महाबोधि मंदिर पर नियंत्रण को लेकर बौद्धों और हिंदुओं के बीच विवाद बड़ा : इतिहास, आंदोलन और मांगें जानिए विस्तार से

बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर पर नियंत्रण को लेकर बौद्ध भिक्षुओं और हिंदू धर्मावलंबियों के बीच टकराव बढ़ गया है। बौद्ध भिक्षु बोधगया टेंपल एक्ट, 1949 को समाप्त करने और मंदिर पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रहे हैं। 12 फरवरी से जारी धरना प्रदर्शन को प्रशासन ने मंदिर परिसर से हटाकर एक अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है। यह मुद्दा लंबे समय से विवादों में रहा है, जिसका ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भ गहरा है।

Mar 11, 2025 - 13:25
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महाबोधि मंदिर पर नियंत्रण को लेकर बौद्धों और हिंदुओं के बीच विवाद बड़ा : इतिहास, आंदोलन और मांगें जानिए विस्तार से

INDC Network : गया, बिहार : बौद्धों और हिंदुओं में टकराव: महाबोधि मंदिर विवाद गहराया

बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर विश्वभर के बौद्ध अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। यह वही स्थान है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। इस ऐतिहासिक स्थल के प्रबंधन और स्वामित्व को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। 12 फरवरी 2025 से बौद्ध भिक्षु बोधगया टेंपल एक्ट (BT Act), 1949 को समाप्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

महाबोधि मंदिर का प्रबंधन बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी (BTMC) द्वारा किया जाता है, जिसमें हिंदू और बौद्ध दोनों समुदायों के लोग सदस्य होते हैं। इस कमिटी में चार हिंदू और चार बौद्ध सदस्य होते हैं, और अध्यक्ष पद पर गया के जिलाधिकारी (DM) होते हैं। बौद्ध भिक्षुओं का कहना है कि किसी अन्य धार्मिक स्थल पर अन्य धर्म के लोगों को प्रबंधन का अधिकार नहीं दिया जाता, फिर महाबोधि मंदिर पर हिंदू समुदाय का दखल क्यों?


बौद्ध भिक्षुओं की प्रमुख मांगें

  1. बोधगया टेंपल एक्ट, 1949 को समाप्त किया जाए।

  2. BTMC से हिंदू सदस्यों को हटाया जाए और मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह से बौद्धों को सौंपा जाए।

  3. महाबोधि मंदिर को पूरी तरह से बौद्ध धर्मावलंबियों के नियंत्रण में लाया जाए।

  4. बोधगया मठ द्वारा मंदिर पर किए जा रहे हस्तक्षेप को समाप्त किया जाए।

  5. सरकार मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करे।


इतिहास में कब-कब उठा यह मुद्दा?

साल घटना
1885 ब्रिटिश पत्रकार एडविन अर्नोल्ड ने मंदिर को बौद्धों को लौटाने की मांग उठाई।
1891 श्रीलंका के अनागरिक धर्मपाल ने महाबोधि सोसाइटी की स्थापना की और आंदोलन शुरू किया।
1922 कांग्रेस अधिवेशन में यह मुद्दा उठा, राजेंद्र प्रसाद समेत कई नेता हस्तक्षेप करने लगे।
1949 बिहार विधानसभा में बोधगया टेंपल एक्ट पास हुआ और BTMC बनी।
1992 जापान से आए बौद्ध भिक्षु सराई सुसाई ने हिंदू सदस्यों को हटाने के लिए बड़ा आंदोलन किया।
2013 बिहार सरकार ने एक्ट में संशोधन कर जिलाधिकारी के हिंदू होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी।
2025 बौद्ध भिक्षुओं ने फिर से आंदोलन छेड़ा और BT एक्ट समाप्त करने की मांग की।

हिंदू धर्मावलंबियों का पक्ष

बोधगया मठ और हिंदू धर्मावलंबी यह मानते हैं कि महाबोधि मंदिर एक साझा विरासत है। उनके अनुसार:

  1. महाबोधि मंदिर में शिवलिंग, देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थित हैं।

  2. हर साल लाखों हिंदू श्रद्धालु यहां पिंडदान करने आते हैं।

  3. बोधगया मठ ने 19वीं सदी में बौद्ध धर्मगुरुओं को यहां बसने की अनुमति दी थी।

  4. यह स्थल केवल बौद्धों का नहीं, बल्कि सनातन धर्म का भी हिस्सा है।

बोधगया मठ के कार्यकारी महंत विवेकानंद गिरी का कहना है कि - "मंदिर का इतिहास हिंदू और बौद्धों की साझी विरासत का प्रमाण है। यह विवाद कृत्रिम रूप से खड़ा किया जा रहा है।"


राजनीतिक हलचल और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

बौद्ध भिक्षुओं के इस आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मिल रहा है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, लद्दाख और अमेरिका से लोग समर्थन में आए हैं। दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी इस मुद्दे को संसद में उठाया है।

राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि - "अगर सरकार खुद को बौद्ध धर्म का संरक्षक मानती है तो उसे महाबोधि मंदिर बौद्धों को सौंप देना चाहिए।"


स्थानीय जनता क्या सोचती है?

बोधगया के स्थानीय लोग, जिनका रोज़गार मंदिर से जुड़ा है, इस विवाद से दूर रहना चाहते हैं। 20 साल से तांगा चला रहे बली सिंह ने कहा - "बुद्ध रहें या हिंदू देवता, लेकिन मंदिर रहेगा तो हमारा रोजगार चलता रहेगा।"

दुकानदार शंभू ठाकुर ने कहा - "यह मुद्दा बड़ा हो रहा है, लेकिन सरकार को इसे सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।"


अब आगे क्या?

  1. बिहार सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय लेने की स्थिति में नहीं दिख रही है।

  2. बौद्ध भिक्षु आंदोलन को और तेज़ करने की योजना बना रहे हैं।

  3. राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी रणनीति बना रहे हैं।

  4. अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संगठनों ने भारत सरकार से इस मामले में दखल देने की अपील की है।


महाबोधि मंदिर विवाद केवल एक धार्मिक स्थल के प्रबंधन का मामला नहीं, बल्कि बौद्ध और हिंदू समुदायों के बीच ऐतिहासिक स्वामित्व संघर्ष का हिस्सा है। इस विवाद का समाधान संविधान और आपसी सहमति के आधार पर ही संभव है। देखना यह होगा कि बिहार सरकार, भारत सरकार और बौद्ध संगठन मिलकर इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।


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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.