भारत में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पर चर्चा: समर्थन और विरोध में देश विभाजित

'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल लोकसभा में पेश किया गया, जिसमें देश की 32 पार्टियां समर्थन में और 15 पार्टियां विरोध में हैं। बिल का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। सरकार इसे विकास और संसाधनों की बचत का माध्यम मानती है, जबकि विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहा है।

Dec 17, 2024 - 10:33
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भारत में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पर चर्चा: समर्थन और विरोध में देश विभाजित

INDC Network : नई दिल्ली : भारत में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पर चर्चा: समर्थन और विरोध में देश विभाजित

वन नेशन, वन इलेक्शन': क्या है इस बिल की प्रस्तावना?

'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। इससे चुनावों पर होने वाले खर्च को कम करने, सुरक्षा बलों की तैनाती को प्रभावी बनाने और विकास कार्यों में रुकावट को खत्म करने का दावा किया गया है।

कैबिनेट की स्वीकृति और संसद में पेशी

यह बिल 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृत किया गया और 19 दिसंबर को लोकसभा में पेश हुआ। यह संविधान संशोधन बिल भी सूचीबद्ध किया गया है।


बिल का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले दलों की सूची

समर्थन करने वाले 32 दल

पार्टी का नाम पार्टी का नाम
भारतीय जनता पार्टी (BJP) मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF)
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
जद (यू) असम गण परिषद (AGP)
आपना दल राष्ट्रवादी लोक जनशक्ति पार्टी
तमिल मनीला कांग्रेस (TMC) महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक प्रगतिशील पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले)
शिवसेना (शिंदे गुट) गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट

विरोध करने वाले 15 दल

पार्टी का नाम पार्टी का नाम
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)
आम आदमी पार्टी (AAP) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
बहुजन समाज पार्टी (BSP) ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM)
तृणमूल कांग्रेस (TMC) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M))
समाजवादी पार्टी (SP) नागा पीपुल्स फ्रंट
विदुथलाई चिरुथाईगल काची (VCK) सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया

समर्थन के पक्ष में क्या कहती है सरकार?

  • चुनावों का इतिहास:
    भाजपा सांसदों ने तर्क दिया कि 1966 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे।
  • विकास पर प्रभाव:
    भाजपा सांसद सुधाकर ने कहा कि इस व्यवस्था से समय और संसाधनों की बचत होगी, जो विकास कार्यों में मदद करेगा।
  • सुरक्षा बलों का उपयोग:
    सांसद बृजलाल ने कहा कि सालभर चुनाव कराने से सुरक्षा बलों पर दबाव पड़ता है।

विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध?

  • लोकतंत्र के लिए खतरा:
    कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इसे "तानाशाही" करार दिया।
  • संविधान के मूल तत्व:
    सीपीआई(एम) नेता एमवाई तारीगामी ने कहा कि यह देश की विविधता और एकता को नुकसान पहुंचाएगा।
  • संसदीय समिति की मांग:
    बीजद सांसद सस्मित पात्रा ने इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति बनाने की सिफारिश की।

क्या कहती है हाई-लेवल कमेटी?

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने इसे दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की है।

  1. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ।
  2. पंचायत और नगर निगम चुनाव आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर।

साथ ही, समिति ने सभी चुनावों के लिए एक सामान्य मतदाता सूची बनाने की भी सलाह दी है।


  • 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पर देश के राजनीतिक दलों की राय बंटी हुई है। जहां सरकार इसे संसाधन बचाने और विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक मान रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर हमला बता रहा है।

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