क्या बौद्ध धर्म विश्व को नई दिशा दे सकता है? जानिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की खास बातों से

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन में बौद्ध धर्म के योगदान और इसकी शिक्षाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के पास विश्व को संकटों से निकालने के लिए अनमोल ज्ञान और शिक्षा है। शांति, अहिंसा और करुणा पर आधारित बुद्ध के संदेश को समझाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उन्होंने एशिया को और मजबूत बनाने के लिए धर्म की भूमिका पर चर्चा करने का आह्वान किया।

क्या बौद्ध धर्म विश्व को नई दिशा दे सकता है? जानिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की खास बातों से

INDC Network : नई दिल्ली : क्या बौद्ध धर्म विश्व को नई दिशा दे सकता है? जानिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की खास बातों से

बौद्ध धर्म के योगदान पर राष्ट्रपति मुर्मु का दृष्टिकोण

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन में बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के वैश्विक प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब विश्व अनेक संकटों का सामना कर रहा है, तब बौद्ध धर्म के पास मानवता को बचाने के लिए अद्वितीय ज्ञान है। इस अवसर पर उन्होंने भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन के उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला।


शांति और अहिंसा के संदेश की आवश्यकता

राष्ट्रपति मुर्मु ने बताया कि बौद्ध धर्म की शिक्षा का मुख्य संदेश शांति और अहिंसा है। बुद्ध का जीवन और उनकी शिक्षाएं संपूर्ण विश्व को यह सिखाने के लिए पर्याप्त हैं कि संघर्ष, लालच और घृणा से मुक्त होकर हम सच्ची शांति कैसे प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध के अनुसार, लालच और घृणा ही हमारे दुःखों का मूल कारण हैं, जिन्हें समाप्त करके ही सच्चे सुख की प्राप्ति की जा सकती है।


धर्म की भूमिका: एशिया को मजबूत बनाने में योगदान

राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के माध्यम से एशिया को एकजुट और सशक्त बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस धर्म में संकीर्ण संप्रदायवाद का मुकाबला करने और व्यापक सोच को प्रोत्साहित करने की क्षमता है। सम्मेलन के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह शिखर सम्मेलन एशिया में शांति और स्थायित्व को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।


पाली और प्राकृत भाषाओं का संरक्षण

राष्ट्रपति मुर्मु ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत सरकार ने पाली और प्राकृत को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया है। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं के साहित्यिक खजाने के संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह कदम उन भाषाओं के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिनमें बुद्ध की शिक्षाएं संरक्षित हैं।


जलवायु संकट में बौद्ध धर्म की भूमिका

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि वर्तमान समय में केवल संघर्ष ही नहीं बल्कि जलवायु संकट का सामना भी दुनिया कर रही है। ऐसे में बौद्ध धर्म की शिक्षाएं मनुष्यों को न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाएंगी, बल्कि जीवन के हर पहलू में संतुलन लाने के मार्ग भी सुझाएंगी।


भारत: धर्म और आध्यात्म की पवित्र भूमि

भारत की पवित्र भूमि पर चर्चा करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि यह धरती सदियों से महान संतों, गुरुओं और साधकों की जननी रही है। इन मार्गदर्शकों में भगवान बुद्ध का अद्वितीय स्थान है, जिन्होंने अहिंसा, करुणा और आत्म-शांति की दिशा में मानवता का मार्गदर्शन किया।