बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दिया, देश छोड़कर भागीं

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़कर चली गई हैं। सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने इस खबर की पुष्टि की है और बताया कि एक अंतरिम सरकार सत्ता संभालेगी। ढाका में उनके आधिकारिक आवास पर प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद यह घटना सामने आई है। पिछले महीने में सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर अधिकारियों की कार्रवाई के कारण करीब 300 लोगों की मौत हो गई है। विरोध प्रदर्शनों का प्रारंभ सिविल सेवा नौकरी कोटा के खिलाफ छात्रों के आंदोलन से हुआ था, जो अब शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए व्यापक सरकार विरोधी विद्रोह में बदल गया है।

Aug 5, 2024 - 16:36
Aug 9, 2024 - 18:47
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दिया, देश छोड़कर भागीं

INDC Network : बांग्लादेश : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़कर चली गई हैं। सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने इस खबर की पुष्टि की है, और बताया कि एक अंतरिम सरकार सत्ता संभालेगी।

चैनल 24 की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार दोपहर प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया। टीवी तस्वीरों में सैकड़ों लोगों को इमारत में तोड़फोड़ करते और वहां से चिकन, मछली और सब्जियां ले जाते हुए देखा गया। हालांकि, शेख हसीना के इस्तीफे और ढाका छोड़ने की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है। सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने सैन्य वर्दी और टोपी पहने हुए राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, "मैं पूरी जिम्मेदारी ले रहा हूं," हालांकि यह तुरंत स्पष्ट नहीं था कि वह कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व करेंगे या नहीं।

सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित अपने भाषण में वाकर ने कहा, "हम एक अंतरिम सरकार बनाएंगे," और यह भी कहा कि शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा, "देश को बहुत नुकसान हुआ है, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है, कई लोग मारे गए हैं - अब हिंसा को रोकने का समय आ गया है। मुझे उम्मीद है कि मेरे भाषण के बाद स्थिति में सुधार होगा।" उन्होंने बताया कि वे अंतरिम सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति से बात करेंगे और मुख्य विपक्षी दलों और नागरिक समाज के सदस्यों से बातचीत कर रहे हैं - लेकिन हसीना की अवामी लीग से नहीं।

खबरों के अनुसार, प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी बहन के साथ हेलीकॉप्टर से ढाका से रवाना हुईं। निजी जमुना टेलीविजन समाचार चैनल ने बताया कि शेख हसीना को विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध के बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस कोटा प्रणाली में 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण था।

सरकार ने पहले इंटरनेट को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया था क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने आम जनता से "ढाका तक लंबे मार्च" में शामिल होने का आग्रह किया था। हालांकि, सोमवार को करीब 1:15 बजे ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरू करने का मौखिक आदेश दिया गया।

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन: अब तक हम जो जानते हैं

  • बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़कर भाग गई हैं।
  • 2009 से सत्ता में रहीं शेख हसीना कथित तौर पर त्रिपुरा के अगरतला में उतरी हैं।
  • शेख हसीना के इस्तीफे के बाद ढाका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जहां हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
  • रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में कम से कम 98 लोगों की मौत हो गई।
  • कुछ प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के आधिकारिक आवास में घुसपैठ की है।
  • पिछले महीने में, सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर अधिकारियों की कार्रवाई के कारण करीब 300 लोगों की मौत हो गई है।
  • शुरुआत में सिविल सेवा नौकरी कोटा के खिलाफ छात्रों के विरोध के रूप में शुरू हुआ यह आंदोलन हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए एक व्यापक सरकार विरोधी विद्रोह में बदल गया है।

बांगलादेश में आन्दोलन होने के मुख्य कारण 

बांग्लादेश में हाल के आंदोलनों का मुख्य कारण राजनीतिक अस्थिरता, चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी, और मौजूदा सरकार के खिलाफ जनाक्रोश है। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर विपक्षी दलों और कई नागरिक समूहों द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह बताया जा रहा है कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों की उपेक्षा, विपक्षी दलों के खिलाफ दमनकारी नीतियों का पालन करने, और चुनावों में धांधली करने के आरोप हैं।

मुख्य कारण:

