केशव प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव के बीच जमकर बहसबाजी हुई : किस वजह से बहस हुई ?

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बीच सोशल मीडिया पर तीखी बयानबाजी चल रही है। अखिलेश यादव ने मौर्य को 'मोहरा' कहकर टिप्पणी की, जिसका मौर्य ने X पर जोरदार पलटवार किया। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए, जिसमें राज्य की राजनीति और भ्रष्टाचार के मुद्दे भी शामिल थे। इस जुबानी जंग के बीच, भाजपा और सपा के बीच बढ़ती दरार और आगामी चुनावों की तैयारियों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।

Jul 27, 2024 - 14:22
Sep 28, 2024 - 15:54
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केशव प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव के बीच जमकर बहसबाजी हुई : किस वजह से बहस हुई ?

INDC Network : लखनऊ : 

उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव के बीच सोशल मीडिया पर तकरार

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के बीच इन दिनों सोशल मीडिया पर कटाक्ष का दौर चल रहा है। अखिलेश यादव, सपा मुख्यालय में 'संविधान-मानस्तंभ' का अनावरण करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को 'मोहरा' कहा। अखिलेश ने टिप्पणी की कि यूपी में वाई-फाई के दो पासवर्ड हैं, और खेल देखिए दिल्ली के वाई-फाई के पासवर्ड का।

केशव मौर्य का पलटवार

सपा प्रमुख के 'मोहरा' वाले बयान पर केशव प्रसाद मौर्य ने पलटवार करते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "कांग्रेस के मोहरा सपा मुखिया अखिलेश यादव 2027 में पराजय सुनिश्चित देख अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। जनता से झूठ बोलकर 2024 में मिली सफलता से वह गुब्बारे की तरह फूल गए, उन्हें 2014, 2017, 2019, और 2022 में सपा की पराजय याद रखें। 2027 में 2017 दोहरायेंगे। सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनका कुनबा पिछड़ों और दलितों का कट्टर जन्मजात विरोधी है। सपा का PDA (प्रगति, विकास, अधिकार) बहुत बड़ा धोखा है। विदेशी शक्तियों के हाथों खेल रही कांग्रेस के मोहरा अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

अखिलेश यादव का कटाक्ष

अखिलेश यादव ने भी यूपी के दोनों डिप्टी सीएम के दिल्ली दौरे पर कटाक्ष करते हुए X पर लिखा, "लगता है डबल इंजन वालों के बीच में एक और इंजन आ गया है, जो दिल्ली-लखनऊ के बीच शंटिंग करता है। ऐसा लग रहा है कि दो राजधानियों के बीच कोई इंटर-सिटी आवागमन सेवा चल रही है।" उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा। अखिलेश ने योगी सरकार के एक पूर्व राज्य मंत्री की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा, "सरकार दावा करती थी कि उसकी जीरो टॉलरेंस की नीति है, खासकर भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था पर। लेकिन अब उनके नेता खुद कह रहे हैं कि हमने अपने राजनीतिक जीवन में ऐसा भ्रष्टाचार नहीं देखा है।"


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चुनाव परिणामों का असर

14 जुलाई को लखनऊ में भाजपा की राज्य कार्यकारी समिति की बैठक में, केशव प्रसाद मौर्य ने जोर देकर कहा था कि संगठन, सरकार से बड़ा था, है और रहेगा। उसी बैठक में सीएम योगी ने इस बात पर जोर दिया कि अति आत्मविश्वास के कारण पार्टी वांछित नतीजे हासिल करने से दूर रही। इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने X पर लिखा, "कांग्रेस के मोहरा अखिलेश यादव 2027 की हार देखकर अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं।" जनता से झूठ बोलकर 2024 में मिली सफलता से वह गुब्बारे की तरह फूल गए, उन्हें 2014, 2017, 2019, 2022 में सपा की पराजय याद रखना चाहिए।"

भाजपा के भीतर असंतोष

हालांकि, पूर्व राज्य मंत्री बाद में अपने बयान से पलट गए। अखिलेश यादव ने बिना किसी का नाम लिए भाजपा के भीतर चल रही अटकलों की ओर इशारा करते हुए कहा, "भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है क्योंकि कुछ लोग मोहरे बन गए हैं।" केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के साथ केशव प्रसाद मौर्य की कथित निकटता की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने सुना है कि मौर्य जी मोहरे हैं, दिल्ली के वाई-फाई का पासवर्ड है।"

भाजपा और सपा के बीच तकरार

केपी मौर्य और अखिलेश यादव के बीच सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में एक-दूसरे पर यह टीका-टिप्पणी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार और राज्य भाजपा संगठन के बीच दरार की अटकलों के बीच आई है। इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने X पर एक पोस्ट में लिखा, "सपा मुखिया @yadavakhilesh और इनका कुनबा पिछड़ों और दलितों का कट्टर विरोधी सपा का PDA धोखा है। कांग्रेस के मोहरा अखिलेश ने पीएम मोदी को तीसरी बार बनने से रोकने की कोशिश की।"

लोकसभा चुनाव और भाजपा का प्रदर्शन

2024 लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन ने संगठन-सरकार में दरार बढ़ाई। इस बार के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सांसदों की संख्या 2019 के 62 से घटाकर 33 हो गई। यह सब घटनाक्रम उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा और सपा के बीच की बढ़ती कटुता और 2027 के चुनावों के लिए भविष्यवाणियों को लेकर चल रहे विवाद को दर्शाता है।

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