आगरा में तथागत बुद्ध और अम्बेडकर के टाइल्स को जमीन पर चिपकाकर अपमानित किया, भीम आर्मी ने विरोध किया
आगरा के सरकार नर्सिंग होम की छत पर गौतम बुद्ध और डॉ. आंबेडकर की फोटो वाली टाइल्स लगाकर साजिश रची गई। भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी ने विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि अस्पताल का पूर्व कर्मचारी ही साजिशकर्ता निकला। पार्टी के मंडल प्रभारी को भी आरोपी बनाया गया है। यह प्रकरण न केवल सामाजिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश थी, बल्कि निजी दुश्मनी का हिस्सा भी बन गया।

INDC Network : आगरा, उत्तर प्रदेश : अस्पताल की छत पर टाइल्स से साजिश की पटकथा
शुक्रवार सुबह आगरा के दिल्ली गेट स्थित 'सरकार नर्सिंग होम' में उस वक्त हड़कंप मच गया जब अस्पताल की छत पर तथागत गौतम बुद्ध और डॉ. भीमराव आंबेडकर के चित्रों वाली टाइल्स देखी गईं। इन टाइल्स को देखकर आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के कार्यकर्ता भड़क गए और मौके पर पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया।

हंगामा, धक्का-मुक्की और वर्दी खींची गई
11 बजे के करीब भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष शशांक बौद्ध, मंडल अध्यक्ष विक्की आजाद सहित कई नेता नर्सिंग होम पहुंचे। फर्श पर लगी टाइल्स को देखकर गुस्साए कार्यकर्ताओं ने पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की की। एक पुलिसकर्मी की वर्दी तक खींच ली गई, जिससे वह गिर पड़ा। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए छह लोगों को हिरासत में लिया।
हरीपर्वत थाने का घेराव और जांच का आदेश
हिरासत में लिए गए लोगों को छुड़ाने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हरीपर्वत थाने का घेराव किया और तीन घंटे तक हंगामा चलता रहा। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने अपर पुलिस उपायुक्त (क्राइम) हिमांशु गौरव को जांच सौंपी।
साजिश का खुलासा: अंदर से ही आया था षड्यंत्र
पुलिस जांच में जो सामने आया, उसने सभी को चौंका दिया। अस्पताल में चौकीदारी और मरम्मत का काम करने वाला राकेश कुमार इस साजिश का मुख्य मास्टरमाइंड निकला। राकेश और अस्पताल संचालक डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य के बीच आर्थिक विवाद चल रहा था। डॉक्टर ने राकेश को एडवांस में पैसे दिए थे, लेकिन राकेश और पैसे मांग रहा था। जब डॉक्टर ने इंकार किया, तो राकेश ने बदला लेने के लिए साजिश रच दी।
महापुरुषों की टाइल्स फर्श पर लगाई गईं जानबूझकर
17 अप्रैल को राकेश ने शाहदरा पुल के पास एक दुकान से 100 रुपये में टूटी हुई टाइल्स खरीदीं, जिन पर महापुरुषों की तस्वीरें बनी थीं। 13 मई को उसने ये टाइल्स अस्पताल की छत पर चुपचाप फर्श में लगा दीं और बाद में खुद ही उन्हें क्षतिग्रस्त भी कर दिया, ताकि विवाद को और गहराया जा सके।
राजनीतिक संपर्क: मंडल प्रभारी की भी भूमिका उजागर
इस साजिश में अकेले राकेश ही नहीं था। जांच में सामने आया कि आजाद समाज पार्टी का मंडल प्रभारी अनिल कर्दम भी इस साजिश में शामिल था। राकेश ने शुक्रवार सुबह 9:30 बजे अनिल को घर जाकर इसकी जानकारी दी और 10 बजे टाइल्स के फोटो व वीडियो भी भेजे। 11 बजे अनिल ही नेताओं की भीड़ लेकर अस्पताल पहुंचा और प्रदर्शन को हवा दी।
पहले भी रची थी ऐसी साजिश
यह पहली बार नहीं था जब राकेश ने इस प्रकार की साजिश रची हो। सितंबर 2024 में उसने राधा-कृष्ण की तस्वीर वाली टाइल्स भी अस्पताल के फर्श पर लगाई थी। तब उसने हिंदू संगठनों को सूचना देकर विरोध करवाया और अस्पताल प्रशासन को शर्मसार किया था। उस समय भी डॉक्टर ने माफी मांगकर मामला शांत कराया था और राकेश को निकाल दिया गया था।
पुलिस ने दर्ज की एफआईआर, दो आरोपी नामजद
आजाद समाज पार्टी के शहर अध्यक्ष शानू मोहम्मद की तहरीर पर पुलिस मामला दर्ज कर रही थी, लेकिन अब राकेश कुमार और अनिल कर्दम को भी नामजद आरोपी बनाया गया है। पुलिस का कहना है कि यह महज भावनात्मक मुद्दा नहीं, बल्कि साजिशन तनाव पैदा करने की कोशिश थी।
यह घटना आगरा में एक बार फिर यह दिखाती है कि सामाजिक-राजनीतिक प्रतीकों का दुरुपयोग निजी दुश्मनी के लिए कैसे किया जा सकता है। साथ ही यह भी सबक देती है कि बिना पूरी सच्चाई जाने विरोध प्रदर्शन समाज को गुमराह कर सकता है।
What's Your Reaction?






