राहुल गाँधी ने किया खुलासा : दलित, पिछड़ा वर्ग को हिंदुस्तान में जगह नहीं मिल रही है

राहुल गांधी ने एक जनसभा में नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों के हित में लाए गए तीन कानून वास्तव में किसानों के हित में नहीं थे, इसीलिए वे सड़कों पर उतर आए। उन्होंने मोदी सरकार पर अरबपतियों का कर्ज माफ करने और किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। राहुल ने यह भी कहा कि जीएसटी से गरीब और पिछड़े वर्गों को ज्यादा नुकसान होता है, जबकि बड़े उद्योगपतियों को इससे राहत मिलती है। उन्होंने जातिगत जनगणना की भी मांग की, ताकि देश में पिछड़े, दलित और आदिवासी वर्गों की सही स्थिति स्पष्ट हो सके और उनके अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।

राहुल गाँधी ने किया खुलासा : दलित, पिछड़ा वर्ग को हिंदुस्तान में जगह नहीं मिल रही है
जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी

INDC Network : महाराष्ट्र : राहुल गाँधी ने किया खुलासा : दलित, पिछड़ा वर्ग को हिंदुस्तान में जगह नहीं मिल रही है 

तीन काले कानून: किसान विरोध और अरबपतियों के पक्ष में फैसले

राहुल गांधी ने अपने भाषण में तीन कृषि कानूनों पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसानों के फायदे के नाम पर बनाए गए इन कानूनों ने वास्तव में किसानों को ही सड़क पर ला खड़ा किया। उन्होंने कहा कि अगर ये कानून किसानों के हित में होते, तो वे विरोध क्यों करते? इसके उलट, सरकार ने उद्योगपतियों को 10 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया, लेकिन किसानों का कर्ज माफ करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब सरकार वास्तव में किसानों की मदद नहीं कर रही, तो वह उनके हितों की बात कैसे कर सकती है।

राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर मीडिया पर भी कटाक्ष किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मीडिया में किसान, मजदूर या बेरोजगार युवाओं की समस्याएं प्रमुखता से नहीं दिखाई जातीं। इसके बजाय, बड़े उद्योगपतियों और उनकी जीवनशैली को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है।


जीएसटी का बोझ और सरकारी बजट में असमानता

जीएसटी पर बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि इस कर प्रणाली का बोझ असल में गरीब और पिछड़े वर्गों पर ज्यादा पड़ता है, जबकि उद्योगपतियों पर इसका असर मामूली होता है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि गरीब व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के सामान पर जीएसटी देता है, लेकिन अरबपतियों के लिए यह बोझ नहीं बनता। बजट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो पैसा जनता के टैक्स से आता है, उसका इस्तेमाल करने का निर्णय लेने वाले अधिकारी गिने-चुने हैं, जिनमें से अधिकांश उच्च वर्ग से आते हैं। राहुल गांधी के अनुसार, इन अधिकारियों में पिछड़े, दलित और आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व ना के बराबर है।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार वाकई में पिछड़े, दलित और आदिवासी वर्ग का सम्मान करना चाहती है, तो उसे बजट और नीति निर्माण में इन वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। यही असली समानता और जीएसटी का असल उद्देश्य होना चाहिए।


जातिगत जनगणना और आरक्षण सीमा पर उठाए सवाल

राहुल गांधी ने अपने भाषण में जातिगत जनगणना की भी मांग की। उन्होंने कहा कि इससे यह पता चल सकेगा कि वास्तव में किस समुदाय का कितना योगदान और स्थिति है, और किसे सरकार से कितनी सहायता मिल रही है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना से यह भी साफ हो जाएगा कि सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में विभिन्न वर्गों का क्या प्रतिनिधित्व है। इसके साथ ही उन्होंने आरक्षण की 30 प्रतिशत सीमा को हटाने की बात कही, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके और असली समानता का संदेश दिया जा सके।

राहुल गांधी का यह तर्क था कि जातिगत जनगणना से देश में सामाजिक न्याय की तस्वीर स्पष्ट होगी और इससे गरीब तथा पिछड़े वर्गों की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि वे इस मांग को संसद में उठाएं और इसे लागू करें, ताकि सामाजिक असमानता को खत्म करने की दिशा में एक कदम बढ़ाया जा सके।