सपा में जिलाध्यक्षों की बड़ी फेरबदल की तैयारी: यादवों की संख्या घटेगी, ओबीसी और दलितों को मिलेगा ज्यादा प्रतिनिधित्व
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी कर रही है। नवरात्रि के बाद 20 से 25 जिलाध्यक्षों को बदला जा सकता है। पार्टी अब यादव वर्चस्व कम करके पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण को प्राथमिकता देने की योजना बना रही है। कुर्मी, राजभर, निषाद और दलित नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पंचायत चुनावों से पहले यह फेरबदल पूरा कर लिया जाएगा।

INDC Network :लखनऊ, उत्तर प्रदेश : कांग्रेस द्वारा अपनी सूची में मुस्लिम नेताओं को प्राथमिकता देने के बाद, सपा पर भी मुस्लिम समाज को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देने का दबाव बढ़ गया है। कई जिलों में मुस्लिम जिलाध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है। वहीं, सवर्ण समाज को 5 से 10% हिस्सेदारी मिल सकती है।
सपा जिलाध्यक्षों का निश्चित कार्यकाल नहीं
समाजवादी पार्टी में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति किसी निश्चित कार्यकाल के लिए नहीं होती। आमतौर पर 2 से 3 साल तक कार्यकाल चलता है, लेकिन पार्टी की चुनावी रणनीति के अनुसार इनमें बदलाव किए जाते हैं। 2023 में 25 जिलों में जिलाध्यक्ष बदले गए थे, लेकिन अब एक बार फिर संगठनात्मक सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है।
पंचायत चुनाव से पहले फेरबदल पूरा होगा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मई 2025 तक सपा अपने संगठनात्मक बदलाव पूरे कर लेगी, ताकि पंचायत चुनावों की तैयारी शुरू की जा सके। इससे नए जिलाध्यक्षों को 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने का पूरा समय मिल सकेगा।
10 अप्रैल के बाद संसद सत्र समाप्त होते ही अखिलेश यादव संगठन को लेकर बड़ी बैठक करेंगे, जहां इन बदलावों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
हालांकि, पार्टी प्रवक्ता मनोज यादव ने बड़े बदलाव से इनकार किया है, लेकिन संगठन के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि इस बार बड़ा फेरबदल तय है।
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