संत कबीर नगर न्यूज़ - मुंबई जाते वक्त ट्रेन में अचानक बिगड़ी तबीयत, बेटी के सामने पिता की मौत
संत कबीर नगर के जिगिना गांव निवासी हरिहर निषाद की ट्रेन में अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। वह अपनी बेटी के साथ मुंबई जा रहे थे। खलीलाबाद रेलवे स्टेशन से गोरखपुर-मुंबई एक्सप्रेस में सवार होने के कुछ ही देर बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी। बेटे और साथी के साथ उन्हें बस्ती रेलवे स्टेशन पर उतारकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

INDC Network : संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले से मुंबई जा रहे एक व्यक्ति की चलती ट्रेन में अचानक मौत हो गई, जिससे परिवार में गहरा शोक और कोहराम मच गया है। मृतक की पहचान हरिहर निषाद (55 वर्ष) के रूप में हुई है, जो धनघटा थाना क्षेत्र के जिगिना गांव के निवासी थे और मुंबई में पेंट-पालिश का कार्य करते थे।
मुंबई रवाना होने से पहले सबकुछ था सामान्य
गत शनिवार की रात हरिहर निषाद अपनी बेटी गुड़िया के साथ खलीलाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। वह गोरखपुर-मुंबई एक्सप्रेस से मुंबई जाने वाले थे। उनके साथ उनके बेटे महेश और उसका एक साथी भी स्टेशन तक उन्हें छोड़ने आए थे। रात लगभग 11:30 बजे हरिहर बेटी के साथ ट्रेन में सवार हुए।

ट्रेन में चढ़ते ही बिगड़ी तबीयत
ट्रेन में बैठने के कुछ ही समय बाद हरिहर निषाद को उल्टी होने लगी। उनकी हालत बिगड़ती देख बेटी गुड़िया घबरा गई और चिल्लाने लगी। उसकी आवाज सुनकर महेश और उसका साथी तुरंत पहुंच गए। इसी बीच हरिहर निषाद अचेत हो गए और ट्रेन चल पड़ी।
बस्ती स्टेशन पर निकला अंतिम सफर
ट्रेन के चलने के कारण महेश और उसका साथी भी ट्रेन में सवार हो गए और बस्ती रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर पिता और बहन को ट्रेन से उतारा। वहां से हरिहर को तत्काल एक निजी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
गांव में पसरा मातम, परिजनों में कोहराम
हरिहर निषाद की मौत की खबर जैसे ही गांव जिगिना पहुंची, वहां शोक की लहर दौड़ गई। परिवार के सभी सदस्य सदमे में हैं, खासकर बेटी गुड़िया, जिनकी आंखों के सामने उनके पिता ने दम तोड़ा। उनके तीन बच्चों और पत्नी के सामने अब भविष्य का संकट मंडरा रहा है।
मुंबई की मेहनत, अधूरी रह गई
हरिहर निषाद वर्षों से मुंबई में मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। इस बार भी वह काम पर लौटने के लिए बेटी के साथ जा रहे थे। लेकिन यात्रा का यह सफर उनकी ज़िंदगी का आखिरी पड़ाव बन गया। इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि अचानक स्वास्थ्य बिगड़ना कैसे एक सामान्य ट्रेन यात्रा को त्रासदी में बदल सकता है।
चिकित्सा व्यवस्था पर उठते सवाल
इस दर्दनाक घटना के बाद यह सवाल उठ रहा है कि यदि ट्रेन में ही प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं या रेलवे मेडिकल स्टाफ होता, तो शायद हरिहर की जान बचाई जा सकती थी। यात्रियों के लिए एमरजेंसी मेडिकल सपोर्ट की कमी एक बार फिर उजागर हो गई है।
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