"सुप्रीम कोर्ट से विदाई पर बोले CJI: ‘अब जज नहीं, इंसान बनना चाहता हूं’"

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने अपने विदाई भाषण में न्यायपालिका में "सच की कमी" को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के समय में यह गलत धारणा बन गई है कि मुकदमे जीतने के लिए सबूतों में 'पैडिंग' जरूरी है। उन्होंने इसे खतरनाक मानसिकता बताया। 42 वर्षों की अपनी वकालत और न्यायिक सेवा के बाद, CJI खन्ना ने इस जिम्मेदारी से मुक्त होने की इच्छा जताई और कहा कि अब वो ‘जज’ नहीं, आम इंसान के रूप में जीवन की नई शुरुआत करना चाहते हैं।

May 14, 2025 - 10:56
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"सुप्रीम कोर्ट से विदाई पर बोले CJI: ‘अब जज नहीं, इंसान बनना चाहता हूं’"

INDC Network : दिल्ली : CJI संजीव खन्ना का विदाई भाषण: एक गहरी सोच

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 "सच की कमी" से दुखी: न्याय का संकट

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा आयोजित विदाई समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायपालिका की सबसे बड़ी कमजोरी पर खुलकर बात की — "सच की कमी" (Truth Deficit)

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“एक जज का सबसे बड़ा धर्म है सत्य की खोज। महात्मा गांधी ने भी कहा था – ‘सत्य ही ईश्वर है’। लेकिन आज हम तथ्य छिपाते हुए और गलत बयानी करते हुए केस लड़ते हैं, जो न्याय प्रणाली को कमजोर करता है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसी मानसिकता सिर्फ गलत ही नहीं, बल्कि बेकार भी है, क्योंकि इससे अदालत का काम और कठिन हो जाता है।


 42 साल का न्यायिक सफर: कोई पछतावा नहीं

CJI खन्ना ने यह स्पष्ट कहा कि उन्हें अपने 20 वर्षों की न्यायिक सेवा में कोई मिश्रित भावनाएं नहीं हैं।

“मैं खुश हूं, गर्व है कि मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुआ। दिल्ली हाईकोर्ट में जज बनना भी मेरे लिए एक सपना पूरा होने जैसा था।”


 “अब जज नहीं, सामान्य इंसान बनना चाहता हूं”

खन्ना ने कहा कि उन्हें अब उस 'जज' वाले व्यक्तित्व से छुटकारा चाहिए। यह उनके जीवन का नया अध्याय है।

“मेरे माता-पिता ने सादगी और नैतिकता में जीवन जिया। मेरी मां हिंदी साहित्य की प्रोफेसर थीं। वो चाहती थीं कि मैं वकील न बनूं। उनका मानना था कि सच्चाई से पैसा नहीं कमाया जा सकता। लेकिन आज वो गर्व करतीं कि मैंने सही निर्णय लिया।”


 “यह सुप्रीम कोर्ट है… जहाँ न्याय को घर मिलता है”

विदाई समारोह के अंत में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को याद किया।

“यह जगह सिर्फ एक इमारत नहीं, यह न्याय का घर है। यह वही स्थान है जहाँ न्याय को घर मिलता है।”


तालिका: CJI संजीव खन्ना के न्यायिक जीवन की झलक (हिंदी में)

वर्ष भूमिका संस्था
2004 न्यायाधीश नियुक्ति दिल्ली उच्च न्यायालय
2018 सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भारत का सर्वोच्च न्यायालय
2024 मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त भारत का सर्वोच्च न्यायालय
2025 सेवानिवृत्ति 13 मई 2025
42 वर्ष वकालत + न्यायिक सेवा समर्पित न्यायिक जीवन

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Arpit Shakya नमस्कार! मैं अर्पित शाक्य, INDC Network का मुख्य संपादक हूँ। मेरा उद्देश्य सूचनाओं को जिम्मेदारी और निष्पक्षता के साथ आप तक पहुँचाना है। INDC Network पर मैं स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों को आपकी भाषा में सरल, तथ्यपरक और विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत करता/करती हूँ। पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरा विश्वास है कि हर खबर का सच सामने आना चाहिए, और यही सोच मुझे जनहित से जुड़ी खबरों की तह तक जाने के लिए प्रेरित करती है। चाहे वह गाँव की आवाज़ हो या देश की बड़ी हलचल – मेरा प्रयास रहता है कि आपके सवालों को मंच मिले और जवाब मिलें। मैंने INDC Network को एक ऐसे डिजिटल मंच के रूप में तैयार किया है, जहाँ लोकल मुद्दों से लेकर ग्लोबल घटनाओं तक हर आवाज़ को जगह मिलती है। यहाँ मेरी प्रोफ़ाइल के माध्यम से आप मेरे द्वारा लिखे गए समाचार, लेख, इंटरव्यू और रिपोर्ट्स पढ़ सकते हैं।