फर्रुखाबाद स्वास्थ्य विभाग में गुप्त रिपोर्ट कांड के बाद डॉक्टरों की तैनाती में बड़ा उलटफेर
फर्रुखाबाद जिले के स्वास्थ्य विभाग में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिला है। जिला जेल, नवाबगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और केंद्रीय कारागार में डॉक्टरों की नई तैनाती की गई है। सूत्रों के अनुसार यह बदलाव एक चिकित्साधिकारी द्वारा शासन को कथित रूप से गलत रिपोर्ट भेजे जाने के मामले से जुड़ा हो सकता है।

INDC Network : फर्रुखाबाद : उत्तर प्रदेश : सीएमओ ने तीन प्रमुख स्वास्थ्य केंद्रों पर बदले डॉक्टर
फर्रुखाबाद: जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. अवनींद्र कुमार ने जिले के तीन प्रमुख चिकित्सा संस्थानों—जिला जेल, नवाबगंज सीएचसी और केंद्रीय कारागार—में कार्यरत चिकित्सकों की तैनाती में बड़ा फेरबदल किया है। यह बदलाव अचानक हुआ और इसके पीछे प्रशासनिक दबाव की आशंका जताई जा रही है।

डॉ. नीरज कुमार को मिली नई जिम्मेदारी
ताजा आदेशों के तहत जिला जेल में कार्यरत डॉ. नीरज कुमार को नवाबगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है। उन्हें अब सीएचसी की जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा। नवाबगंज में उनकी नियुक्ति को कई कारणों से अहम माना जा रहा है।
नवाबगंज से केंद्रीय कारागार और फिर जिला जेल
वहीं नवाबगंज सीएचसी में कार्यरत डॉक्टर को स्थानांतरित कर केंद्रीय कारागार भेजा गया है। इसके साथ ही केंद्रीय कारागार में तैनात डॉक्टर विजय अनुरागी को अब जिला जेल में नई भूमिका दी गई है। इन सभी स्थानांतरणों को “विशेष परिस्थिति” में किया गया बताया गया है, लेकिन इन परिस्थितियों की आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।
गलत रिपोर्ट भेजने का मामला आया सामने
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा फेरबदल एक बड़े विवाद से जुड़ा हो सकता है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री के प्रमुख सचिव ने फर्रुखाबाद के एक चिकित्साधिकारी द्वारा शासन को कथित रूप से गलत रिपोर्ट भेजने के मामले में सीएमओ से स्पष्टीकरण मांगा था। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच के आदेश भी जारी किए गए थे। माना जा रहा है कि यह स्थानांतरण उसी विवाद की परिणति है।
चिकित्सा प्रशासन में हड़कंप, कारणों पर बना सस्पेंस
इस फेरबदल के बाद जिले के चिकित्सा प्रशासन में हलचल मच गई है। हालांकि सीएमओ कार्यालय की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि स्थानांतरण किस आधार पर किए गए हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह कदम उच्चस्तरीय दबाव और प्रशासनिक सुधार के प्रयास के तहत उठाया गया है।
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