फर्रुखाबाद में लोहे की सीढ़ी में करंट से दो सगे भाइयों की दर्दनाक मौत : लोहे की सीढ़ी ने छीन लिए दो जीवन
फर्रुखाबाद के नवाबगंज थाना क्षेत्र के पुठरी गांव में लोहे की सीढ़ी में करंट दौड़ने से दो सगे भाइयों की मौके पर ही मौत हो गई। 10 वर्षीय ऋतिक भैंस बांधकर लौटते समय करंट की चपेट में आया और उसे बचाने के प्रयास में उसका बड़ा भाई अनुराग भी जान गंवा बैठा। दोनों बच्चों को गंभीर हालत में लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। हादसे के बाद गांव में मातम पसरा है, और परिजनों ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया।

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : लोहे की सीढ़ी में करंट दौड़ा, दो मासूमों की गई जान
फर्रुखाबाद जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत पुठरी गांव में रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया। गांव में एक लोहे की सीढ़ी में अचानक करंट दौड़ गया, जिसकी चपेट में आकर दो सगे भाइयों की मौत हो गई।

भैंस बांधने गया ऋतिक, सीढ़ी छूते ही चिपक गया
10 वर्षीय ऋतिक कुमार रोज की तरह घर के पीछे भैंस बांधने गया था। काम खत्म करने के बाद जब वह वापस लौट रहा था, तो रास्ते में उसने दीवार से सटी लोहे की सीढ़ी को छुआ। उसे शायद अंदाजा नहीं था कि वह सीढ़ी मौत बन चुकी है। सीढ़ी में बिजली का तेज करंट दौड़ रहा था और ऋतिक उसी में चिपक गया।
बचाने दौड़ा अनुराग, खुद भी हो गया शिकार
भाई को तड़पते देख 15 वर्षीय दिव्यांग भाई अनुराग तुरंत उसकी ओर दौड़ा। उसने बिना कुछ सोचे-समझे भाई को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन सीढ़ी में दौड़ रहे करंट ने उसे भी अपनी चपेट में ले लिया। दोनों भाई तड़पते रहे, लेकिन आसपास कोई मौजूद नहीं था।
परिजनों ने लाठी-डंडों से तोड़ा करंट वाला तार
कुछ देर बाद जब बच्चों की चीखें और अजीब हरकतें परिजनों की नजर में आईं, तो वे दौड़े। बिजली का करंट देखकर किसी ने हाथ लगाने की हिम्मत नहीं की। उन्होंने लाठी-डंडों की मदद से बिजली सप्लाई वाले तार को हटाया और दोनों बच्चों को किसी तरह सीढ़ी से अलग किया।
अस्पताल पहुंचते ही टूटी उम्मीदें, डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
परिजन दोनों को गंभीर हालत में लोहिया अस्पताल, फर्रुखाबाद लेकर पहुंचे। लेकिन वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद दोनों को मृत घोषित कर दिया। बच्चों की मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया।
एक पढ़ता था पहली में, दूसरा छठी में
मृतक ऋतिक पहली कक्षा का छात्र था और उसका भाई अनुराग छठी कक्षा में पढ़ता था। अनुराग शारीरिक रूप से दिव्यांग था लेकिन अपने भाई के लिए अपनी जान देने में पीछे नहीं हटा। उनके दो और छोटे भाई अंशुल और आदित्य हैं।
पोस्टमार्टम से इनकार, पुलिस ने की जांच
घटना की सूचना मिलते ही नवाबगंज थानाध्यक्ष विद्यासागर तिवारी मौके पर पहुंचे और पूरी स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने जब पोस्टमार्टम और कानूनी प्रक्रिया की बात की तो परिजनों ने भावुक होकर इससे साफ इनकार कर दिया।
गांव में पसरा मातम, मां रोते हुए बेसुध
जैसे ही बच्चों के शव घर लाए गए, मां रूबी देवी बेसुध हो गईं। पूरे गांव में मातमी सन्नाटा छा गया। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली व्यवस्था और सुरक्षा में भारी लापरवाही की गई है, जिसकी कीमत दो मासूमों की जान से चुकानी पड़ी।
अब सवाल — कब सुधरेगी बिजली व्यवस्था?
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि बिजली विभाग की लापरवाही का एक जिंदा सबूत है। अब सवाल ये है कि कब तक लापरवाही की वजह से मासूम जानें जाती रहेंगी? क्या बिजली विभाग इस दर्दनाक हादसे से कुछ सीखेगा?
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