2027 में कौन रहेगा मैदान में? बीजेपी ने शुरू की ग्रेडिंग से टिकट कटौती की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी मौजूदा विधायकों की ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर ग्रेडिंग प्रणाली अपना रही है, जिसमें उन्हें A, B और C श्रेणी में बांटा जाएगा। A श्रेणी वालों को टिकट पक्का मिलेगा, B वालों को प्रतीक्षा सूची में रखा जाएगा, जबकि C श्रेणी वालों के टिकट काटे जाएंगे। यह रणनीति 2022 में भी कारगर रही थी, जब पार्टी ने कई मौजूदा विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटकर नए चेहरे उतारे थे।

INDC Network : उत्तर प्रदेश : बीजेपी की मिशन 2027 रणनीति: ग्रेडिंग सिस्टम से तय होगा विधायक का भविष्य
उत्तर प्रदेश में 2027 का विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा है और भाजपा ने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार पार्टी कोई भी जोखिम लेने के मूड में नहीं है। पार्टी नेतृत्व ने तय किया है कि "जो प्रदर्शन करेगा, वही टिकेगा"।

टिकट के लिए तैयार हो रहा थ्री-लेयर मूल्यांकन मॉडल
पार्टी नेतृत्व ने विधायकों की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करवाने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकारी एजेंसियों, निजी सर्वे कंपनियों, और पार्टी कैडर के माध्यम से क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जा रहा है।
मुख्य मूल्यांकन बिंदु:
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विधायक की जातिगत स्थिति
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क्षेत्र में जनाधार व लोकप्रियता
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विकास कार्यों की प्रगति
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सामाजिक सक्रियता और छवि
A, B, C ग्रेडिंग सिस्टम: कौन रहेगा, कौन जाएगा?
बीजेपी ने अपने विधायकों को तीन श्रेणियों (A, B, C) में बांटने की योजना बनाई है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विधायक को एक स्कोर दिया जाएगा, जिसके आधार पर उसकी आगे की स्थिति तय होगी।
ग्रेडिंग कैटेगरी विवरण तालिका:
श्रेणी | श्रेणी का अर्थ | टिकट स्थिति | विशेषताएँ |
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A कैटेगरी | उत्तम ग्रेडिंग स्कोर | टिकट पक्का | सक्रिय, स्वच्छ छवि, मजबूत जनाधार |
B कैटेगरी | मध्यम प्रदर्शन | वेटिंग लिस्ट | सक्रिय लेकिन छवि संदिग्ध, निर्णय अंतिम समय में |
C कैटेगरी | कमजोर प्रदर्शन | टिकट कट | निष्क्रिय, कमजोर जनाधार, पार्टी मानकों पर फेल |
वेस्ट यूपी के कई विधायक खतरे में
बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसे विधायकों की संख्या अधिक है जो ग्रेडिंग प्रणाली में B या C कैटेगरी में जा सकते हैं। इसका कारण है – लगातार क्षेत्र में कम सक्रियता, विकास योजनाओं में ढिलाई और जनता से संवाद में कमी।
2022 का मॉडल बना सफलता की कुंजी
2022 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने इसी तरह का प्रयोग किया था, जिसमें 30 से अधिक मौजूदा विधायकों और कई मंत्रियों के टिकट काट दिए गए थे। इनकी जगह नए प्रत्याशियों को उतारकर पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। इस मॉडल की सफलता को देखते हुए 2027 में इसे और सख्ती से लागू किया जाएगा।
थिंकटैंक की सोच: ‘नया चेहरा, नया भरोसा’
पार्टी का मानना है कि यदि विधायक जनता के बीच लोकप्रिय नहीं है तो उसे हटाने में कोई संकोच नहीं किया जाएगा। भाजपा अब चुनाव मैदान में कमजोर सेनापति नहीं चाहती। इसीलिए यह रणनीति तैयार की गई है ताकि 2027 में UP भी गुजरात की तरह बीजेपी का मजबूत गढ़ बन सके।
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