रुपये का पतन और डॉलर का उभार: अर्थव्यवस्था पर क्या है इसका प्रभाव? 85 रुपए के बराबर 1 डॉलर

डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। तेल, कच्चे माल, और अन्य आयात महंगे हो जाते हैं, जिससे व्यापार घाटा और मुद्रास्फीति बढ़ती है। हालांकि, आईटी, फार्मा और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों को फायदा होता है।

Dec 4, 2024 - 15:43
Dec 4, 2024 - 15:46
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रुपये का पतन और डॉलर का उभार: अर्थव्यवस्था पर क्या है इसका प्रभाव? 85 रुपए के बराबर 1 डॉलर

INDC Network : बिजनेस : रुपये का गिरना और डॉलर का चढ़ना

यात्रा के शौकीन मिस्टर नोमैड की कहानी से समझें कि कैसे मुद्रा दरें तय होती हैं। एक दिन, उन्होंने देखा कि $1 = ₹83 था, लेकिन अगले दिन यह बढ़कर ₹84 हो गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि डॉलर की मांग बढ़ गई। यही मुद्रा के गिरने और चढ़ने का सीधा गणित है। जब डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य घटता है, तो इसे रुपये का "गिरना" या "मूल्यह्रास" कहते हैं।


रुपये का गिरना: कौन हारता है?

  1. तेल आयात और व्यापार घाटा
    भारत अपने 87% तेल आयात पर निर्भर है। FY24 में तेल आयात का खर्च $134 बिलियन था। डॉलर मजबूत होने से यह बिल बढ़ता है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ता है।

  2. मुद्रास्फीति का दबाव
    भारत एक नेट आयातक देश है, और एक मजबूत डॉलर आयात को महंगा बनाता है। नतीजतन, कच्चा माल, उर्वरक, और पेट्रोल जैसे वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिससे मुद्रास्फीति तेज हो जाती है।

  3. डॉलर में कर्ज चुकाने वाली कंपनियां
    जिन कंपनियों ने डॉलर में कर्ज लिया है, उन्हें ज्यादा रुपये देकर कर्ज चुकाना पड़ता है। भारत का बाहरी कर्ज जून 2024 में $682 बिलियन तक पहुंच गया। एक मजबूत डॉलर कर्ज का बोझ और बढ़ा देता है।

  4. मुद्रा युद्ध और क्षेत्रीय प्रभाव
    अगर अमेरिका चीन पर व्यापार शुल्क बढ़ाता है, तो चीनी मुद्रा कमजोर हो सकती है। इसका असर अन्य एशियाई बाजारों और भारत पर भी पड़ सकता है।

प्रभाव क्षेत्र विवरण परिणाम
तेल आयात डॉलर महंगा होने से आयात लागत बढ़ती है व्यापार घाटा और मुद्रास्फीति बढ़ती है
कर्ज चुकौती डॉलर आधारित कर्ज महंगा होता है वित्तीय दबाव और ऋण चुकाने में मुश्किल
मुद्रास्फीति महंगे आयात से वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं आर्थिक असंतुलन
क्षेत्रीय मुद्राएं चीनी युआन में गिरावट से क्षेत्रीय मुद्राओं पर दबाव एशियाई बाजार प्रभावित

रुपये का गिरना: कौन जीतता है?

  1. आईटी और फार्मा सेक्टर
    भारतीय आईटी और फार्मा कंपनियां अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा विदेश से कमाती हैं। डॉलर मजबूत होने पर उनकी आय रुपये में बदलने पर बढ़ जाती है।

  2. टेक्सटाइल सेक्टर
    रुपये का गिरना भारतीय वस्त्र उत्पादों को वैश्विक बाजार में सस्ता और प्रतिस्पर्धी बनाता है। "चाइना+1" रणनीति के चलते, भारत को नए खरीदार मिल रहे हैं।

  3. निर्यातक
    निर्यातकों को रुपये के गिरने से फायदा होता है, क्योंकि उनके उत्पाद सस्ते होकर अधिक आकर्षक हो जाते हैं।

लाभ प्राप्त क्षेत्र विवरण परिणाम
आईटी और फार्मा डॉलर में कमाई बढ़ने से रुपये में अधिक रेवेन्यू कंपनियों का मुनाफा बढ़ता है
टेक्सटाइल रुपये का गिरना वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाता है नए ऑर्डर और आय में बढ़ोतरी
निर्यात निर्यात सस्ता होने से मांग में वृद्धि निर्यातक को अधिक लाभ

रुपये का गिरना: व्यापक प्रभाव

डॉलर के बढ़ने के पीछे अमेरिकी नीतियां जिम्मेदार हैं। ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियां, जैसे कि सरकारी खर्च बढ़ाना, वित्तीय नियमों में छूट और टैक्स कटौती, डॉलर को मजबूत बनाती हैं। इसके अलावा, फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी निवेशकों को डॉलर की ओर आकर्षित करती है।


  • रुपये का गिरना और डॉलर का बढ़ना जटिल परिदृश्य है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डालता है। जहां कुछ क्षेत्रों को लाभ होता है, वहीं आयातकों और कर्ज लेने वालों को बड़ा झटका लगता है।

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