अमित शाह ने राहुल गांधी पर आरक्षण और राष्ट्रविरोधी बयान को लेकर साधा निशाना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने और भारत को विभाजित करने की साजिश रचने वाली ताकतों का समर्थन करने का आरोप लगाया। शाह ने राहुल के अमेरिका में आरक्षण को लेकर दिए गए बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि भाजपा के रहते आरक्षण खत्म नहीं किया जा सकता। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने भी राहुल गांधी पर आरक्षण विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया और कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति पर सवाल उठाए।

INDC Network : भारत : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी ने भारत की सुरक्षा और राष्ट्रीय भावनाओं को आघात पहुँचाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी लगातार राष्ट्र विरोधी बयान देते हैं और भारत को विभाजित करने की साजिश रचने वाली ताकतों के साथ खड़े होते हैं। शाह की यह प्रतिक्रिया तब आई जब राहुल गांधी, जो वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरे पर थे, ने वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर कई आलोचनात्मक टिप्पणियां की थीं।
राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान की गई कुछ टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमित शाह ने कहा कि राहुल का बयान कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति को उजागर करता है, जो हमेशा क्षेत्रवाद, धर्म और भाषाई मतभेदों को भड़काने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्र विरोधी और आरक्षण विरोधी एजेंडे का समर्थन किया और अब विदेशों में भी भारत विरोधी बयान देकर देश की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है।
अमित शाह ने राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक बयान का उल्लेख किया, जिसमें राहुल ने कहा था कि जब भारत एक "निष्पक्ष जगह" बन जाएगा, तब आरक्षण को खत्म करने पर विचार किया जा सकता है। शाह ने इसे कांग्रेस के आरक्षण विरोधी चेहरे को उजागर करने वाला बयान करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बयान राहुल गांधी और कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है, जिसमें वे आरक्षण का विरोध करने के विचार से ग्रस्त हैं।
राहुल गांधी ने अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ बातचीत करते हुए यह भी कहा था कि देश की 90 प्रतिशत आबादी, जिसमें ओबीसी, दलित और आदिवासी शामिल हैं, को सही मायनों में प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। उन्होंने जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि जब तक समाज में निष्पक्षता नहीं होगी, तब तक आरक्षण को खत्म करने के बारे में सोचना असंभव होगा। राहुल गांधी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि ₹100 में से केवल ₹10 आदिवासियों को, ₹5 दलितों को, और लगभग उतनी ही राशि ओबीसी को मिलती है। उन्होंने इसे "कमरे में हाथी" (elephant in the room) की तरह का मुद्दा बताया, जिस पर चर्चा की जानी चाहिए।
अमित शाह ने राहुल गांधी के इस बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कभी भी आरक्षण को खत्म नहीं करेगी। उन्होंने कहा, "जब तक भाजपा है, तब तक न तो कोई आरक्षण खत्म कर सकता है और न ही कोई देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर सकता है।" शाह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से आरक्षण का विरोध किया है और राहुल गांधी का बयान उसी पुरानी राजनीति की एक कड़ी है। शाह ने यह भी कहा कि कांग्रेस की नीतियां और बयान हमेशा भारत को कमजोर करने की कोशिश करते रहे हैं, चाहे वह घरेलू मुद्दों पर हों या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर।
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी राहुल गांधी की टिप्पणियों पर हमला करते हुए कहा कि राहुल ने अमेरिका में जो बयान दिया, वह आरक्षण के खिलाफ उनकी पूर्वाग्रही सोच को दर्शाता है। प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण का विरोध किया है। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि ये नेता भी आरक्षण का विरोध करते थे।
रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और कांग्रेस का संविधान बचाने का अभियान केवल एक दिखावा है, और उनकी असली मंशा आरक्षण को खत्म करने की है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जिस तरह अमेरिका में भारत के आंतरिक मुद्दों पर टिप्पणी की, वह कांग्रेस के राष्ट्र विरोधी रवैये को उजागर करता है।
अमित शाह और भाजपा के अन्य नेताओं के इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा राहुल गांधी के बयानों को कांग्रेस की पुरानी आरक्षण विरोधी राजनीति के रूप में देखती है और इसे भारतीय जनता के साथ धोखाधड़ी मानती है। अमित शाह ने जोर देकर कहा कि भाजपा की सरकार हमेशा देश की सुरक्षा और आरक्षण नीति की रक्षा करेगी, और कांग्रेस को इसका विरोध नहीं करने देगी।
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