'चीन के बाहर जन्म लेगा मेरा उत्तराधिकारी', दलाई लामा के दावे से तिलमिलाया ड्रैगन

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अपनी नई पुस्तक 'वायस फॉर वायसलेस' में दावा किया कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर जन्म लेगा। इस बयान ने चीन को असहज कर दिया है। बीजिंग ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि दलाई लामा राजनीतिक निर्वासन में हैं और उन्हें तिब्बती जनता का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है।

Mar 12, 2025 - 07:43
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'चीन के बाहर जन्म लेगा मेरा उत्तराधिकारी', दलाई लामा के दावे से तिलमिलाया ड्रैगन

INDC Network : देश-विदेश : दलाई लामा का बड़ा दावा: चीन के बाहर होगा उत्तराधिकारी का जन्म

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपनी नई पुस्तक 'वायस फॉर वायसलेस' में एक महत्वपूर्ण दावा किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका उत्तराधिकारी एक "मुक्त संसार" में जन्म लेगा, यानी चीन के बाहर। यह पहली बार है जब उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के जन्म स्थान को लेकर इतनी स्पष्टता दिखाई है। इससे पहले, उन्होंने यह भी कहा था कि उनके साथ ही दलाई लामा की परंपरा समाप्त हो सकती है।

क्या भारत में जन्म लेगा अगला दलाई लामा?

दलाई लामा ने यह भी संकेत दिया कि उनका पुनर्जन्म भारत में हो सकता है, क्योंकि वह 1959 से यहीं रह रहे हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा,
"पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्वाधिकारी के कार्यों को आगे बढ़ाना होता है, इसलिए नया दलाई लामा एक स्वतंत्र दुनिया में जन्म लेगा। इससे तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपरा और तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं को मजबूत किया जा सकेगा।"

दलाई लामा के इस बयान से चीन की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि बीजिंग चाहता है कि उनका उत्तराधिकारी तिब्बत में ही जन्म ले और चीन के नियंत्रण में रहे।


चीन ने किया खंडन, दलाई लामा को बताया 'राजनीतिक निर्वासित'

दलाई लामा के इस दावे के तुरंत बाद चीन ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे खारिज कर दिया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मंगलवार को कहा,

"दलाई लामा राजनीतिक निर्वासन में हैं और उन्हें तिब्बती जनता का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है। उनकी धार्मिक स्थिति और उत्तराधिकारी का चयन चीन सरकार के नियंत्रण में होता है।"

चीन हमेशा से तिब्बत पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहता है और इसी कारण वह दलाई लामा की परंपरा को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है।


तिब्बत से निर्वासन और दलाई लामा का भारत आगमन

मौजूदा 14वें दलाई लामा, जिनका मूल नाम तेनजिन ग्यात्सो है, 1959 में तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ हुए असफल विद्रोह के बाद भारत आ गए थे। उस समय वे मात्र 23 वर्ष के थे और उनके साथ हजारों तिब्बती भी भारत आए थे।

दलाई लामा की प्रमुख घटनाएं:

वर्ष घटना
1959 तिब्बत में चीन के खिलाफ विद्रोह, भारत में निर्वासन
1989 दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला
2024 'वायस फॉर वायसलेस' पुस्तक में उत्तराधिकारी को लेकर बड़ा दावा

चीन ने दलाई लामा को हमेशा एक अलगाववादी नेता के रूप में देखा है, जबकि दुनियाभर में वे शांति और करुणा के प्रतीक माने जाते हैं।


चीन और तिब्बत के बीच बढ़ता तनाव

दलाई लामा के इस नए बयान ने चीन और तिब्बत के बीच पहले से चले आ रहे तनाव को और बढ़ा दिया है। चीन नहीं चाहता कि तिब्बती जनता का धार्मिक नेतृत्व उसके नियंत्रण से बाहर जाए। इसी कारण वह किसी भी नए दलाई लामा को अपने अनुसार नियुक्त करने की कोशिश कर सकता है।

क्या होगा आगे?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी वास्तव में कहां जन्म लेता है और इससे तिब्बत और चीन के संबंधों पर क्या असर पड़ता है।

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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.