अधिवक्ताओं की स्वायत्तता पर संकट: एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की अनदेखी और विधि परिषद की अस्थिरता

भारतीय न्यायिक प्रणाली में अधिवक्ताओं की भूमिका अहम है, लेकिन हालिया संशोधनों से उनकी स्वतंत्रता पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की उपेक्षा और भारतीय विधि परिषद में सरकार के बढ़ते नियंत्रण से अधिवक्ताओं के अधिकार कमजोर किए जा रहे हैं। इस लेख में इन संवैधानिक परिवर्तनों के प्रभावों और अधिवक्ता समुदाय की चिंताओं को विस्तार से समझाया गया है।

Feb 21, 2025 - 12:02
May 19, 2025 - 09:43
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अधिवक्ताओं की स्वायत्तता पर संकट: एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की अनदेखी और विधि परिषद की अस्थिरता

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : भारतीय न्यायिक प्रणाली में अधिवक्ताओं की भूमिका अहम है, लेकिन हालिया संशोधनों से उनकी स्वतंत्रता पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की उपेक्षा और भारतीय विधि परिषद में सरकार के बढ़ते नियंत्रण से अधिवक्ताओं के अधिकार कमजोर किए जा रहे हैं। इस लेख में इन संवैधानिक परिवर्तनों के प्रभावों और अधिवक्ता समुदाय की चिंताओं को विस्तार से समझाया गया है।

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विधि का शासन और अधिवक्ताओं की भूमिका

एक निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायिक तंत्र किसी भी लोकतांत्रिक देश की आधारशिला होता है। अधिवक्ता न्याय के स्तंभ होते हैं और उन्हें "Officer of the Court" का दर्जा प्राप्त है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भी न्याय व्यवस्था को समाज की आत्मा माना था। अधिवक्ता समाज का कर्तव्य है कि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखे, लेकिन हाल के संशोधन इस स्वतंत्रता पर खतरा बनते जा रहे हैं।

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एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की अनदेखी

भारत के अधिवक्ता लंबे समय से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं, जो उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सके। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने इस एक्ट का एक प्रारूप छह महीने पहले सरकार को भेजा था, लेकिन इसे अनदेखा कर दिया गया।

राजस्थान सरकार ने इस अधिनियम को पारित किया था, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसकी स्वीकृति नहीं मिली। यह स्पष्ट संकेत है कि केंद्र सरकार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की इच्छुक नहीं है, जिससे अधिवक्ता समाज में निराशा बढ़ रही है।


भारतीय विधि परिषद पर बढ़ता सरकारी नियंत्रण

अधिवक्ता संगठनों की सर्वोच्च संस्था भारतीय विधि परिषद की स्वायत्तता पर भी संकट खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा धारा 49 (बी) के तहत परिषद को बाध्यकारी निर्देश दिए जा सकते हैं, जिससे उसकी स्वतंत्रता समाप्त हो सकती है। इतिहास गवाह है कि अधिवक्ताओं ने हमेशा लोकतंत्र की रक्षा की है, चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम रहा हो या आपातकाल का दौर

अगर सर्वोच्च संस्था पर सरकारी नियंत्रण बढ़ता है, तो यह अधिवक्ता समाज की स्वतंत्र आवाज़ को दबाने के समान होगा।


Special Public Grievance Redressal Committee का गठन: एक नई साजिश?

नए संशोधन के तहत Special Public Grievance Redressal Committee का गठन किया गया है, जिसमें पांच सदस्य होंगे। इसमें परिषद का केवल एक नामित सदस्य होगा, जबकि अन्य सदस्य न्यायाधीश और सरकारी अधिकारी होंगे।

यह समिति अधिवक्ताओं के व्यावसायिक आचरण (Professional Misconduct) पर निर्णय लेने के लिए बाध्य होगी, जिससे उनकी स्वतंत्रता पर और अधिक अंकुश लगाया जा सकता है। इस निर्णय प्रणाली के कारण अधिवक्ताओं को प्रशासनिक दबाव का सामना करना पड़ेगा।


अधिवक्ता समाज के अधिकारों की रक्षा जरूरी

अधिवक्ता समाज को एकजुट होकर इस संकट का मुकाबला करना होगा। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को और अधिक प्रभावी तरीके से उठाना आवश्यक है। साथ ही, भारतीय विधि परिषद की स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जाना चाहिए।

यह मुद्दा केवल अधिवक्ताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र की स्वतंत्रता और निष्पक्षता से जुड़ा हुआ है। सरकार को चाहिए कि वह विधि परि

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Arpit Shakya नमस्कार! मैं अर्पित शाक्य, INDC Network का मुख्य संपादक हूँ। मेरा उद्देश्य सूचनाओं को जिम्मेदारी और निष्पक्षता के साथ आप तक पहुँचाना है। INDC Network पर मैं स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों को आपकी भाषा में सरल, तथ्यपरक और विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत करता/करती हूँ। पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरा विश्वास है कि हर खबर का सच सामने आना चाहिए, और यही सोच मुझे जनहित से जुड़ी खबरों की तह तक जाने के लिए प्रेरित करती है। चाहे वह गाँव की आवाज़ हो या देश की बड़ी हलचल – मेरा प्रयास रहता है कि आपके सवालों को मंच मिले और जवाब मिलें। मैंने INDC Network को एक ऐसे डिजिटल मंच के रूप में तैयार किया है, जहाँ लोकल मुद्दों से लेकर ग्लोबल घटनाओं तक हर आवाज़ को जगह मिलती है। यहाँ मेरी प्रोफ़ाइल के माध्यम से आप मेरे द्वारा लिखे गए समाचार, लेख, इंटरव्यू और रिपोर्ट्स पढ़ सकते हैं।