोदय, सभापति जी, 14 अगस्त 1947 को यह देश अंग्रेजों के अधीन था, 15 अगस्त को आजाद हुआ, लेकिन 16 अगस्त 1947 को देश आजादी के बावजूद, धन, धरती, और राजपाट में सही रूप से बंटवारा नहीं हुआ। साधन-संसाधनों के असमान वितरण के कारण, एक बड़ी आबादी सुविधाओं और सम्मान से वंचित रह गई। अंतिम व्यक्ति तक सुविधा पहुंचाने के लिए लोकतंत्र की व्यवस्था हुई, लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी हम कहाँ खड़े हैं, यह चिंता का विषय है।

सामाजिक न्याय तभी संभव होगा जब जाति जनगणना पूरी होगी और जनसंख्या के आधार पर आरक्षण बढ़ाया जाएगा। राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की बात कही, लेकिन हमें गांव की आबादी के जीवन स्तर को सुधारने पर भी ध्यान देना होगा।

कुछ शैक्षणिक संस्थानों में बहुजन समाज के छात्रों के साथ जातिगत भेदभाव हो रहा है, और उनकी हत्या तक हो रही है। सरकारी कार्यालयों में SC, ST, ओबीसी, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ जाति और धार्मिक आधार पर शोषण किया जा रहा है। इसलिए मेरी मांग है कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए ताकि देश की सेवा में लगे कर्मचारियों को सम्मान मिल सके।

भाजपा ने चुनावी लाभ के लिए 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा दिया, लेकिन पिछले 10 साल में दलित, पिछड़े, आदिवासी, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर जो अत्याचार हुए हैं, वे किसी से छिपे नहीं हैं। यह बंद होना चाहिए। राष्ट्रपति के भाषण में निजी क्षेत्र में SC, ST, ओबीसी को आरक्षण देने का कोई उल्लेख नहीं है, जबकि 98% रोजगार निजी क्षेत्र में है। हमारी हिस्सेदारी की बात होनी चाहिए।

आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी वर्करों और भोजन माताओं के वेतन वृद्धि का भी कोई उल्लेख नहीं हुआ है। जिस क्षेत्र से मैं चुन कर आया हूँ, नगीना लोकसभा क्षेत्र, वह बहुत पिछड़ा हुआ है। वहां कोई विशेष आर्थिक पैकेज नहीं दिया गया है, रोजगार की सेवाएं नहीं हैं, और नौजवान पलायन कर रहे हैं। केंद्रीय विद्यालय और चिकित्सा संस्थानों की स्थापना होनी चाहिए, जो अब तक नहीं हुई। मानसून सत्र आ गया है, और मेरा क्षेत्र बाढ़ से बहुत प्रभावित है। मैं आपसे आग्रह करूंगा कि वहां के लोगों को बाढ़ से निजात दिलाई जाए।

चीन हमें आंख दिखा रहा है और लगातार हमारी सीमाओं में घुसपैठ कर रहा है। इसलिए अग्निवीर योजना को हटाकर पुनः सेना भर्ती शुरू की जाए, और चमार रेजीमेंट को पुनः बहाल किया जाए। पिछले सारे प्रधानमंत्रियों ने जितना कर्ज लिया था, उससे दुगना वर्तमान प्रधानमंत्री ने लिया है। आम जनता का कर्ज माफ नहीं हो रहा है, जबकि सरकार ने धन्ना सेठों का 15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है। हमें इस ओर ध्यान देना पड़ेगा।

हमारी आने वाली पीढ़ियों को यह कर्ज चुकाना पड़ेगा। मोदी जी को किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी देनी चाहिए। 2 अप्रैल 2018 को SC, ST के बच्चों पर बड़े पैमाने पर मुकदमे लगे, जो गलत थे। सुप्रीम कोर्ट ने माना और बाद में सरकार ने भी माना। वे मुकदमे तुरंत वापस लिए जाने चाहिए।

प्रेस पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। जो पत्रकार सरकार के खिलाफ बोलता है, उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। सोशल मीडिया हमारा हथियार है, लेकिन उस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं और विरोध करने वालों के सोशल मीडिया हैंडल सस्पेंड किए जा रहे हैं। पेपर लीक के कारण परीक्षाएं रद्द हो रही हैं, जिससे युवाओं का भविष्य खतरे में है। नीट, यूपी सिपाही भर्ती और 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ है, और कोई पूछने वाला नहीं है। बच्चे बेरोजगारी का दर्द झेल रहे हैं।

जगदंबिका पाल, पीठासीन सभापति, ने चंद्रशेखर आजाद से अपना संबोधन समाप्त करने के लिए कहा, लेकिन आजाद ने आग्रह किया कि उन्हें थोड़ा और समय दिया जाए क्योंकि वे पहली बार सदन में बोल रहे हैं। इसके बाद, आजाद को एक मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया।

चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "नारी सम्मान की बात करने वाली सरकार, हमने मणिपुर देखा, पहलवान बेटियों की स्थिति देखी, और हाथरस की बेटी के साथ जो हुआ वह भी देखा। हाथरस के परिवार को जो वादा किया था, वह भी पूरा नहीं किया गया। कोविड-19 के दौरान हमने गंगा में तैरती हुई लाशें और मजदूरों की हालत देखी। नोटबंदी ने छोटे उद्योगों की कमर तोड़ दी है। शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, और चिकित्सा संस्थानों में SC, ST, और ओबीसी के योग्य उम्मीदवारों को निकाला जा रहा है। प्राइवेट और सरकारी कर्मचारी, दोनों ही कई जगहों पर 8 घंटे से ज्यादा काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन नहीं मिल रहा है। उचित वेतन 20 हजार तय हो।

राष्ट्रपति जी ने धर्म के बारे में बात की थी, लेकिन अभी तक संत रविदास जी का मंदिर नहीं बना है। यह देश जितना दूसरों का है, उतना हमारा भी है। हम मरने के लिए पैदा नहीं हुए हैं। चाहे हमारी हत्या कर दी जाती है, मूछें रखने पर, घोड़ी पर बैठने पर, मटकी छूने पर। 70 साल बाद भी दलित, पिछड़े और मुसलमानों पर हिंसा नहीं रुक रही है। मेरा आपसे आग्रह है कि इन घटनाओं को रोका जाए। यह देश संविधान से चलता है और संविधान से ही चलेगा।"

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