कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा : 1984 सिख दंगों में बाप-बेटे की हत्या
1984 सिख विरोधी दंगों में दोषी पाए गए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उन्हें सरस्वती विहार इलाके में एक नवंबर 1984 को पिता-पुत्र की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। सज्जन कुमार को हत्या, दंगा, गैरकानूनी तरीके से भीड़ जुटाने और अन्य अपराधों के तहत 12 फरवरी 2025 को दोषी करार दिया गया था। इससे पहले 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 587 एफआईआर दर्ज हुई थीं, जिनमें 2,733 लोग मारे गए थे। इन मामलों में कई को बंद कर दिया गया, और कुछ में आरोपी बरी हो गए। सज्जन कुमार की तरह जगदीश टाइटलर और कमल नाथ पर भी आरोप लगे हैं, और अब उनके मामलों पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है।

INDC Network : नई दिल्ली : नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 587 एफआईआर दर्ज हुई थीं, जिनमें 2,733 लोग मारे गए थे। इन मामलों में कई को बंद कर दिया गया, और कुछ में आरोपी बरी हो गए। सज्जन कुमार की तरह जगदीश टाइटलर और कमल नाथ पर भी आरोप लगे हैं, और अब उनके मामलों पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है।
सज्जन कुमार को मिली सजा: कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 1984 के दंगों में निर्दोष लोगों की हत्या की गई और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिला, जिसके कारण न्याय में देरी हुई। अदालत ने कहा कि सज्जन कुमार 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और बीमार हैं, इसलिए उन्हें फांसी की सजा नहीं दी जा सकती।
1984 दंगों में सज्जन कुमार की भूमिका
- सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप
- सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या में शामिल
- भीड़ को उकसाने, गैरकानूनी सभा करने और दंगे फैलाने के अपराध
- पहले भी आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी, अब दूसरी बार उम्रकैद
1984 सिख दंगे: क्या कहती है जांच रिपोर्ट?
1984 के दंगों की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार:
जांच के पहलू | संबंधित आंकड़े |
---|---|
एफआईआर की संख्या | 587 |
मारे गए लोगों की संख्या | 2,733 |
अज्ञात बताकर बंद किए गए मामले | 240 |
बरी हुए आरोपी | 250 |
दोषसिद्ध मामलों की संख्या | 28 |
दोषी ठहराए गए लोग | 400 |
हत्या के दोषी सज्जन कुमार समेत | 50 |
अब जगदीश टाइटलर और कमल नाथ की बारी?
दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों से 35 साल से बंद पड़े मामले फिर से खोले गए। अब जगदीश टाइटलर और कमल नाथ के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
सिख नेता गुरलाद सिंह ने फैसले पर असंतोष जताते हुए कहा, "हम सिर्फ उम्रकैद नहीं चाहते, हमें फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं!"
मामले का कानूनी सफर: कब-कब क्या हुआ?
तारीख | घटनाक्रम |
---|---|
1991 | मामले में पहली एफआईआर दर्ज हुई |
8 जुलाई 1994 | अभियोजन के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले |
12 फरवरी 2015 | सरकार ने एसआईटी का गठन किया |
21 नवंबर 2016 | एसआईटी ने आगे की जांच की सिफारिश की |
6 अप्रैल 2021 | सज्जन कुमार को गिरफ्तार किया गया |
5 मई 2021 | दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की |
26 जुलाई 2021 | कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया |
1 अक्तूबर 2021 | आरोपों पर दलीलें शुरू हुईं |
16 दिसंबर 2021 | हत्या, दंगा और अन्य अपराधों के आरोप तय किए गए |
31 जनवरी 2024 | अंतिम दलीलें शुरू हुईं |
8 नवंबर 2024 | कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा |
12 फरवरी 2025 | कोर्ट ने सज्जन कुमार को दोषी ठहराया |
25 फरवरी 2025 | उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई |
फैसले का प्रभाव और आगे की संभावनाएँ
सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा मिलने से सिख समुदाय में आंशिक संतोष है, लेकिन कई लोग चाहते हैं कि उन्हें फांसी दी जाए।
इस फैसले से अन्य दोषियों पर भी कड़ी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है। अब सभी की नजरें जगदीश टाइटलर और कमल नाथ पर टिकी हैं।
What's Your Reaction?






