मोदी सरकार का जाति जनगणना पर मास्टरस्ट्रोक: क्या बदलने वाली है देश की सियासत?

मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को हरी झंडी देकर देश की राजनीति में बड़ा बदलाव संकेतित किया है। यह फैसला न केवल सामाजिक न्याय की बहस को फिर से जीवंत करेगा बल्कि विपक्ष की मांगों और सत्ताधारी दल की रणनीति के बीच टकराव भी बढ़ाएगा। CCPA की बैठक में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी समेत कैबिनेट के प्रमुख मंत्री शामिल रहे। वहीं, विपक्षी नेता अखिलेश यादव ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में जरूरी कदम बताया है। कांग्रेस की भूमिका को लेकर भी तीखी बहस जारी है।

Apr 30, 2025 - 17:34
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मोदी सरकार का जाति जनगणना पर मास्टरस्ट्रोक: क्या बदलने वाली है देश की सियासत?

INDC Network : भारत : मोदी सरकार का बड़ा फैसला: अब जनगणना में होगी जातियों की भी गणना

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बड़ा और बहुप्रतीक्षित निर्णय लेते हुए जातिगत जनगणना को आगामी राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा बनाने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जातिगत गणना पारदर्शी और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रहे।


CCPA की बैठक में बनी सहमति, 'सुपर कैबिनेट' ने दी मंजूरी

राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCPA), जिसे 'सुपर कैबिनेट' भी कहा जाता है, ने इस फैसले पर मुहर लगाई है। इस कमेटी की अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री मोदी करते हैं और इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल जैसे बड़े नेता शामिल हैं।


अश्विनी वैष्णव का विपक्ष पर तीखा हमला

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए विपक्ष, खासतौर पर कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा जातियों का प्रयोग केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए किया है।

"2010 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने जाति जनगणना के मुद्दे को टाल दिया था जबकि अधिकांश राजनीतिक दल इसके पक्ष में थे," - अश्विनी वैष्णव

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने गैर-पारदर्शी और राजनीति प्रेरित सर्वेक्षण कर सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है। अब ज़रूरत है कि इसे केंद्रीय जनगणना के हिस्से के तौर पर वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।


क्या है जातिगत जनगणना और क्यों है यह जरूरी?

जातिगत जनगणना का सीधा अर्थ है कि जनगणना में हर व्यक्ति से उसकी जाति की जानकारी ली जाए। अभी तक जनगणना में धर्म, लिंग, भाषा जैसी सूचनाएं ली जाती रही हैं, लेकिन जाति को लेकर कोई आधिकारिक डेटा नहीं था। यह डेटा सामाजिक योजनाओं, आरक्षण नीति, और सामाजिक न्याय के दावों की आधारशिला हो सकता है।

बिहार सरकार ने हाल ही में इस दिशा में पहल करते हुए अपनी जातिगत गणना कराई थी, जिससे इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर मांग तेज हुई।


अखिलेश यादव का समर्थन, ओडिशा से छेड़ी सामाजिक न्याय की नई लड़ाई

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ओडिशा दौरे के दौरान स्पष्ट कहा कि जाति जनगणना के बिना सामाजिक न्याय की कल्पना अधूरी है। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्रीकांत जेना से मुलाकात की और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए जागरूकता फैलाने की बात की।

“संविधान अगर कमजोर होगा तो लोकतंत्र भी कमजोर होगा,” - अखिलेश यादव

उन्होंने आगे कहा कि ओडिशा जैसे राज्यों में पिछड़े वर्गों को शिक्षा और रोजगार में उनके संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं, और यह बदलाव जाति जनगणना से ही शुरू हो सकता है।


ईडी और कांग्रेस पर तंज

अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ईडी का गठन कांग्रेस ने किया था, और आज उसी संस्था से कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश में पहले से कई आर्थिक अपराध जांच एजेंसियां हैं, तो फिर ईडी की जरूरत क्यों?


क्या कांग्रेस में शामिल होंगे श्रीकांत जेना?

अखिलेश यादव और श्रीकांत जेना की मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कई अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या जेना कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल होंगे। हालांकि जेना ने स्पष्ट किया कि वे कांग्रेस में ही हैं और सामाजिक न्याय की लड़ाई में सभी दलों को एक साथ आना चाहिए।


भाजपा की प्रतिक्रिया: अखिलेश पर हमलावर भाजपा

ओडिशा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन समल ने अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब थी और उन्होंने अराजकता और जातिगत राजनीति को बढ़ावा दिया।


जाति जनगणना: आने वाले चुनावों में बनेगा बड़ा मुद्दा?

विशेषज्ञों की मानें तो यह फैसला लोकसभा चुनाव 2024 के बाद का सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो सकता है। जातिगत आंकड़ों की उपलब्धता से न केवल राजनीतिक दलों की रणनीतियां बदलेंगी, बल्कि आरक्षण नीति और सामाजिक योजनाएं भी प्रभावित होंगी।


जाति जनगणना पर मोदी सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से भारत की राजनीति, समाज और नीतिगत योजना को नई दिशा देगा। जहां एक ओर यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, वहीं विपक्ष और सत्ताधारी दलों के बीच इस पर राजनीतिक संग्राम तेज होना तय है।

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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.