लखनऊ न्यूज़ -लग्जरी गाड़ियों से अपराध, हाई-टेक लखनऊ पुलिस बेबस: अपराधियों पर शिकंजा ढीला
लखनऊ में बढ़ते अपराध और पुलिस की नाकामी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लग्जरी गाड़ियों से आए अपराधियों ने सर्वोदयनगर में दिनदहाड़े प्रॉपर्टी डीलर को गोलियों से छलनी कर दिया, जबकि हाई-टेक कही जाने वाली पुलिस अब तक अपराधियों के मोबाइल ऑन होने का इंतजार कर रही है। यह घटना लखनऊ पुलिस की जांच प्रणाली और तकनीकी निर्भरता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है।

INDC Network : लखनऊ, उत्तर प्रदेश : लग्जरी गाड़ियों से आए दबंग, पुलिस को बना गए मुंहदेखता
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, एक ओर जहां स्मार्ट सिटी और हाई-टेक पुलिसिंग का दावा कर रही है, वहीं अपराधी इन दावों की पोल खोलते नज़र आ रहे हैं। ताजा मामला सर्वोदयनगर का है, जहां प्रॉपर्टी डीलर पर बदमाशों ने दिनदहाड़े गोलियां चला दीं और आराम से फरार हो गए।

सर्वोदयनगर बना शूटआउट का गवाह
घटना लखनऊ के पॉश इलाकों में से एक सर्वोदयनगर की है। चश्मदीदों के अनुसार, दो लग्जरी गाड़ियाँ अचानक मौके पर आकर रुकीं। उनमें से उतरे चार-पांच बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। प्रॉपर्टी डीलर पर हुई यह फायरिंग पूरी तरह से नियोजित लगती है।
पुलिस इंतज़ार में: ‘मोबाइल ऑन होगा, तभी कुछ होगा’
इस हमले के बाद पुलिस की कार्रवाई ने आमजन को निराश किया है। पीड़ित परिवार और आसपास के लोगों ने बताया कि पुलिस अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए मोबाइल ऑन होने का इंतजार कर रही है। सवाल यह उठता है कि जब अपराधी टेक-सैवी हैं, तो क्या पुलिस को भी उतनी ही तेज़ी से काम नहीं करना चाहिए?
हाई-टेक पुलिसिंग के दावे फेल?
लखनऊ पुलिस के पास सीसीटीवी, कॉल डिटेल्स, लोकेशन ट्रैकिंग जैसी तमाम आधुनिक सुविधाएं हैं। लेकिन इन सबके बावजूद जब अपराधी खुलेआम गोलीबारी कर रहे हैं और पुलिस केवल तकनीकी इनपुट पर निर्भर होकर हाथ पर हाथ धरे बैठी है, तो तकनीकी पुलिसिंग का औचित्य सवालों में आ जाता है।
क्या लग्जरी गाड़ियाँ पुलिस की कमजोरी हैं?
इस घटना ने एक नया ट्रेंड सामने रखा है—अपराधी अब लग्जरी गाड़ियों का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी पहचान और ट्रेसिंग मुश्किल हो जाती है। नंबर प्लेट भी कई बार फर्जी पाई जाती है। पुलिस के पास ऐसा कोई विशेष तंत्र नहीं दिखता जो ऐसे वाहनों को रोक सके या तुरंत ट्रैक कर सके।
आम जनता में डर का माहौल
इस गोलीबारी की घटना के बाद से सर्वोदयनगर और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल है। लोग कहते हैं कि अगर पॉश इलाकों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्या अपराधियों के हौसले बुलंद हैं?
लगातार ऐसे मामलों में पुलिस की नाकामी अपराधियों को और अधिक बेखौफ बना रही है। अपराधी जानते हैं कि उन्हें पकड़ने की प्रक्रिया में ढील है और टेक्नोलॉजी पर निर्भरता का फायदा उठाया जा सकता है। इसीलिए वे न सिर्फ बेखौफ अपराध करते हैं, बल्कि फरार होने के भी ठोस इंतजाम रखते हैं।
विशेषज्ञों की राय: पुलिसिंग में ज़मीनी पकड़ ज़रूरी
पूर्व डीजीपी और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पुलिस अपने ज़मीनी नेटवर्क को मज़बूत नहीं करती और केवल तकनीकी साधनों पर निर्भर रहती है, तब तक अपराधियों पर लगाम लगाना मुश्किल है। थानों को सूचना नेटवर्क, मुखबिर सिस्टम और त्वरित रिस्पांस यूनिट से लैस करना ज़रूरी है।
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