इलाहाबाद हाईकोर्ट भड़का: SRN अस्पताल में बेबसी, भ्रष्टाचार और लापरवाही की दर्दनाक तस्वीर उजागर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वरूपरानी नेहरू (SRN) अस्पताल की दुर्दशा पर सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल में फैली अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, सुविधाओं की भारी कमी और मरीजों के साथ दुर्व्यवहार पर जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, CMO, CMS समेत कई अधिकारियों को शुक्रवार को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में एयर कंडीशनिंग इकाइयों की खराबी, जरूरी दवाओं की अनुपलब्धता, डॉक्टरों की गैरहाजिरी, शौचालय और पीने के पानी की बदतर हालत जैसे कई गंभीर मुद्दे सामने आए हैं। कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को जवाबदेह ठहराते हुए सुधार की कार्रवाई तत्काल शुरू करने को कहा है।

INDC Network : प्रयागराज, उत्तर प्रदेश : हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी, अधिकारियों को किया तलब
प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध SRN अस्पताल की बदहाल स्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कई आला अधिकारियों को शुक्रवार को अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह आदेश डॉक्टर अरविंद कुमार गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट ने खोली अस्पताल की सच्चाई
कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी की अंतरिम रिपोर्ट ने SRN अस्पताल की असलियत उजागर कर दी। रिपोर्ट के अनुसार:
-
90% से अधिक AC इकाइयां खराब हैं।
-
जरूरी दवाएं जैसे एल्ब्यूमिन और पैरासिटामोल भी उपलब्ध नहीं हैं।
-
डॉक्टरों की नियमित विजिट नहीं होती और मरीजों को समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिलता।
-
जन औषधि केंद्र बंद मिला, जिससे मरीजों को बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ीं।
बदतर सुविधाएं और स्टाफ की भारी कमी
-
मरीजों को स्ट्रेचर पर खुद ले जाने को मजबूर होना पड़ता है क्योंकि केवल एक वॉर्ड अटेंडेंट उपलब्ध है।
-
शौचालयों की हालत बेहद खराब है, पीने के पानी की सुविधा न के बराबर है।
-
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शोषण का शिकार हैं, और निजी एजेंसियां वेतन काट रही हैं।
सुरक्षा, अनुशासन और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल
-
CCTV कैमरे बंद पाए गए, जिससे चोरी के मामले बढ़े हैं।
-
निजी मेडिकल प्रतिनिधियों की अघोषित एंट्री और फर्जी बिलिंग प्रथाएं जारी हैं।
-
ऑपरेशन थिएटर में जरूरी उपकरण और सुविधाएं गायब हैं।
कोर्ट का कड़ा आदेश और आगे की कार्यवाही
कोर्ट ने अस्पताल के अधीक्षक प्रभारी, उप अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तलब किया है। साथ ही DM और नगर आयुक्त को भी सुधार कार्यों में सहयोग के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पेश की गई वीडियोग्राफी को सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश रजिस्ट्रार जनरल को दिया है।
What's Your Reaction?






