मुरादाबाद में तेंदुओं का तांडव: 100 गांवों में दहशत, 11 की मौत से हड़कंप
मुरादाबाद और उसके आसपास के गांवों में तेंदुओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते 16 महीनों में तेंदुए के हमलों में 11 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 50 तेंदुओं की भी जान चली गई। वन विभाग ने 81 तेंदुओं को पकड़कर जंगल में छोड़ा है। करीब 100 गांवों में फैली दहशत से लोग घरों में कैद हैं। तेंदुओं की मौजूदगी जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

INDC Network : मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश : मुरादाबाद में तेंदुओं की दहशत: गांवों में बंद हैं दरवाज़े, खेतों में सन्नाटा
जंगलों की कटाई और शहरीकरण बना वजह
मुरादाबाद जिले में तेंदुओं की आमद ग्रामीणों के लिए जानलेवा बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों की लगातार कटाई और बस्तियों का विस्तार तेंदुओं को उनके प्राकृतिक आवास से दूर कर रहा है। शिकार की तलाश में भटके तेंदुए अब गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।

16 महीने, 11 मौतें: बढ़ता खतरा
अवधि | इंसानी मौतें | तेंदुओं की मौत | रेस्क्यू किए गए तेंदुए |
---|---|---|---|
16 महीने | 11 | 50 | 81 |
दहशत का नक्शा: 100 गांवों पर तेंदुए का साया
ठाकुरद्वारा क्षेत्र: 50 गांव प्रभावित
पानूवाला, मधुपुरी, कल्यानपुर, आलमगीरपुर, लेदा, रतूपुरा, करनावाला, मुनीमपुर, दुल्हापुर, मधुपुरी, लालापुर पीपलसाना आदि गांवों में तेंदुओं की लगातार गतिविधि देखी गई है।
पाकबड़ा क्षेत्र: 12 गांवों में दहशत
लोधीपुर, बागड़पुर, बल्लूपुरा, मिलक, बुरैठा, बहलोलपुर मवड़ादेहिया, ज्ञानपुर, सिकंदरपुर आदि गांव तेंदुए की डरावनी उपस्थिति से ग्रस्त हैं।
अन्य क्षेत्र
कांठ, छजलैट, कैलसा, रामनगर, असमोली, बिजनौर के सीमावर्ती गांव भी तेंदुओं के आतंक की चपेट में हैं।
हमले की घटनाएं जो बनीं चर्चा का विषय
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9 मई: छजलैट के नक्साबाद गांव में गन्ने के खेत में तेंदुए ने किसान दलवीर सिंह पर हमला कर दिया। बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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13 मई: कांठ के कुम्हरिया जुबला गांव में किसान को तेंदुए के दो शावक मिले। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची।
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16 मई: पाकबड़ा-कैलसा मार्ग पर बाइक सवार किसान हुस्नम पर तेंदुए ने हमला किया, लेकिन वह खेत में छिपकर बच गए।
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27 फरवरी: बिजनौर के चौधेड़ी गांव की सुमन को तेंदुए ने मौत के घाट उतार दिया।
तेंदुए और मानव संघर्ष में हो रहा भारी नुकसान
वन विभाग के अनुसार, तेंदुओं को पकड़ने के लिए पिंजरे, ड्रोन कैमरे, ट्रैकिंग डिवाइस और प्रशिक्षित टीमें लगाई गई हैं। फिर भी हर माह औसतन 5 तेंदुओं को ही पकड़ पाने में सफलता मिल रही है।
वन संरक्षक रमेश चंद्र ने बताया कि अब तक 81 तेंदुए सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़े जा चुके हैं।
लोधीपुर: घरों में बंद हुए लोग, खेतों में नहीं जा रहे किसान
लोधीपुर गांव में शुक्रवार को दिनभर तेंदुआ घूमता रहा। इससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई। एक दिन पहले तेंदुआ एक किसान के घर में घुस गया था। अब लोग खुली जगह पर सोने से बच रहे हैं, यहां तक कि खेतों में भी जाना बंद कर दिया गया है।
वन विभाग की टीम गांव पहुंची, लेकिन तेंदुए को पकड़ने में असफल रही। अधिकारियों ने ग्रामीणों से अकेले खेत में न जाने और बच्चों को बाहर न भेजने की अपील की।
जनप्रतिनिधियों और यूनियनों ने उठाई आवाज
व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष रईस खां उर्फ बल्ले और भाकियू जिलाध्यक्ष घनेंद्र शर्मा ने जिला अधिकारी से तेंदुओं के आतंक को खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाने की मांग की है। प्रशासन को चेतावनी दी गई है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो जनजीवन और भी असुरक्षित हो जाएगा।
जागरूकता है समाधान की कुंजी
विशेषज्ञों का मानना है कि इंसान और तेंदुए के संघर्ष को टालने के लिए जागरूकता जरूरी है। अगर सावधानी बरती जाए, तो दोनों की जान बचाई जा सकती है। लगातार हो रही घटनाएं न केवल मानव जीवन को खतरे में डाल रही हैं, बल्कि तेंदुओं के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है।
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