झांसी मेडिकल कॉलेज की दिल दहला देने वाली आग: 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में आग लगने से 10 मासूम नवजातों की जान चली गई। हादसे के दौरान 55 नवजात वार्ड में भर्ती थे, जिनमें से 45 को बचा लिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये सहायता देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई है।

INDC Network : झांसी, उत्तर प्रदेश : झांसी मेडिकल कॉलेज की दिल दहला देने वाली आग: 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत
भीषण आग से कोहराम
शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में आग लगने से चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, एनआईसीयू वार्ड से पहले धुआं निकलता दिखा और फिर तेज लपटें उठने लगीं। आग ने कुछ ही मिनटों में पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया।
10 मासूमों की दर्दनाक मौत
आग लगने के समय वार्ड में 55 नवजात शिशु भर्ती थे। इनमें से 45 को बचा लिया गया, लेकिन 10 बच्चों की झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई। इस घटना से अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया। परिजन रोते-बिलखते अपने बच्चों को बचाने की गुहार लगाते रहे।
दमकल और सेना ने संभाला मोर्चा
आग की सूचना मिलते ही करीब 15 दमकल गाड़ियां और सेना के जवान घटनास्थल पर पहुंचे। संयुक्त प्रयासों से आग पर काबू पाया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सचिन माहौर ने बताया कि एनआईसीयू में अत्यधिक ऑक्सीजन होने के कारण आग तेजी से फैली।
पीएम और सीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को हृदयविदारक बताया और शोक संवेदनाएं प्रकट कीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे की जांच के आदेश देते हुए रिपोर्ट 12 घंटे में प्रस्तुत करने को कहा।
मुआवजे की घोषणा
उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक बच्चों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
विज्ञापन - सम्राट स्टूडियो की सेवाओं का लाभ उठायें|
जांच के लिए तीन स्तरों पर कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देश पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने बताया कि हादसे की जांच तीन स्तरों पर की जाएगी:
- प्रशासनिक जांच: स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा।
- पुलिस जांच: दोषियों का पता लगाने के लिए।
- मजिस्ट्रियल जांच: विस्तृत और निष्पक्ष रिपोर्ट के लिए।
फायर सेफ्टी ऑडिट पर सवाल
हालांकि, फरवरी 2024 में अस्पताल में फायर सेफ्टी ऑडिट और जून 2024 में मॉक ड्रिल की गई थी। इसके बावजूद इस हादसे ने सुरक्षा उपायों की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर में तकनीकी खराबी के कारण आग लगी। दमकल विभाग की टीम इसकी पुष्टि कर रही है। परिजनों की पीड़ा और अस्पताल में मातम अस्पताल परिसर में गमगीन माहौल है। परिजन अपने खोए हुए बच्चों के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
What's Your Reaction?






