भारत में बौद्ध धर्म का पतन कैसे हुआ ? कैसे विलुप्त हुआ कभी सम्राटों का संरक्षित धर्म?
भारत में बौद्ध धर्म कभी सम्राट अशोक और कनिष्क जैसे महान शासकों द्वारा संरक्षित था, लेकिन धीरे-धीरे यह अपने ही जन्मस्थान में विलुप्ति की कगार पर पहुंच गया। ब्राह्मणवाद के पुनरुत्थान, हिंदू धर्म में बौद्ध विचारधारा के समावेश, राजनीतिक समर्थन की कमी, मठों के पतन, इस्लामी आक्रमणों और बौद्ध भिक्षुओं की आंतरिक कमजोरियों ने इस धर्म को भारतीय समाज से दूर कर दिया। इस लेख में हम बौद्ध धर्म के पतन के प्रमुख कारणों को विस्तार से समझेंगे।

INDC Network : इतिहास : बौद्ध धर्म का पतन: किन वजहों से भारत में कमजोर हुआ यह महान धर्म?
1. ब्राह्मणवाद का पुनरुत्थान
बौद्ध धर्म की लोकप्रियता गुप्त काल (4वीं-6वीं शताब्दी) तक बनी रही, लेकिन धीरे-धीरे हिंदू धर्म ने अपनी खोई हुई स्थिति वापस पा ली। हिंदू धर्म के पुनरुत्थान में वेद, उपनिषद और पुराणों की बढ़ती मान्यता ने अहम भूमिका निभाई। ब्राह्मणों ने अपने धार्मिक और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाते हुए बौद्ध धर्म को एक विरोधी विचारधारा के रूप में देखना शुरू किया।
गुप्त शासकों ने ब्राह्मणवाद को पुनर्जीवित किया, जिससे बौद्ध धर्म को मिलने वाला शाही संरक्षण कमजोर पड़ने लगा। इससे बौद्ध मठों और विश्वविद्यालयों को धन और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा।
2. हिंदू धर्म में बौद्ध विचारधारा का समावेश
बौद्ध धर्म के कई प्रमुख सिद्धांत, जैसे अहिंसा, करुणा और ध्यान, हिंदू धर्म में समाहित कर लिए गए। इतना ही नहीं, भगवान बुद्ध को विष्णु के 9वें अवतार के रूप में स्थापित कर दिया गया, जिससे बौद्ध धर्म की स्वतंत्र पहचान धुंधली हो गई।
यह हिंदू धर्म की एक रणनीति थी, जिससे बौद्ध धर्म के अनुयायियों को हिंदू धर्म में समाहित किया जा सके। धीरे-धीरे, बौद्ध धर्म एक स्वतंत्र धर्म के रूप में कमजोर होता चला गया।
3. राजनीतिक संरक्षण की कमी
सम्राट अशोक और कनिष्क जैसे शासकों ने बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया था, लेकिन इनके बाद कोई बड़ा शासक इसे संपूर्ण रूप से संरक्षण नहीं दे सका। गुप्त शासकों और बाद के राजाओं ने मुख्य रूप से हिंदू धर्म को समर्थन दिया।
राजाओं की सहायता के बिना बौद्ध संघ और मठ कमजोर हो गए। चूंकि बौद्ध धर्म मुख्य रूप से भिक्षुओं और मठों पर आधारित था, इसलिए राजकीय सहायता के अभाव में यह टिक नहीं सका।
4. बौद्ध मठों में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता
बौद्ध धर्म के पतन में बौद्ध संघों की आंतरिक कमजोरियों ने भी योगदान दिया। प्रारंभ में बौद्ध भिक्षु समाज से कटकर एक अनुशासित जीवन व्यतीत करते थे, लेकिन कालांतर में कई मठ विलासिता के केंद्र बन गए।
बढ़ते धन और सुविधाओं ने कई मठों को भ्रष्ट कर दिया। कुछ भिक्षु अपने धार्मिक कर्तव्यों की बजाय संपत्ति और सुख-सुविधाओं में लिप्त हो गए। इसका असर यह हुआ कि आम जनता का विश्वास बौद्ध धर्म से उठने लगा।
5. बौद्ध धर्म की जटिलता और विभाजन
बौद्ध धर्म धीरे-धीरे दो बड़े संप्रदायों में बंट गया –
- हीनयान (थेरवाद): जो परंपरागत और अनुशासित बौद्ध धर्म पर जोर देता था।
- महायान: जिसमें बोधिसत्व की अवधारणा थी और इसे अधिक लचीला बनाया गया था।
इन दोनों धाराओं के आपसी मतभेदों ने बौद्ध धर्म को कमजोर कर दिया। महायान बौद्ध धर्म अधिक जटिल होता गया और आम जनता की समझ से बाहर होने लगा। इस वजह से बौद्ध धर्म का प्रभाव सीमित हो गया।
6. इस्लामी आक्रमण और नालंदा-विक्रमशिला का विध्वंस
12वीं शताब्दी में जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर हमला किया, तो बौद्ध धर्म को सबसे अधिक नुकसान हुआ।
- 1193 में बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया।
- हजारों बौद्ध भिक्षु मारे गए या भागने पर मजबूर हो गए।
- इससे बौद्ध धर्म के ज्ञान केंद्र हमेशा के लिए समाप्त हो गए।
इस हमले ने बौद्ध धर्म के बची-खुची शक्ति को भी पूरी तरह खत्म कर दिया।
7. बौद्ध धर्म का विदेशों में प्रसार
भारत में कमजोर होने के बावजूद, बौद्ध धर्म चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया में फैल गया। धीरे-धीरे, भारत में बौद्ध भिक्षुओं की संख्या कम होती चली गई, और यह धर्म भारत से लगभग लुप्त हो गया।
आधुनिक भारत में बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान
हालांकि, 20वीं शताब्दी में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को फिर से जीवित करने का प्रयास किया। उन्होंने 1956 में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया, जिससे नवबौद्ध आंदोलन शुरू हुआ।
आज भारत में बौद्ध धर्म के अनुयायी फिर से अपनी पहचान स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर जैसे स्थानों पर बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान की झलक देखी जा सकती है।
बौद्ध धर्म का पतन कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि यह एक धीमी और क्रमिक प्रक्रिया थी। ब्राह्मणवाद के पुनरुत्थान, राजनीतिक संरक्षण की कमी, मठों में भ्रष्टाचार, आंतरिक विभाजन और इस्लामी आक्रमणों ने मिलकर बौद्ध धर्म को कमजोर कर दिया।
हालांकि, आज भी बौद्ध धर्म भारत में जिंदा है और इसे फिर से स्थापित करने के प्रयास जारी हैं।
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