56 घंटे की कोशिशें नाकाम: बोरवेल में गिरे आर्यन को नहीं बचाया जा सका
राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में 5 साल का बच्चा आर्यन खुले बोरवेल में गिर गया। 56 घंटे लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसे बाहर निकाला गया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। घटना ने बोरवेल सुरक्षा की अनदेखी और प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं।

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राजस्थान के दौसा जिले में बोरवेल त्रासदी: 5 साल के आर्यन की मौत
घटना का विवरण
- तारीख: 9 दिसंबर 2024
- स्थान: कालीखाड़ गांव, दौसा जिला, राजस्था न
- घटना: 5 वर्षीय आर्यन दोपहर करीब 3 बजे खुले बोरवेल में गिरा।
- बोरवेल की गहराई: लगभग 160 फीट
- घटना स्थल: घर से 100 फीट की दूरी पर खेत
आर्यन अपनी मां के सामने खेलते समय खेत में बने खुले बोरवेल में गिर गया। यह बोरवेल 3 साल पहले खोदा गया था और इसमें मोटर फंसने के कारण उपयोग में नहीं था।
रेस्क्यू ऑपरेशन का विवरण
समय | कार्यवाही |
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9 दिसंबर, 3 PM | आर्यन के गिरने के बाद तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू। |
9 दिसंबर, रात 2 AM | बोरवेल के अंदर बच्चे का मूवमेंट बंद। मेडिकल टीम ने ऑक्सीजन सप्लाई जारी रखी। |
10 दिसंबर | पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पास 125 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया। |
10 दिसंबर | मशीन खराब होने से ऑपरेशन 3-4 घंटे बाधित। दूसरी मशीन मंगाई गई। |
11 दिसंबर | 150 फीट गहराई तक खुदाई और टनल बनाने की कोशिशें असफल। |
11 दिसंबर, 11 AM | प्रशासन ने बच्चे को हुक के सहारे बाहर निकालने की अनुमति दी। |
11 दिसंबर, 12 PM | आर्यन को बाहर निकाला गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित किया। |
बचाव अभियान की कठिनाइयां
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मिट्टी का धंसना: बोरवेल में मिट्टी धंसने से बच्चे पर गिर गई, जिससे रेस्क्यू जटिल हो गया।
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मशीनों की खराबी: पाइलिंग मशीन खराब हो जाने से समय व्यर्थ हुआ।
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बोरवेल की गहराई: 160 फीट गहरे बोरवेल में बच्चे को निकालना चुनौतीपूर्ण था।
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मूवमेंट बंद: घटना के कुछ घंटों बाद ही बच्चे का मूवमेंट बंद हो गया था।
माता-पिता की स्थिति
घटना के बाद से आर्यन के माता-पिता ने कुछ भी खाया-पिया नहीं। बेटे की मौत की खबर से मां का ब्लड प्रेशर बढ़ गया। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को संभालने की कोशिश की। पिता का कहना था कि वे काम से बाजार गए थे और मां के सामने ही आर्यन खेलते हुए गिर गया।
प्रशासन और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
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एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम: रेस्क्यू में जुटी रही।
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सिविल डिफेंस: बोरवेल के पास सुरंग बनाने का प्रयास किया।
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प्रशासन: दौसा कलेक्टर देवेंद्र कुमार ने पूरे ऑपरेशन की निगरानी की।
बोरवेल सुरक्षा पर सवाल
यह घटना बोरवेल सुरक्षा की अनदेखी को उजागर करती है। तीन साल से खुले पड़े बोरवेल को बंद नहीं किया गया था, जिससे यह हादसा हुआ। आर्यन की मौत ने बोरवेल सुरक्षा मानकों और प्रशासनिक तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे हादसों से बचने के लिए सख्त नियमों और जागरूकता की जरूरत है।
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