कन्नौज न्यूज़-मुन्नाभाई बना वैभव दुबे: बिना डिग्री डॉक्टर की करतूत ने ली किशोरी की जान
कन्नौज जिले के छिबरामऊ कस्बे में श्रीकृष्णा अस्पताल के संचालक वैभव दुबे का पर्दाफाश हुआ है। वह डॉक्टर नहीं बल्कि बीएससी पास है और बिना किसी मेडिकल डिग्री के इलाज कर रहा था। फर्जी इलाज के दौरान गलत इंजेक्शन लगाने से एक किशोरी की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी वैभव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अस्पताल को सीएमओ ने सील कर दिया है और डीएम ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं।

INDC Network : कन्नौज, उत्तर प्रदेश : किशोरी की मौत से खुली झोलाछाप डॉक्टर की पोल
कन्नौज के छिबरामऊ क्षेत्र में श्रीकृष्णा अस्पताल में इलाज के दौरान एक किशोरी की मौत हो गई। यह मौत एक साधारण मेडिकल लापरवाही नहीं थी, बल्कि इसके पीछे एक फर्जी डॉक्टर की करतूत थी। अस्पताल के संचालक वैभव दुबे को लोग "डॉक्टर साहब" के नाम से जानते थे, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली।

शिक्षा का पर्दाफाश: न डॉक्टर, न डिग्री
पुलिस की जांच में पता चला कि वैभव दुबे के पास एमबीबीएस, बीएएमएस या किसी भी प्रकार की मेडिकल डिग्री नहीं है।
प्रभारी निरीक्षक विष्णुकांत तिवारी ने बताया कि जब उसके शैक्षिक दस्तावेजों की जांच की गई तो वह सिर्फ बीएससी स्नातक निकला।
शैक्षिक व सत्यापन तालिका:
विवरण | जानकारी |
---|---|
नाम | वैभव दुबे |
अस्पताल | श्रीकृष्णा अस्पताल, छिबरामऊ |
शैक्षिक योग्यता | बीएससी (स्नातक) |
मेडिकल डिग्री | नहीं (फर्जी चिकित्सक) |
सीएमओ की कार्रवाई | अस्पताल सील |
दर्ज धाराएं | गैरइरादतन हत्या (IPC 304) |
मजिस्ट्रेट जांच अधिकारी | अशोक कुमार (एसडीएम, तिर्वा) |
मौत के बाद गिरफ्तार, गैरइरादतन हत्या का केस
किशोरी की मौत के बाद पुलिस ने तत्काल जांच शुरू की। अभिलेखों की पड़ताल में सच्चाई सामने आते ही पुलिस ने वैभव को बुधवार की देर शाम गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
प्रभारी निरीक्षक तिवारी के अनुसार, उस पर गैरइरादतन हत्या की धारा (IPC 304) में मुकदमा दर्ज किया गया है।
सीएमओ की कार्रवाई: अस्पताल सील, तफ्तीश शुरू
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने श्रीकृष्णा अस्पताल को सील कर दिया है।
इस तरह की लापरवाही और फर्जी डिग्री पर इलाज करने वालों के खिलाफ अब स्वास्थ्य विभाग सख्त रवैया अपनाने जा रहा है।
डीएम का आदेश: एसडीएम से कराई जाएगी मजिस्ट्रेट जांच
कन्नौज के जिलाधिकारी आशुतोष मोहन अग्निहोत्री ने इस पूरे मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं।
जांच की जिम्मेदारी एसडीएम तिर्वा अशोक कुमार को सौंपी गई है, जो जल्द ही रिपोर्ट सौंपेंगे।
सवाल उठे: कैसे चला रहा था अस्पताल?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना मेडिकल डिग्री के कोई व्यक्ति अस्पताल कैसे चला रहा था?
क्या प्रशासन की नजरें इस पर नहीं पड़ीं, या किसी मिलीभगत से यह खेल चल रहा था?
यह घटना राज्य भर में फर्जी डॉक्टरों और अवैध अस्पतालों के खिलाफ सघन जांच की जरूरत को उजागर करती है।
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