विवाद, बदलाव और विरासत: स्वामी प्रसाद मौर्य की अनकही कहानी
स्वामी प्रसाद मौर्य, उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख राजनीतिक नेता हैं, जिन्होंने विभिन्न दलों में अपने योगदान और विवादों के लिए सुर्खियां बटोरीं। उनका राजनीतिक सफर बहुजन समाज पार्टी से शुरू होकर भाजपा और फिर समाजवादी पार्टी तक पहुंचा। उनके जीवन में कई विवाद और राजनीतिक बदलाव आए, जिन्होंने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट पहचान दी।

INDC Network : जीवनी : स्वामी प्रसाद मौर्य, उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख राजनीतिक नेता हैं, जिन्होंने विभिन्न दलों में अपने योगदान और विवादों के लिए सुर्खियां बटोरीं। उनका राजनीतिक सफर बहुजन समाज पार्टी से शुरू होकर भाजपा और फिर समाजवादी पार्टी तक पहुंचा। उनके जीवन में कई विवाद और राजनीतिक बदलाव आए, जिन्होंने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट पहचान दी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म तिथि | जन्म स्थान | माता-पिता | शिक्षा |
---|---|---|---|
2 जनवरी 1954 | चकवध, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश | बदलू मौर्य और जगन्नाथी मौर्य | इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक और कला स्नातकोत्तर |
स्वामी प्रसाद मौर्य का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के चकवध गांव में हुआ। उनके पिता बदलू मौर्य और माता जगन्नाथी मौर्य एक सामान्य किसान परिवार से थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून और कला में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी शादी शिवा मौर्य से हुई और उनके दो बच्चे हैं: संघमित्रा मौर्य और उत्कृष्ट मौर्य। उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से लोकसभा सांसद हैं।
प्रारंभिक जीवन और शैक्षिक योगदानें
स्वामी प्रसाद मौर्य का जन्म 2 जनवरी 1954 को उत्तर प्रदेश के चकवध गांव में हुआ। उनके पिता बदलू मौर्य और माता जगन्नाथी मौर्य थें। उन्होंने कला यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त की और विधि स्नातक और कला स्नातक की प्राप्ति की।
कुटुंब जीवन
जन्म तिथि | स्थान |
---|---|
2 जनवरी 1954 | चकवध, उत्तर प्रदेश |
पिता | बदलू मौर्य |
माता | जगन्नाथी मौर्य |
प्रारंभिक शिक्षा | इलाहाबाद यूनिवर्सिटी |
पत्नी | शिवा मौर्य |
पुत्र | एक बेटा और की एक बेटी |
राजनीतिक करियर की शुरुआत
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी)
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपना राजनीतिक सफर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ शुरू किया। वे पांच बार विधायक रहे और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर भी काम किया। हालांकि, 2016 में उन्होंने बीएसपी पर "टिकट के लिए पैसे" मांगने का आरोप लगाकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
पद | कार्यकाल | पार्टी | टिप्पणी |
सदस्य, 13वीं विधान सभा | 1996-2002 | बीएसपी | मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री |
नेता प्रतिपक्ष | 2001 | बीएसपी | |
सदस्य, 14वीं विधान सभा | 2002-2007 | बीएसपी | |
सदन के नेता | 2002-2003 | बीएसपी |
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
जुलाई 2016 में, मौर्य ने भाजपा ज्वाइन की और 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार में श्रम और रोजगार विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। हालांकि, जनवरी 2022 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया।
पद | कार्यकाल | पार्टी | टिप्पणी |
सदस्य, 17वीं विधान सभा | 2017-2022 | भाजपा | योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री |
समाजवादी पार्टी (सपा)
2022 में, मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और पार्टी के महासचिव बनाए गए। हालांकि, 2024 में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष बने।
पद | कार्यकाल | पार्टी | टिप्पणी |
महासचिव | 2022-2024 | सपा | |
राष्ट्रीय अध्यक्ष | 2024 | राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी |
विवाद और आलोचना
रामचरितमानस विवाद
2023 में, मौर्य ने रामचरितमानस की चौपाइयों को लेकर विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने इसे दलित-विरोधी बताया। उनके समर्थकों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने की कोशिश की, जिससे हिंदू संगठनों में नाराजगी फैल गई।
वैवाहिक विवाद
2024 में, मौर्य और उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य पर एक वैवाहिक विवाद में शामिल होने के आरोप लगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
चुनावों में प्रदर्शन
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में, मौर्य फाजिलनगर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा के सुरेंद्र कुमार कुशवाहा से हार गए।
वर्ष | निर्वाचन क्षेत्र | पार्टी | जीत/हार | वोट प्राप्त |
2022 | फाजिलनगर | सपा | हार | 71,015 |
वर्तमान स्थिति
2024 में, स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाला। उन्होंने भारत की राजनीति में ओबीसी और दलित वर्गों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने का संकल्प लिया।
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