महाबोधि महाविहार विवाद: बौद्ध अनुयायियों और ब्राह्मण पुजारियों के बीच बढ़ा तनाव
बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि महाविहार को लेकर विवाद तेज हो गया है। बौद्ध अनुयायियों ने ब्राह्मण पुजारियों को मंदिर प्रबंधन समिति से हटाने की मांग की है। विवाद की जड़ B.T. Act 1949 है, जिसके तहत मंदिर प्रबंधन में बौद्धों के अलावा 5 ब्राह्मण पुजारी भी शामिल हैं। हाल ही में मंदिर परिसर में बौद्धों और ब्राह्मणों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके बाद मामला शांत कराया गया। बौद्ध समुदाय का कहना है कि महाबोधि महाविहार पूरी तरह से बौद्धों को सौंपा जाए, जबकि ब्राह्मण पुजारियों ने इसे अस्वीकार कर दिया है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और बिहार के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया है और सरकार से न्याय की मांग की गई है। यदि जल्द हल नहीं निकला, तो यह विवाद बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।

INDC Network : बोधगया, बिहार : महाबोधि महाविहार विवाद: बौद्ध अनुयायियों और ब्राह्मण पुजारियों के बीच बढ़ा तनाव
बोधगया में महाबोधि महाविहार को लेकर विवाद गहराया, बौद्ध अनुयायियों ने की कड़ी प्रतिक्रिया
बिहार के गया जिले में स्थित महाबोधि महाविहार एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल पर बौद्ध अनुयायी और ब्राह्मण पुजारी आमने-सामने आ गए हैं, जिससे वहां माहौल तनावपूर्ण हो गया है। बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि महाबोधि मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह से बौद्धों के हाथों में होना चाहिए, जबकि मंदिर प्रशासन में शामिल ब्राह्मण पुजारियों को हटाया जाए।
महाबोधि महाविहार पर बवाल क्यों बढ़ा?
27 फरवरी 2025 को महाबोधि मंदिर के पास एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब ब्राह्मण पुजारियों ने मंदिर के स्वामित्व को लेकर दावा किया। उनका कहना था कि मंदिर पर उनका भी अधिकार है और वे इसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इस दावे का बौद्ध अनुयायियों ने कड़ा विरोध किया और इसे बौद्ध धर्म की विरासत पर कब्जे की कोशिश बताया।
बौद्ध अनुयायियों का आरोप है कि ब्राह्मण पुजारियों ने आंदोलन कर रहे बौद्ध भिक्षुओं को परेशान किया और उनके शांतिपूर्ण विरोध को बाधित किया। उनका कहना है कि महाबोधि मंदिर पूरी तरह से बौद्ध धर्म का प्रतीक है, और इस पर केवल बौद्ध भिक्षुओं का अधिकार होना चाहिए।
B.T. Act 1949: विवाद की जड़
इस विवाद की मुख्य वजह B.T. Act 1949 है, जिसके तहत महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति का गठन किया गया था। इस समिति में चार बौद्ध भिक्षु और पांच ब्राह्मण पुजारी शामिल हैं, जो मंदिर के प्रबंधन और संचालन का कार्य देखते हैं।
हाल ही में बौद्ध संगठनों और अनुयायियों ने मांग उठाई कि ब्राह्मण पुजारियों को इस समिति से हटा दिया जाए और पूरी तरह से इसका प्रबंधन बौद्ध भिक्षुओं के हाथों में सौंपा जाए। उनका कहना है कि धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत किसी अन्य धर्म के व्यक्ति को बौद्ध स्थल के प्रबंधन में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया पर बौद्ध अनुयायियों का गुस्सा
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बौद्ध समुदाय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कई बौद्ध अनुयायियों ने लिखा कि ब्राह्मण पुजारी महाबोधि महाविहार पर जबरन कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं और सरकार को तुरंत हस्तक्षेप कर इन पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
एक उपयोगकर्ता ने लिखा,
"देश में सभी पूजा स्थलों पर कब्जा करना ही इनका काम है। अब भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली और बहुजनों के सबसे पवित्र स्थल महाबोधि महाविहार पर भी कब्जा किया जा रहा है। यह अस्वीकार्य है।"
सरकार से न्याय की मांग
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ज्ञापन सौंपा गया है। ज्ञापन में मांग की गई है कि B.T. Act 1949 को निरस्त किया जाए और महाबोधि महाविहार को पूरी तरह से बौद्ध अनुयायियों को सौंपा जाए।
बौद्ध संगठनों ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है और सरकार से जल्द कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सरकार ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया, तो देशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
भविष्य में और बढ़ सकता है विवाद
इस घटना के बाद क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। कई जिलों में बौद्ध अनुयायी प्रदर्शन कर रहे हैं और महाबोधि महाविहार की पूर्ण मुक्ति की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने जल्द कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया, तो यह विवाद और भड़क सकता है और बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।
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