निर्मला सीतारमण ने बताया पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी : पॉपकॉर्न पर शुरू हो गया नया विवाद
भारत में जीएसटी परिषद ने पॉपकॉर्न पर अलग-अलग टैक्स दरें लगाने का निर्णय लिया, जिसके चलते विवाद उत्पन्न हुआ। सोशल मीडिया पर मीम्स और आलोचना का दौर जारी है। विशेषज्ञ और विपक्ष ने इसे जीएसटी प्रणाली की जटिलता को बढ़ाने वाला कदम बताया।

INDC Network : बिजनेस : निर्मला सीतारमण ने बताया पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी : पॉपकॉर्न पर शुरू हो गया नया विवाद
पॉपकॉर्न टैक्स विवाद: विशेषज्ञों और जनता की उलझन
पॉपकॉर्न, जो फिल्मी रातों, पार्टियों, और हल्के-फुल्के मनोरंजन का अहम हिस्सा है, अब टैक्स विवाद का केंद्र बन गया है। जीएसटी परिषद के इस फैसले ने न केवल जनता बल्कि विशेषज्ञों को भी उलझन में डाल दिया है।
टैक्स दरों का विभाजन:
जीएसटी परिषद द्वारा पॉपकॉर्न पर निम्नलिखित दरें लागू की गई हैं:
विभाग | टैक्स दर | टैक्स का कारण |
---|---|---|
सादा पॉपकॉर्न (नमकीन) | 5% | सामान्य मसाले और बिना ब्रांड के पैकेजिंग पर |
पैक और लेबल वाला पॉपकॉर्न | 12% | ब्रांडिंग और प्री-पैक होने की वजह से |
कैरामेलाइज्ड पॉपकॉर्न | 18% | चीनी सामग्री के कारण इसे मिठाई में वर्गीकृत किया गया |
वित्त मंत्री का तर्क
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि चीनी मिलाए गए उत्पादों पर अलग टैक्स लगाया जाता है। कैरामेलाइज्ड पॉपकॉर्न को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
आलोचना और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया
विशेषज्ञों की राय
- के वी सुब्रमण्यन (पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार): "जटिलता नागरिकों के लिए मुसीबत है, जबकि इसका राजस्व पर नगण्य प्रभाव पड़ेगा।"
- अरविंद सुब्रमण्यन (पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार): "यह कदम जटिलता और अनुपालन में कठिनाई बढ़ाने वाला है।"
विपक्ष की प्रतिक्रिया
- कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, "तीन अलग-अलग टैक्स स्लैब जीएसटी प्रणाली की जटिलता को उजागर करते हैं।"
सोशल मीडिया मीम्स
- "साल्ट कैरामेल पॉपकॉर्न पैकेट पर टैक्स दर का गणित समझने में टैक्स अधिकारी भी उलझ जाएंगे।"
विवादों की परंपरा
जीएसटी प्रणाली पहले भी वर्गीकरण को लेकर विवादों में रही है।
- चपाती बनाम पराठा
- दही और योगर्ट पर अलग-अलग दरें
- क्रीम बन बनाम अलग से परोसी क्रीम और बन
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि "जीएसटी परिषद ने एक विशेष प्रश्न के जवाब में यह निर्णय लिया।"
जनता के लिए क्या मतलब?
जीएसटी का उद्देश्य "गुड और सिंपल टैक्स" था, लेकिन हालिया फैसले से इसकी जटिलता पर सवाल उठ रहे हैं।
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