केशव देव मौर्य ने सोशल मीडिया पर शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य समाज के नेताओं पर उठाए सवाल।

केशव देव मौर्य, राष्ट्रीय अध्यक्ष, महान दल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बदायूं बलात्कार कांड और वाराणसी हत्याकांड पर शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य समाज के नेता आवाज उठाते तो न्याय और मुआवजा मिल सकता था। उन्होंने कहा कि समाज के नेता गुलाम बनकर रह गए हैं और चुनाव के समय महान दल को कमजोर कर देते हैं। उन्होंने सपा और बसपा पर भी महान दल को महत्व न देने का आरोप लगाया।

केशव देव मौर्य ने सोशल मीडिया पर शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य समाज के नेताओं पर उठाए सवाल।

INDC Network : केशव देव मौर्य, राष्ट्रीय अध्यक्ष, महान दल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है:-

"बदायूं बलात्कार कांड और वाराणसी हत्याकांड पर सपा और भाजपा में शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य समाज के जितने भी सांसद, विधायक, मंत्री हैं, अगर वे सभी अपने-अपने स्तर पर आवाज उठाते तो इन दोनों घटनाओं में न्याय और मुआवजा दोनों मिल जाते। लेकिन समाज का दुर्भाग्य है कि इस समाज में पैदा होने वाले सभी नेता गुलाम हैं!

मैं इस समाज के हक, अधिकार और न्याय के लिए लगातार 15 वर्षों से लड़ रहा हूँ। महान दल के कार्यकर्ता समाज को बार-बार समझाकर महान दल के झंडे के नीचे लाते हैं, लेकिन चुनाव आने पर महान दल के कुछ समर्थक, बिरादरी के प्रत्याशियों को सांसद, विधायक, मंत्री बनाने के चक्कर में महान दल को कमजोर कर देते हैं।

मैं सिद्धांतत: सपा और बसपा का साथ देना चाहता हूँ, लेकिन दोनों पार्टियां महान दल को महत्व देने को तैयार नहीं हैं। बसपा खुद बर्बाद हो रही है, लेकिन महान दल से गठबंधन कर मजबूत नहीं होना चाहती। समाजवादी पार्टी तो समाजवादी पार्टी है। सीट नहीं दिया कोई बात नहीं, पहले और दूसरे चरण में महान दल का नाम तक नहीं लिया, महान दल के कार्यकर्ताओं की मदद तक नहीं ली, वोट लेना चाहती है, लेकिन गलती से भी महान दल को महत्व न मिल जाए इस बात पर विशेष ध्यान देती है।

समाजवादी पार्टी के नेता आजकल ये कहते हुए सुने जा रहे हैं कि महान दल क्या करेगा। महान दल के प्रभाव वाले इलाके में हम उनकी बिरादरी के 60-70 प्रत्याशी उतार देंगे और वोट ले लेंगे। बात उनकी सही भी है क्योंकि मैं लगातार समाज को दिखा रहा हूँ कि समाज के साथ जब-जब अत्याचार होता है, चुनाव में तूफान उठाने वाले और करोड़ों रुपये खर्च करने वाले समाज के नेता मौन धारण कर लेते हैं। न तो पीड़ित परिवार के लिए संघर्ष करते हैं और न ही पीड़ित परिवार को एक रुपये की मदद करते हैं। चाहे वह ललितपुर के देवेंद्र कुशवाहा का मामला रहा हो, आगरा में महिला के साथ बलात्कार, कासगंज के कर्मवीर शाक्य की हत्या का प्रयास एवं सर्वेश शाक्य की हत्या, बिजनौर के होशराम सैनी के साथ हुआ अन्याय या आजमगढ़ की शीला मौर्य की हत्या का मामला रहा हो।

काश हमारा समाज भी यादव समाज की तरह समझदार होता। बिरादरीवादी होने की जगह पार्टीवादी हो जाता तो उसे भी हक, अधिकार मिल जाता। अन्याय करने की हिम्मत तो कोई करता ही नहीं।"

केशव देव मौर्य ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक दूसरी पोस्ट में लिखा है:-

"मेरी लड़ाई शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य सहित अन्य कमजोर समाज को हक, अधिकार और न्याय दिलाने की है। हक, अधिकार और न्याय हाथ जोड़ने से कभी नहीं मिलता। हाथ जोड़ने से विधायक, सांसद, मंत्री का पद मिल सकता है। हक, अधिकार अपने ही परिवार से लेने के लिए बवाल करना पड़ता है। मुझे तो अपने समाज का हक, अधिकार गैरों से लेना है।"

इस घटना पर आप क्या सोचते हैं? हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।