राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संसद के संयुक्त सत्र में संबोधन: मोदी सरकार की उपलब्धियाँ और आपातकाल का जिक्र किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। उन्होंने मोदी सरकार की 10 साल की उपलब्धियों का उल्लेख किया और विपक्ष को पेपर लिखकर घटनाओं पर सवाल उठाने के लिए नसीहत दी। राष्ट्रपति ने आपातकाल को संविधान पर सबसे बड़ा हमला बताया और कहा कि भारत आने वाले महीनों में गणतंत्र के रूप में 75 साल पूरे करेगा। उन्होंने संविधान की महत्ता पर जोर दिया और इसे जन चेतना का हिस्सा बनाने के प्रयासों की बात की।

राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू का संसद के संयुक्त सत्र में संबोधन: मोदी सरकार की उपलब्धियाँ और आपातकाल का जिक्र किया
Image Sourse : Sansad TV (Youtube)

INDC Network : दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। उनके संबोधन में मोदी सरकार की 10 साल की उपलब्धियों का उल्लेख था, साथ ही पेपर लिखकर घटनाओं पर सवाल उठाने को लेकर विपक्ष के लिए नसीहत भी थी। राष्ट्रपति मुर्मू ने आपातकाल को संविधान पर सबसे बड़ा हमला बताया।

उन्होंने अपने भाषण में कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 साल पूरे करने जा रहा है। भारत का संविधान बीते समय में हर चुनौती और कसौटी पर खरा उतरा है। जब संविधान बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं जो भारत के असफल होने की कामना करती थीं। संविधान लागू होने के बाद भी इस पर अनेक बार हमले हुए।

राष्ट्रपति ने कहा कि "आज 27 जून है, लेकिन 25 जून 1975 को लागू हुआ आपातकाल संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। इंदिरा गाँधी जब भारत की प्रधानमंत्री थी, आपातकाल लागू होने के बाद पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन भारत ने ऐसी असंवैधानिक ताकतों पैर जीत हासिल की, क्योकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं(रीति,रिवाज) रही हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार भी संविधान को महज शासन का माध्यम नहीं मानती। संविधान जन चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी उद्देश्य के साथ उनकी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है।


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सन्दर्भ :- बुधवार को लोकसभा में ओम बिरला फिर से स्पीकर बनने के बाद अपनी पहली स्पीच में 1975 के आपातकाल की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे लोकतंत्र का काला अध्याय बताया और कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की कड़ी आलोचना की। ओम बिरला ने दो मिनट का मौन रखकर आपातकाल का विरोध करने वालों की सराहना की और संविधान के सिद्धांतों की रक्षा करने का संकल्प दोहराया।


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संदर्भ :- एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला को 18वीं लोकसभा के स्पीकर चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद में हाथ मिलाया। दशकों में पहली बार, एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारत ब्लॉक के बीच आम सहमति की कमी के कारण यह चुनाव हुआ है। मोदी और गांधी ने बिरला को बधाई दी और उनके अगले पांच वर्षों के मार्गदर्शन की प्रतीक्षा की। गांधी ने विपक्ष की ओर से बिरला को समर्थन देने का वादा किया और सदन में विपक्ष की आवाज को प्रतिनिधित्व देने की उम्मीद जताई।