फर्रुखाबाद में जी.एस. शाक्य ने सम्राट अशोक की धम्म लिपि और बुद्ध वचनों पर चर्चा की।

फर्रुखाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान सम्राट अशोक की धम्म लिपि और पाली भाषा की बारीकियों पर प्रकाश डाला गया। डॉ. जी.एस. शाक्य ने पाली भाषा की संरचना, इसके ऐतिहासिक महत्व और इसे सीखने के आधुनिक तरीकों पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में छात्रों और बौद्ध अनुयायियों ने भाग लिया।

Nov 16, 2024 - 15:55
May 19, 2025 - 18:00
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फर्रुखाबाद में जी.एस. शाक्य ने सम्राट अशोक की धम्म लिपि और बुद्ध वचनों पर चर्चा की।
महावीर इंटर कॉलेज में प्रयागराज बौद्ध कम्यून इंटरनेशनल सम्राट हर्षवर्धन बुद्ध विहार अरैल के प्रबंध निदेशक डॉक्टर जीएस शाक्य सम्राट अशोक की धम्म लिपि को बोर्ड पर समझाते हुए|

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : पाली भाषा के महत्व पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन

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सम्राट अशोक की धम्म लिपि पर ज्ञानवर्धक सत्र
प्रयागराज के सम्राट हर्षवर्धन बुद्ध विहार, अरैल के प्रबंध निदेशक डॉ. जी.एस. शाक्य ने आज महावीर इंटर कॉलेज के सभागार में सम्राट अशोक की धम्म लिपि और पाली भाषा के महत्व पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया। कार्यक्रम में बौद्ध अनुयायियों और छात्रों को पाली भाषा लिखने और पढ़ने की बारीकियों से अवगत कराया गया।

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पाली भाषा की संरचना और अद्वितीयता
डॉ. शाक्य ने बताया कि पाली भाषा में अक्षर, स्वर, व्यंजन और मात्राओं का विशेष महत्व है। उन्होंने समझाया कि पाली भाषा में “प्रज्ञा” शब्द को "पइयां" कहा जाता है। त्र शब्द के स्थान पर “सुत्र” शब्द का प्रयोग होता है, जिसे हिंदी में सूत्र कहा जाता है। भगवान बुद्ध के वचन भी “सुत्र” के रूप में संरक्षित हैं।



डिजिटल माध्यम और पाली भाषा का अभ्यास
अक्षर मावा नामक ऐप का उल्लेख करते हुए डॉ. शाक्य ने बताया कि पाली भाषा को सीखना और पढ़ना डिजिटल माध्यम से भी आसान है। उन्होंने कहा कि थोड़े अभ्यास से पाली भाषा को सरलता से सीखा जा सकता है। पाली भाषा की गिनती और ध्वनियों की अद्वितीयता पर भी चर्चा की गई।


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सम्राट अशोक के शिलालेखों का महत्व
डॉ. शाक्य ने सम्राट अशोक के शिलालेखों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पाली भाषा में विरासत पूरी तरह संरक्षित थी। उन्होंने सांची के शिलालेख और इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित महान सम्राट के शिलालेखों का विशेष उल्लेख किया।


अनुयायियों को प्रेरणा
डॉ. शाक्य ने बौद्ध अनुयायियों को पाली भाषा सीखने और सिखाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "दादा का लिखा पोता को पढ़ना आना चाहिए।" उन्होंने 100 लोगों को पाली भाषा के लिए एकत्रित करने पर खुद उन्हें सिखाने का आश्वासन दिया।



विशिष्ट अतिथि और सहभागिता
कार्यक्रम में कालीचरण शाक्य, शिवकुमार शाक्य, रामौतार शाक्य, विजय शाक्य, महावीर सिंह शाक्य, अवधेश शाक्य, कुलदीप कठेरिया, शिवशरन शाक्य, रामवीर शाक्य, वेदराम शाक्य, देवकीनंदन शाक्य, नरेन्द्र शाक्य, प्रवेश शाक्य, अमन कुशवाहा, सर्वेश शाक्य सहित कई सेवानिवृत्त अधिकारी और छात्र शामिल हुए।


समापन विचार
पाली भाषा के प्रति लोगों की रुचि और इसके महत्व को देखते हुए यह कार्यक्रम अनुयायियों और छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक पहल रही।

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