नए आपराधिक कानूनों को लेकर महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने चिंता जताई।
महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने 1 जुलाई 2024 से भारत में लागू हुए नए आपराधिक कानूनों पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों से पुलिस को असीमित शक्तियां मिल जाएंगी, जिससे आम जनता को भविष्य में खतरा हो सकता है। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस ने हिंदू-मुसलमान का मुद्दा उठाकर इन कानूनों पर चर्चा को दबा दिया है।

INDC Network : लखनऊ : महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने 1 जुलाई से भारत में लागू हुए नए तीन आपराधिक कानूनों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि इन कानूनों को लागू करके पुलिस को और अधिक शक्तियां मिल जाएंगी, जिससे आम जनता को भविष्य में खतरा हो सकता है।
आपको बता दें कि 1 जुलाई 2024 को भारत में तीन नए आपराधिक कानून लागू किए गए हैं। पहला कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 है, दूसरा कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 है, और तीसरा कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) है। सरकार का कहना है कि ये कानून भारतीय आपराधिक प्रणाली को आधुनिक बनाने और न्याय को अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं।
इन तीनों कानूनों को लेकर महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने चिंता जताई है कि इन कानूनों के लागू होने से पुलिस को असीमित ताकत मिल जाएगी, जिससे भविष्य में जनता के लिए खतरा हो सकता है।
इसके अलावा, केशव देव मौर्य ने कहा है कि इन कानूनों पर ज्यादा चर्चा न हो, इसलिए सदन में भाजपा और कांग्रेस ने षड्यंत्र के तहत हिंदू-मुसलमान का मुद्दा उठाया और अब हाथरस की दुर्घटना ने आईपीसी में संशोधन के मामले को बिल्कुल ही दबा दिया है।
नियमों के बारे में विस्तार से समझें :- भारत में 1 जुलाई 2024 से लागू तीन नए कानून कौन से हैं ?
सन्दर्भ:- 1 जुलाई 2024 से भारत में तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे: भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023। ये कानून पुराने ब्रिटिश कालीन कानूनों को बदलकर न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी, त्वरित, और आधुनिक बनाएंगे। BNS 2023 IPC को प्रतिस्थापित कर सामुदायिक सेवा, यौन अपराधों के लिए सख्त सजा, संगठित अपराधों और मॉब लिंचिंग के खिलाफ कठोर दंड लाएगा। BNSS 2023 CrPC को बदलकर अंडर-ट्रायल कैदियों के लिए जमानत, फॉरेंसिक जांच, और कानूनी प्रक्रियाओं में समय-सीमा तय करेगा। BSA 2023 साक्ष्य अधिनियम को अपडेट कर इलेक्ट्रॉनिक और द्वितीयक साक्ष्यों में सुधार करेगा।
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