शामली न्यूज़ - शामली की महिला को मातृत्व सुख से किया वंचित, चिकित्सक पर दो लाख का जुर्माना
शामली जिला उपभोक्ता आयोग ने महिला की डिलीवरी के दौरान लापरवाही बरतने पर निजी महिला चिकित्सक डॉ. अनुपमा बहल पर दो लाख रुपये जुर्माना लगाया है। पीड़िता के अनुसार, ऑपरेशन में हुई लापरवाही से नवजात की मृत्यु हो गई और उसका भविष्य में गर्भधारण करना असंभव बताया गया। आयोग ने दोषपूर्ण सेवा और गंभीर उपेक्षा को जिम्मेदार मानते हुए यह निर्णय दिया।

INDC Network : शामली, उत्तर देश : न्याय की जीत: चिकित्सकीय लापरवाही पर दो लाख का अर्थदंड
शामली जिले में एक महिला की डिलीवरी के दौरान हुई चिकित्सकीय लापरवाही ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग शामली ने इस गंभीर प्रकरण में निजी महिला चिकित्सक डॉ. अनुपमा बहल को दोषी ठहराते हुए दो लाख रुपये का अर्थदंड अधिरोपित किया है। इस मामले में महिला की डिलीवरी के दौरान गंभीर लापरवाही के चलते उसका नवजात शिशु छह दिन बाद चल बसा, और पीड़िता को जीवन भर के लिए मातृत्व से वंचित कर दिया गया।

घटना का विवरण: डिलीवरी बनी अभिशाप
झिंझाना कस्बे की निवासी शहजादी पत्नी हारुन ने आयोग में आरोप लगाया कि 13 जनवरी 2017 को शामली के कैराना रोड स्थित बहल नर्सिंग होम में उसे भर्ती किया गया था। महिला चिकित्सक डॉ. अनुपमा बहल और उनके स्टाफ ने यह कहकर भर्ती किया कि वे सुरक्षित डिलीवरी करेंगे। लेकिन उसी दिन लापरवाही से ऑपरेशन कर दिया गया, जिसमें महिला ने एक नवजात को जन्म दिया, लेकिन छह दिन बाद नवजात की मृत्यु हो गई।
संक्रमण और उपेक्षा ने छीना मातृत्व सुख
शहजादी ने अपने आरोप में बताया कि ऑपरेशन के बाद उसके पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया, लेकिन नर्सिंग होम ने कोई उचित उपचार नहीं दिया। इसके बावजूद उनसे एक लाख रुपये की मोटी रकम वसूल की गई। बाद में जब स्थिति गंभीर हो गई, तो परिजन उसे 18 जनवरी को मुकेश नर्सिंग होम लेकर गए। वहां आठ-नौ दिन तक इलाज चला, लेकिन डॉ. मुकेश गर्ग ने भी उसे न तो रेफर किया और न ही प्रभावी उपचार दिया।
पीजीआई रोहतक में हुआ सच का खुलासा
परिजनों ने महिला को 7 फरवरी को हरियाणा के पं. बीडी शर्मा पीजीआईएमएस रोहतक में भर्ती कराया। वहां चार महीने तक इलाज चला। डॉक्टरों ने बताया कि खराब ऑपरेशन के कारण वह भविष्य में गर्भधारण नहीं कर सकती। यदि उसने ऐसा किया तो उसकी जान को खतरा होगा। इस दर्दनाक स्थिति में उसका पहले से एक चार वर्ष का पुत्र है।
आयोग का सख्त फैसला
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता ने महिला की शिकायत पर डॉ. अनुपमा बहल और डॉ. मुकेश गर्ग को दोषी माना। उन्होंने महिला चिकित्सक को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक क्षति के लिए दो लाख रुपये और डॉ. मुकेश गर्ग को 50 हजार रुपये तथा वाद खर्च के 10 हजार रुपये पीड़िता को अदा करने का आदेश दिया।
अर्थदंड का पैसा नहीं मिलेगा वादी को
आयोग ने डॉ. अनुपमा बहल पर दो लाख रुपये का अतिरिक्त अर्थदंड भी अधिरोपित किया, जो कि राजकोष में जमा किया जाएगा। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह अर्थदंड दोषपूर्ण सेवा, घोर लापरवाही और चिकित्सा सेवा में उपेक्षा के लिए लगाया गया है।
आयोग की टिप्पणी: भविष्य में भी हो सकता है बड़ा खतरा
अपने आदेश में आयोग ने कहा कि महिला चिकित्सक की लापरवाही के कारण पीड़िता को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक कष्ट सहना पड़ा है। पीड़िता अब मातृत्व सुख से वंचित हो चुकी है, और डॉ. मुकेश गर्ग ने उसे गंभीर हालत में हायर सेंटर न भेजकर उसकी स्थिति और बिगाड़ दी।
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