आजाद समाज पार्टी कांशीराम ने संविधान दिवस मनाया, बाबासाहेब अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि
आजाद समाज पार्टी कांशीराम ने 26 नवंबर को संविधान दिवस धूमधाम से मनाया। पार्टी के पदाधिकारियों ने बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष नितिन गौतम, सूरज एडवोकेट, संजीव कुमार समेत कई अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : आजाद समाज पार्टी कांशीराम ने संविधान दिवस मनाया, बाबासाहेब अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि
संविधान दिवस पर आजाद समाज पार्टी की श्रद्धांजलि
26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर आजाद समाज पार्टी कांशीराम ने बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके योगदान को याद किया।

पदाधिकारियों की उपस्थिति
इस आयोजन में जिला अध्यक्ष नितिन गौतम, जिला अध्यक्ष लीगल सेल सूरज एडवोकेट, और जिला प्रभारी संजीव कुमार ने भाग लिया। भोजपुर विधानसभा अध्यक्ष प्रशांत गौतम, सचिव शोभित जाटव, नगर अध्यक्ष अरुण बाल्मिक, और भोजपुर विधानसभा सचिव अभिषेक कुमार भी उपस्थित रहे।
बाबासाहेब के योगदान को किया याद
पार्टी के नेताओं ने इस अवसर पर बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान निर्माण में योगदान को याद किया और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।
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संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को भारत में मनाया जाता है। इसे "राष्ट्रीय कानून दिवस" भी कहा जाता है। इस दिन भारतीय संविधान को अपनाने की ऐतिहासिक घटना को याद किया जाता है। आइए, जानते हैं इस दिन को मनाने के पीछे की मुख्य वजहें:
इतिहास और महत्व
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भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार हुआ
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने संविधान को अपनाया। यह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ, जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। -
डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान
संविधान निर्माण के प्रमुख शिल्पकार डॉ. बी.आर. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए यह दिन मनाया जाता है। उनके नेतृत्व में संविधान का मसौदा तैयार किया गया, जिसने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया। -
भारत की लोकतांत्रिक नींव का सम्मान
यह दिन भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती और संविधान की सर्वोच्चता को स्वीकार करने का प्रतीक है।
संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य
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संवैधानिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार
नागरिकों को संविधान में निहित अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी देना। -
डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करना
भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करना। -
लोकतंत्र को मजबूत करना
लोगों को संविधान के प्रति जागरूक बनाकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करना।
पहली बार संविधान दिवस कब मनाया गया?
संविधान दिवस मनाने की शुरुआत 2015 में हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर इसे मनाने की घोषणा की।
संविधान दिवस का संदेश
यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारा संविधान समानता, स्वतंत्रता, बंधुता और न्याय के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। यह भारत के हर नागरिक को अधिकार और कर्तव्यों का संतुलन सिखाता है।
संविधान दिवस न केवल एक औपचारिक दिन है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संविधान के प्रति हमारा सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर है।
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