मंडल कमीशन: सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम, मंडल कमीशन को विस्तार से समझिये

मंडल कमीशन की स्थापना 1 जनवरी 1979 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करना और उनके लिए आरक्षण की सिफारिशें करना था। आयोग की सिफारिशों को 1990 में लागू किया गया, जिससे पिछड़े वर्गों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण मिला। इससे सामाजिक न्याय, समानता और आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान हुआ। मंडल कमीशन ने भारतीय समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मंडल कमीशन: सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम, मंडल कमीशन को विस्तार से समझिये

INDC Network : जानकारी : मंडल कमीशन की स्थापना 1 जनवरी 1979 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) की पहचान करना और उनके लिए आरक्षण की सिफारिशें करना था। इस आयोग के अध्यक्ष बी.पी. मंडल थे, और इसलिए इसे मंडल कमीशन के नाम से जाना जाता है।

मंडल कमीशन की स्थापना के कारण:

  1. सामाजिक असमानता: भारत में जातिगत और सामाजिक असमानता की समस्या लंबे समय से बनी हुई थी। विशेष रूप से पिछड़े वर्गों को शिक्षा और रोजगार में समान अवसर नहीं मिल पा रहे थे। इस असमानता को दूर करने के लिए मंडल कमीशन की स्थापना की गई।

  2. संसद का निर्देश: 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता में आने के बाद पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया। इसके तहत उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत एक आयोग की स्थापना का निर्णय लिया।

  3. संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 में पिछड़े वर्गों की स्थिति की समीक्षा करने और उनके उत्थान के लिए सुझाव देने के लिए एक आयोग गठित करने का प्रावधान है। इसी प्रावधान के तहत मंडल कमीशन का गठन किया गया।

  4. पिछड़े वर्गों की पहचान: आयोग का एक मुख्य कार्य यह था कि वह पिछड़े वर्गों की पहचान करे और उनकी सामाजिक और शैक्षिक स्थिति की समीक्षा करे। इसके बाद आयोग को ऐसे उपाय सुझाने थे जिससे इन वर्गों की स्थिति में सुधार हो सके।

मंडल कमीशन का कार्य:

मंडल कमीशन ने देशभर में विस्तृत अध्ययन और सर्वेक्षण किए। इसके आधार पर आयोग ने 1980 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में आयोग ने पिछड़े वर्गों की पहचान की और उनके लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण की सिफारिश की। आयोग ने कुल मिलाकर 11 उपाय सुझाए, जिनमें से आरक्षण एक प्रमुख उपाय था।

मंडल कमीशन की सिफारिशों को 1990 में वी.पी. सिंह की सरकार द्वारा लागू किया गया, जिससे भारतीय समाज और राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव आए। इससे पिछड़े वर्गों को शैक्षिक और रोजगार के अवसर प्राप्त हुए और उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान में मदद मिली।


मंडल कमीशन, जिसे सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) के लिए गठित किया गया था, भारत सरकार द्वारा 1979 में स्थापित एक आयोग था। इसका मुख्य उद्देश्य देश में पिछड़े वर्गों की पहचान करना और उनके लिए आरक्षण की सिफारिशें करना था। बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में, इस आयोग ने 1980 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की गई थी। मंडल कमीशन की सिफारिशों को 1990 में लागू किया गया, जिससे भारतीय समाज में महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव पड़ा।


मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के बाद भारत में कई महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक बदलाव देखे गए। इसके लाभों को विस्तार से समझना महत्वपूर्ण है:

सामाजिक लाभ:

  1. सामाजिक न्याय और समानता: मंडल कमीशन ने समाज के पिछड़े वर्गों को आरक्षण देकर उनकी सामाजिक और शैक्षिक असमानताओं को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाया। इससे उन्हें समाज में समानता और न्याय का अनुभव करने का अवसर मिला।

  2. सशक्तिकरण: पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिलने से उनका सशक्तिकरण हुआ। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई और वे समाज में अपनी आवाज बुलंद कर पाए।

  3. सामाजिक समरसता: आरक्षण से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच भाईचारा और समरसता बढ़ी। इससे सामाजिक ढांचे में संतुलन आया और वंचित समुदायों की स्थिति में सुधार हुआ।

आर्थिक लाभ:

  1. आर्थिक विकास: पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। इससे वे बेहतर रोजगार प्राप्त कर सके और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सके।

  2. आर्थिक असमानता में कमी: आरक्षण के माध्यम से पिछड़े वर्गों को समान अवसर मिलने से आर्थिक असमानता में कमी आई। इससे वे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके।

शैक्षिक लाभ:

  1. शैक्षिक अवसर: मंडल कमीशन की सिफारिशों के तहत पिछड़े वर्गों को शिक्षा में आरक्षण मिलने से उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अधिक अवसर मिले। इससे उनकी शैक्षिक योग्यता में वृद्धि हुई।

  2. बौद्धिक विकास: शिक्षा में आरक्षण से पिछड़े वर्गों के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला, जिससे उनके बौद्धिक विकास में सहायता मिली। इससे समाज में उनकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई।

राजनीतिक लाभ:

  1. राजनीतिक प्रतिनिधित्व: आरक्षण ने पिछड़े वर्गों को राजनीति में भी अपना प्रतिनिधित्व दर्ज कराने का अवसर दिया। इससे उनकी समस्याओं को नीति-निर्माण स्तर पर उठाने और समाधान करने में मदद मिली।

  2. समाज में संतुलन: आरक्षण ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद की। इससे सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता बनी रही।

चुनौतियाँ और सुधार:

  1. आलोचना और विवाद: मंडल कमीशन की सिफारिशों के लागू होने पर देश में कई विवाद और विरोध प्रदर्शन हुए। कुछ लोगों का मानना था कि इससे योग्यता के आधार पर चयन की प्रणाली प्रभावित हो रही है।

  2. समय के साथ सुधार: मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के बाद समय-समय पर सरकारों ने इसमें सुधार किए और नई नीतियाँ बनाई ताकि इसका लाभ सही मायने में पिछड़े वर्गों तक पहुंचे।

निष्कर्ष:

मंडल कमीशन की सिफारिशों के लागू होने से भारत में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए। इससे पिछड़े वर्गों को समान अवसर मिलने लगे और उनका समाज में स्थान मजबूत हुआ। हालांकि, इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आईं, लेकिन समय के साथ उनमें सुधार किया गया। कुल मिलाकर, मंडल कमीशन ने भारत में सामाजिक न्याय और समरसता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।