  • चुनावी धांधली और लोकतंत्र का संकट: बांग्लादेश में विपक्षी दल, विशेष रूप से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), का आरोप है कि शेख हसीना की सरकार ने पिछले चुनावों में व्यापक धांधली की है। विपक्षी दलों का कहना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित नहीं किए गए और सरकार ने सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया।
  • स्वतंत्र चुनाव आयोग की मांग: विपक्ष और नागरिक समाज ने स्वतंत्र चुनाव आयोग और तटस्थ सरकार की मांग की है, ताकि अगला चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से आयोजित किया जा सके। यह मांग इसलिए उठाई गई क्योंकि वर्तमान सरकार पर आरोप है कि वह चुनाव आयोग को प्रभावित करती है।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले: सरकार पर यह भी आरोप है कि वह आलोचकों, पत्रकारों, और विपक्षी नेताओं के खिलाफ दमनकारी नीतियां अपना रही है। डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट जैसे कानूनों का दुरुपयोग करके सरकार ने पत्रकारों और ब्लॉगरों को गिरफ्तार किया है।
  • आर्थिक संकट और मूल्य वृद्धि: देश में बढ़ती महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, और बेरोजगारी ने भी जनाक्रोश को भड़काया है। लोग सरकार से इन समस्याओं का समाधान मांग रहे हैं, लेकिन सरकार की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं।

बांग्लादेश में आंदोलनों के विभिन्न कारण समय-समय पर उभरते रहे हैं, जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक मुद्दों से संबंधित होते हैं। अक्टूबर 2023 तक के उपलब्ध ज्ञान के आधार पर, बांग्लादेश में हाल के आंदोलनों के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग: बांग्लादेश में विपक्षी दलों, विशेष रूप से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह चुनावों में धांधली करती है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं होने देती। बीएनपी और उसके सहयोगी दलों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, रैलियाँ, और हड़तालें आयोजित की हैं, जिसमें स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना और तटस्थ सरकार के तहत चुनाव कराने की मांग की गई है।
  • मूल्य वृद्धि और आर्थिक अस्थिरता: वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण, बांग्लादेश में ईंधन, खाद्य पदार्थ, और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। आम जनता और विभिन्न संगठनों ने बढ़ती महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, और जीवन यापन की बढ़ती लागत के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। इन प्रदर्शनों में सरकार से मूल्य नियंत्रण, सब्सिडी, और आर्थिक राहत की मांग की गई है।
  • मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: बांग्लादेश में पत्रकारों, ब्लॉगरों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई के मामलों में वृद्धि देखी गई है, विशेषकर डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट (डीएसए) के तहत गिरफ्तारी और मुकदमों के संदर्भ में। मानवाधिकार संगठनों, पत्रकार संघों, और नागरिक समाज ने डीएसए के दुरुपयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए हैं। वे इस कानून में संशोधन या इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके।
  • पर्यावरणीय मुद्दे: बांग्लादेश में विभिन्न विकास परियोजनाओं, जैसे रामपाल कोयला बिजली संयंत्र, के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव के खिलाफ भी आंदोलन हुए हैं।  पर्यावरणविदों, स्थानीय समुदायों, और नागरिक संगठनों ने इन परियोजनाओं के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं, यह दावा करते हुए कि वे सुंदरबन जैसे विश्व धरोहर स्थलों और स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाएंगे।
  • श्रमिक अधिकार: गारमेंट फैक्ट्री वर्कर्स और अन्य श्रमिकों ने अपने वेतन, कार्य परिस्थितियों, और अन्य अधिकारों को लेकर भी आंदोलन किए हैं। श्रमिक संघों ने बेहतर वेतन, सुरक्षित कार्य परिस्थितियों, और श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए रैलियाँ और हड़तालें आयोजित की हैं।

इन आंदोलनों के पीछे मुख्य रूप से सामाजिक न्याय, आर्थिक स्थिरता, राजनीतिक पारदर्शिता, और मानवाधिकारों की सुरक्षा की मांगें हैं। बांग्लादेश की सरकार और संबंधित प्राधिकरण इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं, लेकिन कई मामलों में विरोध और मांगें जारी हैं। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि आंदोलन और उनके कारण समय के साथ बदलते रहते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए वर्तमान समाचार स्रोतों का संदर्भ लेना उचित होगा।

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