तमिलनाडु ट्रेन दुर्घटना: सिग्नल फेलियर से मालगाड़ी से टकराई मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस, उपमुख्यमंत्री ने केंद्र पर निशाना साधा
11 अक्टूबर 2024 की रात को तमिलनाडु के कावराईपेट्टई में मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिसमें 12 से अधिक डिब्बे पटरी से उतर गए और चार डिब्बों में आग लग गई। दुर्घटना में किसी की जान नहीं गई, लेकिन कुछ यात्री घायल हुए हैं। इस दुर्घटना के बाद तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की। दक्षिणी रेलवे ने इस दुर्घटना का कारण सिग्नल फेलियर बताया है, और बचाव अभियान में रेलवे, पुलिस और अग्निशमन विभाग जुटे हुए हैं।

INDC Network : तमिलनाडु : 11 अक्टूबर 2024 की रात तमिलनाडु के चेन्नई डिवीजन में गुम्मिदीपोंडी के पास कावराईपेट्टई रेलवे स्टेशन पर एक बड़ी रेल दुर्घटना हुई, जब मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। इस घटना में एक्सप्रेस ट्रेन के 12 से अधिक डिब्बे पटरी से उतर गए और चार डिब्बों में आग लग गई। हालांकि दुर्घटना में किसी की मृत्यु की खबर नहीं है, लेकिन कई यात्री घायल हो गए हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
दक्षिणी रेलवे के प्रबंधक आर.एन. सिंह के अनुसार, मुख्य लाइन पर सिग्नल सेट होने के बावजूद मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस ने लूप लाइन में प्रवेश किया, जो एक असामान्य घटना थी। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट्स में सिग्नल फेलियर को प्रमुख कारण बताया गया है।
बचाव कार्य और स्थिति:
दुर्घटना स्थल पर बचाव अभियान तत्काल शुरू किया गया। राज्य सरकार की ओर से 22 एंबुलेंस भेजी गईं और पुलिस, अग्निशमन, चिकित्सा दल दुर्घटनास्थल पर सक्रिय रहे। स्थानीय निवासी और अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचकर यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद कर रहे हैं। बचाव कार्यों में भारी बारिश ने बाधा डाली, लेकिन रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ट्रैक बहाली और राहत कार्य की निगरानी कर रहे हैं। अनुमान है कि ट्रैक को बहाल करने में लगभग 16 घंटे लग सकते हैं।
इस घटना के बाद तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "रेल दुर्घटनाएं अब घटनाओं का सिलसिला बन गई हैं, और केंद्र सरकार को इन्हें रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।" मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी घटनास्थल की निगरानी करते हुए राहत कार्यों का जायजा लिया।
स्टालिन ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। पुलिस, अग्निशमन विभाग, और चिकित्सा दल मिलकर घटनास्थल पर बचाव कार्यों में जुटे हैं, और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए नजदीकी अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने पुष्टि की कि इस दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन कुछ लोग घायल हुए हैं।
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दुर्घटना के बाद की स्थिति:
दक्षिणी रेलवे ने पुष्टि की है कि दरभंगा से आने वाले यात्रियों के लिए एक विशेष ट्रेन की व्यवस्था की गई, ताकि वे सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, बचाव और बहाली के कामों में जुटे कर्मी स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं।
सिग्नल फेलियर को इस दुर्घटना का प्रमुख कारण माना जा रहा है। ट्रेन संख्या 12578, जो मैसूर से दरभंगा जा रही थी, पोन्नेरी स्टेशन से गुजरने के बाद लूप लाइन में चली गई और मालगाड़ी से टकरा गई। हालांकि ट्रेन के चालक दल और अधिकांश यात्रियों की जान बच गई, लेकिन इस दुर्घटना ने भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रेलवे के एक बयान के अनुसार, दुर्घटना स्थल पर कई डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और उनमें से चार डिब्बों में आग लग गई, जिसे जल्द ही बुझा दिया गया। स्थानीय निवासियों और अग्निशमन विभाग की त्वरित कार्रवाई ने इस स्थिति को और भी भयावह होने से बचाया।
भविष्य की योजना और निष्कर्ष:
तमिलनाडु की इस दुर्घटना ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा और सिग्नलिंग प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन की ओर से केंद्र सरकार पर इस मुद्दे को लेकर दिए गए बयान ने चर्चा को और बढ़ावा दिया है।
इस दुर्घटना के बाद रेलवे के अधिकारियों और राज्य सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया सराहनीय रही, लेकिन इस घटना ने रेलवे के बुनियादी ढांचे की कमजोरियों को उजागर किया है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सिग्नलिंग सिस्टम और सुरक्षा उपायों में सुधार की मांग और तेज हो गई है।
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