गंगा स्नान में दोस्तों संग गया किशोर लापता, एक घंटे बाद मिला शव, मचा कोहराम
फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर गंगा स्नान करने गए पांच किशोरों में से एक, 16 वर्षीय कृष की डूबने से मौत हो गई। गोताखोरों ने एक घंटे की तलाश के बाद उसका शव पानी से निकाला। हादसे से इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है।

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : गंगा स्नान बना मौत का सफर: पांचाल घाट पर किशोर की डूबने से मौत, चार दोस्त बचे
फर्रुखाबाद जिले के ऐतिहासिक पांचाल घाट पर गंगा स्नान के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया। लकूला गिहार बस्ती निवासी 16 वर्षीय किशोर कृष सुभाष गिहार, रविवार को अपने चार दोस्तों के साथ गंगा स्नान के लिए गया था।

पैंटून पुल के पास हुआ हादसा
बताया जा रहा है कि सभी दोस्त गंगा में नहा रहे थे कि तभी कृष गहरे पानी में चला गया। पैंटून पुल के पास तेज बहाव और गहराई की जानकारी न होने के कारण वह खुद को संभाल नहीं सका और डूबने लगा। साथ गए दोस्तों ने जब उसे डूबते देखा, तो शोर मचाया और मदद के लिए पुकारा।
गोताखोरों ने निकाला शव, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी
स्थानीय लोग शोर सुनकर मौके पर पहुंचे और तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। गोताखोरों की टीम को भी बुलाया गया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद कृष का शव पानी से बाहर निकाला गया।
उसे तत्काल लोहिया जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर वैभव यादव ने उसे मृत घोषित कर दिया।
एक साथ उतरे थे पांच दोस्त, तीन को सकुशल निकाला गया
घटना के समय कृष के साथ चार अन्य दोस्त भी नहा रहे थे, जिनमें से तीन को गोताखोरों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इनमें से एक दोस्त अंकित ने बताया कि वे सभी सुबह ही गंगा स्नान के लिए पांचाल घाट पहुंचे थे।
नहाते वक्त कृष अचानक गहराई में चला गया और डूबने लगा। वह अच्छे से तैरना नहीं जानता था, जबकि बाकी दोस्तों को किसी तरह गोताखोरों ने बचा लिया।
इलाके में मातम, पुलिस कर रही जांच
किशोर की मौत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। कृष अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। घटना की जानकारी मिलते ही कादरीगेट थाना पुलिस मौके पर पहुंची और पूछताछ शुरू की। पुलिस का कहना है कि मामला प्रथम दृष्टया दुर्घटना का लग रहा है, लेकिन पूरी जांच के बाद ही निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा।
घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या गंगा स्नान के दौरान सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं? घाटों पर चेतावनी बोर्ड या लाइफ गार्ड की कमी आज भी लोगों की जान पर भारी पड़ रही है।
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