"सुप्रीम कोर्ट से विदाई पर बोले CJI: ‘अब जज नहीं, इंसान बनना चाहता हूं’"
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने अपने विदाई भाषण में न्यायपालिका में "सच की कमी" को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के समय में यह गलत धारणा बन गई है कि मुकदमे जीतने के लिए सबूतों में 'पैडिंग' जरूरी है। उन्होंने इसे खतरनाक मानसिकता बताया। 42 वर्षों की अपनी वकालत और न्यायिक सेवा के बाद, CJI खन्ना ने इस जिम्मेदारी से मुक्त होने की इच्छा जताई और कहा कि अब वो ‘जज’ नहीं, आम इंसान के रूप में जीवन की नई शुरुआत करना चाहते हैं।

INDC Network : दिल्ली : CJI संजीव खन्ना का विदाई भाषण: एक गहरी सोच
"सच की कमी" से दुखी: न्याय का संकट
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा आयोजित विदाई समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायपालिका की सबसे बड़ी कमजोरी पर खुलकर बात की — "सच की कमी" (Truth Deficit)।

“एक जज का सबसे बड़ा धर्म है सत्य की खोज। महात्मा गांधी ने भी कहा था – ‘सत्य ही ईश्वर है’। लेकिन आज हम तथ्य छिपाते हुए और गलत बयानी करते हुए केस लड़ते हैं, जो न्याय प्रणाली को कमजोर करता है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसी मानसिकता सिर्फ गलत ही नहीं, बल्कि बेकार भी है, क्योंकि इससे अदालत का काम और कठिन हो जाता है।
42 साल का न्यायिक सफर: कोई पछतावा नहीं
CJI खन्ना ने यह स्पष्ट कहा कि उन्हें अपने 20 वर्षों की न्यायिक सेवा में कोई मिश्रित भावनाएं नहीं हैं।
“मैं खुश हूं, गर्व है कि मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुआ। दिल्ली हाईकोर्ट में जज बनना भी मेरे लिए एक सपना पूरा होने जैसा था।”
“अब जज नहीं, सामान्य इंसान बनना चाहता हूं”
खन्ना ने कहा कि उन्हें अब उस 'जज' वाले व्यक्तित्व से छुटकारा चाहिए। यह उनके जीवन का नया अध्याय है।
“मेरे माता-पिता ने सादगी और नैतिकता में जीवन जिया। मेरी मां हिंदी साहित्य की प्रोफेसर थीं। वो चाहती थीं कि मैं वकील न बनूं। उनका मानना था कि सच्चाई से पैसा नहीं कमाया जा सकता। लेकिन आज वो गर्व करतीं कि मैंने सही निर्णय लिया।”
“यह सुप्रीम कोर्ट है… जहाँ न्याय को घर मिलता है”
विदाई समारोह के अंत में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को याद किया।
“यह जगह सिर्फ एक इमारत नहीं, यह न्याय का घर है। यह वही स्थान है जहाँ न्याय को घर मिलता है।”
तालिका: CJI संजीव खन्ना के न्यायिक जीवन की झलक (हिंदी में)
वर्ष | भूमिका | संस्था |
---|---|---|
2004 | न्यायाधीश नियुक्ति | दिल्ली उच्च न्यायालय |
2018 | सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश | भारत का सर्वोच्च न्यायालय |
2024 | मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त | भारत का सर्वोच्च न्यायालय |
2025 | सेवानिवृत्ति | 13 मई 2025 |
42 वर्ष | वकालत + न्यायिक सेवा | समर्पित न्यायिक जीवन |
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