बांग्लादेश में फंसे 19,000 भारतीयों में 9,000 छात्र: जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि बांग्लादेश में करीब 19,000 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से 9,000 छात्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय समुदाय के साथ लगातार संपर्क में है और अधिकांश छात्र जुलाई में स्वदेश लौट आए थे। जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर नजर रख रहा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत आने की अनुमति मांगी और वर्तमान में दिल्ली में हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने हाई अलर्ट घोषित किया है।

बांग्लादेश में फंसे 19,000 भारतीयों में 9,000 छात्र: जयशंकर
Image Sourse : Sansad TV (Youtube)

INDC Network : नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को लोकसभा में बांग्लादेश में चल रही अशांति और इसके भारत पर प्रभाव पर संबोधित किया। उन्होंने बताया कि इस समय बांग्लादेश में करीब 19,000 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से 9,000 छात्र हैं। जयशंकर ने कहा कि केंद्र सरकार बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ लगातार संपर्क में है। उन्होंने बताया कि अधिकांश भारतीय छात्र जुलाई में ही स्वदेश लौट आए थे, जब बांग्लादेश में अशांति ने हिंसक रूप धारण कर लिया था।

उन्होंने संसद में कहा, "हम अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ लगातार संपर्क में हैं। वहां अनुमानित 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से करीब 9,000 छात्र हैं। जुलाई में अधिकांश छात्र वापस लौट आए।" विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि भारत बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।

उन्होंने कहा, "हम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए स्थिति पर नजर रख रहे हैं। विभिन्न समूहों और संगठनों द्वारा पहल की खबरें आ रही हैं। स्वाभाविक रूप से, हम कानून और व्यवस्था बहाल होने तक चिंतित रहेंगे।" जयशंकर ने यह भी कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बहुत कम समय में भारत आने की अनुमति मांगी थी। "5 अगस्त को, कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शनकारी ढाका में एकत्र हुए। हमारी समझ यह है कि सुरक्षा प्रतिष्ठान के नेताओं के साथ बैठक के बाद, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने का फैसला किया। उन्होंने भारत आने के लिए अनुमति मांगी और हमें बांग्लादेश के अधिकारियों से उड़ान की मंजूरी के लिए एक अनुरोध भी मिला। वह कल शाम दिल्ली पहुंचीं," उन्होंने बताया।

सोमवार को, शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हिंडन एयर बेस पर उतरीं। भारत पहुंचने पर उन्होंने एनएसए अजीत डोभाल और शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए गांव के प्रधानों और सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की है।


बंगलदेश में आन्दोलन होने के मुख्य कारण 

बांग्लादेश में आंदोलनों के विभिन्न कारण समय-समय पर उभरते रहे हैं, जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक मुद्दों से संबंधित होते हैं। अक्टूबर 2023 तक के उपलब्ध ज्ञान के आधार पर, बांग्लादेश में हाल के आंदोलनों के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग:

    • पृष्ठभूमि: बांग्लादेश में विपक्षी दलों, विशेष रूप से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह चुनावों में धांधली करती है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं होने देती।
    • आंदोलन: बीएनपी और उसके सहयोगी दलों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, रैलियाँ, और हड़तालें आयोजित की हैं, जिसमें स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना और तटस्थ सरकार के तहत चुनाव कराने की मांग की गई है।
  2. मूल्य वृद्धि और आर्थिक अस्थिरता:

    • पृष्ठभूमि: वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण, बांग्लादेश में ईंधन, खाद्य पदार्थ, और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है।
    • आंदोलन: आम जनता और विभिन्न संगठनों ने बढ़ती महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, और जीवन यापन की बढ़ती लागत के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। इन प्रदर्शनों में सरकार से मूल्य नियंत्रण, सब्सिडी, और आर्थिक राहत की मांग की गई है।
  3. मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:

    • पृष्ठभूमि: बांग्लादेश में पत्रकारों, ब्लॉगरों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई के मामलों में वृद्धि देखी गई है, विशेषकर डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट (डीएसए) के तहत गिरफ्तारी और मुकदमों के संदर्भ में।
    • आंदोलन: मानवाधिकार संगठनों, पत्रकार संघों, और नागरिक समाज ने डीएसए के दुरुपयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए हैं। वे इस कानून में संशोधन या इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके।
  4. पर्यावरणीय मुद्दे:

    • पृष्ठभूमि: बांग्लादेश में विभिन्न विकास परियोजनाओं, जैसे रामपाल कोयला बिजली संयंत्र, के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव के खिलाफ भी आंदोलन हुए हैं।
    • आंदोलन: पर्यावरणविदों, स्थानीय समुदायों, और नागरिक संगठनों ने इन परियोजनाओं के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं, यह दावा करते हुए कि वे सुंदरबन जैसे विश्व धरोहर स्थलों और स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाएंगे।
  5. श्रमिक अधिकार:

    • पृष्ठभूमि: गारमेंट फैक्ट्री वर्कर्स और अन्य श्रमिकों ने अपने वेतन, कार्य परिस्थितियों, और अन्य अधिकारों को लेकर भी आंदोलन किए हैं।
    • आंदोलन: श्रमिक संघों ने बेहतर वेतन, सुरक्षित कार्य परिस्थितियों, और श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए रैलियाँ और हड़तालें आयोजित की हैं।

इन आंदोलनों के पीछे मुख्य रूप से सामाजिक न्याय, आर्थिक स्थिरता, राजनीतिक पारदर्शिता, और मानवाधिकारों की सुरक्षा की मांगें हैं। बांग्लादेश की सरकार और संबंधित प्राधिकरण इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं, लेकिन कई मामलों में विरोध और मांगें जारी हैं। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि आंदोलन और उनके कारण समय के साथ बदलते रहते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए वर्तमान समाचार स्रोतों का संदर्भ लेना उचित होगा।