पूर्णिमा की रात गंगा घाट पर मौत का सन्नाटा: आंधी में पलटे तख्त ने ले ली जान

फर्रुखाबाद के कमालगंज गंगा घाट पर पूर्णिमा की रात एक दर्दनाक हादसे में 56 वर्षीय पुरोहित मनोज मिश्रा की मौत हो गई। तेज आंधी के दौरान तख्त पलटने और लकड़ी के बल्ले के गिरने से वह बुरी तरह दब गए। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। मृतक के सात बच्चे हैं। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।

Apr 13, 2025 - 13:05
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पूर्णिमा की रात गंगा घाट पर मौत का सन्नाटा: आंधी में पलटे तख्त ने ले ली जान

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : फर्रुखाबाद जनपद के कमालगंज क्षेत्र में स्थित गंगा घाट पर शुक्रवार की रात एक हृदयविदारक हादसा घटित हुआ। पूर्णिमा की शांत रात में अचानक आई तेज आंधी ने न केवल घाट की व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया, बल्कि एक अनुभवी पुरोहित की जान भी ले ली। श्रृंगीरामपुर गांव निवासी 56 वर्षीय मनोज कुमार मिश्रा गंगा घाट पर वर्षों से श्रद्धालुओं को पूजा-पाठ कराते आ रहे थे।

शुक्रवार रात करीब 10 बजे वे अन्य पुरोहितों के साथ घाट पर तख्त बिछाकर विश्राम कर रहे थे। पूर्णिमा के कारण घाट पर अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ थी और पूजा-पाठ का क्रम देर रात तक चला। अचानक आई आंधी ने सबको चौंका दिया। देखते ही देखते तेज हवा ने घाट का सामान उड़ाना शुरू कर दिया। इसी बीच एक भारी तख्त, जिस पर मनोज मिश्रा लेटे थे, हवा में उलट गया और वह उनके ऊपर गिर पड़ा। जैसे ही लोग कुछ समझ पाते, तभी एक लकड़ी का मोटा बल्ला भी तेज हवा के साथ उड़कर सीधे मनोज के सिर और चेहरे पर जा गिरा।

इस हादसे में उन्हें गंभीर चोटें आईं और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। अन्य पुरोहितों ने तुरंत उनके परिजनों को सूचना दी। घाट पर चीख-पुकार मच गई। मृतक के चार पुत्र - राजीव, नागेंद्र, अवध और सेवक राम तथा तीन पुत्रियां - अंजली, शिवानी व गीता हैं, जिनका इस घटना के बाद रो-रोकर बुरा हाल है।

पुत्र राजीव कुमार ने बताया कि शनिवार को पूर्णिमा थी, इसलिए उनके पिता घाट पर रात्रि विश्राम को गए थे। वे अक्सर इसी रात को घाट पर रुकते थे ताकि सुबह की पूजा के लिए तैयार रह सकें। घटना की सूचना पर थाना कमालगंज की पुलिस मौके पर पहुंची। प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।

घटना के बाद घाट क्षेत्र में मातम पसरा है और स्थानीय लोग प्रशासन से घाटों पर सुरक्षा इंतजामों की मांग कर रहे हैं। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि प्रकृति की अनियंत्रित शक्तियां कितनी भयावह हो सकती हैं, खासकर जब हम पूरी तरह निःशंक होकर उसके बीच विश्राम कर रहे हों 

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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.