संकिसा बुद्ध महोत्सव 2024: भव्य धम्म यात्रा अव्यवस्था के कारण कुछ इस तरह समस्याएं बड़ी

संकिसा बुद्ध महोत्सव 2024 के अवसर पर धम्म यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें भगवान बुद्ध के अनुयायियों ने पंचशील ध्वज लहराते हुए स्तूप की परिक्रमा की। हालांकि, आयोजन के दौरान भारी अव्यवस्था और सुरक्षा की चुनौतियां देखने को मिलीं, जिससे उपासकों को पूजा-अर्चना में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। साथ ही, पुलिस की सख्ती और पत्रकारों पर प्रतिबंध ने कार्यक्रम को और विवादास्पद बना दिया।

संकिसा बुद्ध महोत्सव 2024: भव्य धम्म यात्रा अव्यवस्था के कारण कुछ इस तरह समस्याएं बड़ी

INDC Network : उत्तर प्रदेश : संकिसा बुद्ध महोत्सव 2024 का आयोजन धम्म और बुद्ध की शिक्षाओं के प्रसार का प्रमुख अवसर रहा, जिसमें धम्म यात्रा के दौरान भगवान बुद्ध के अनुयायियों ने पंचशील ध्वज लहराकर स्तूप की ओर रुख किया। यह यात्रा, जो धम्मा लोको बुद्ध विहार से निकली, कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई। महोत्सव का आकर्षण भगवान बुद्ध की भव्य झांकी रही, जिसका भिक्षु डॉ. धम्मपाल महाथैरो ने विधिवत पूजन कर शुभारंभ किया।

हालांकि, इस भव्य आयोजन की शुरुआत में ही एक असामान्य मोड़ आया जब भाजपा विधायक सुशील शाक्य का न पहुंचना लोगों में चर्चा का विषय बन गया। महोत्सव के आयोजक कर्मवीर शाक्य ने इस अनपेक्षित स्थिति का समाधान पंचशील ध्वज लहराकर धम्म यात्रा को रवाना करके किया। यात्रा के दौरान बौद्ध अनुयायियों ने "जब तक सूरज चांद रहेगा, बौद्ध धर्म का नाम रहेगा" जैसे उत्साही नारे लगाए।

धम्म यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एसडीएम सदर और सीओ के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात था। पूरे संकिसा गांव में बेरीकेटिंग लगाई गई थी, जिससे यात्री सुरक्षित रह सकें। हालांकि, जैसे ही यात्रा स्तूप परिसर पहुंची, वहां पहले से इंतजार कर रहे हजारों लोगों के कारण स्थिति जटिल हो गई। स्तूप परिसर का मुख्य गेट बंद था, जिससे उपासकों में असंतोष फैलने लगा। लगभग 7 बजे अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. संजय सिंह ने मुख्य गेट खुलवाया, लेकिन भीड़ को नियंत्रित करने में अधिकारियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।

गेट खुलते ही लोगों ने अंदर घुसने की कोशिश की, लेकिन स्तूप के पास लगी बेरीकेटिंग और सकरी जगह के कारण यात्रा धीमी हो गई। पुलिसकर्मियों ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए उपासकों को तेजी से चलने के निर्देश दिए, लेकिन सुरक्षा व्यवस्थाओं के चलते भिक्षुओं और अन्य अनुयायियों को पूजा-अर्चना में काफी परेशानी हुई। भिक्षु डॉ. धम्मपाल महाथैरो के नेतृत्व में बुद्ध समर्थकों ने स्तूप की परिक्रमा की, लेकिन सुरक्षा के इंतजामों के कारण भिक्षुओं को भी पूजा की रस्में निभाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।


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स्थिति तब और विवादास्पद हो गई जब पुलिस ने मीडिया कर्मियों को पूजा कार्यक्रम के दौरान फोटो खींचने से रोक दिया। कई पत्रकारों ने इस स्थिति का विरोध किया, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें स्तूप परिसर से हटा दिया। अव्यवस्था के चलते उपासकों को भी पूजा के दौरान बाधाओं का सामना करना पड़ा। उन्हें केवल अगरबत्ती जलाकर हटने को कहा गया, जिससे कई उपासक निराश हो गए। कुछ उपासक तो पूजा में भाग ही नहीं ले सके और बाहर खड़े रहने के लिए मजबूर हो गए।

इसके बाद सपा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा अपने समर्थकों के साथ पूजा करने पहुंचे। उन्होंने स्तूप पर पुष्प अर्पित कर तथागत बुद्ध की शिक्षाओं को याद किया और नवयुवकों को बुद्ध के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने बुद्ध अनुयायियों को समाज सेवा के लिए भिक्षु बनने और अधिकारों के लिए शासक बनने का आह्वान किया। बाबू सिंह कुशवाहा ने बुद्ध के सत्य, अहिंसा और करुणा के सिद्धांतों पर जोर देते हुए सम्राट अशोक के कार्यों की प्रशंसा की और बौद्ध धर्म के प्रचार के महत्व को रेखांकित किया।

वहीं, समारोह में कुछ प्रमुख नामों की अनुपस्थिति ने भी ध्यान खींचा। बोधि पुस्तकालय और महासमता बुद्ध विहार के अध्यक्ष भंते चेतसिक बोधि और बाईवीएस सेंटर के अध्यक्ष सुरेश बौद्ध, जो हर वर्ष इस कार्यक्रम में भाग लेते थे, इस बार शामिल नहीं हुए। महोत्सव के दौरान कुछ और महत्वपूर्ण घटनाएं भी घटित हुईं। जिलाधिकारी ने आयोजकों को 10 बजे तक स्तूप परिसर खाली करने का निर्देश दिया था, जिसके तहत पूजन कार्यक्रम करीब 9:30 बजे समाप्त हो गया। इसके बाद मां विसारी देवी समिति के अतुल दीक्षित अपने साथियों के साथ पहुंचे और स्तूप पर पूजा-अर्चना की। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से अतुल दीक्षित के आवास पर भी फोर्स तैनात कर दी थी।

कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने आयोजन की सफलता पर संतोष व्यक्त किया और कार्यक्रम के शांतिपूर्ण संपन्न होने पर राहत महसूस की। हालांकि, अव्यवस्था और सुरक्षा के मुद्दों ने इस बार के बुद्ध महोत्सव पर एक नई चर्चा छेड़ दी, जिससे आने वाले समय में और अधिक सुव्यवस्थित आयोजन की आवश्यकता महसूस हो रही है।