क्या मायावती और स्वामी प्रसाद मौर्य के रास्ते फिर जुड़ेंगे? जानें पूरी सच्चाई
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में वापसी की अटकलों पर बयान देकर स्पष्ट किया कि वह बसपा में लौटने नहीं जा रहे। उन्होंने मायावती पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि बसपा अब बाबा साहेब आंबेडकर के मिशन से भटक चुकी है। इस बयान के बाद राजनीतिक चर्चाओं का अंत होता दिख रहा है।

INDC Network : उत्तर प्रदेश : स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा में वापसी की अटकलों पर तोड़ी चुप्पी
स्वामी प्रसाद मौर्य, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं, ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में वापसी को लेकर लग रही अटकलों पर एक बयान देकर स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी बसपा में लौटने की कोई योजना नहीं है।
मौर्य का बड़ा बयान
मौर्य ने अपने बयान में कहा, “बहुजन समाज पार्टी बाबा साहेब के मिशन से हट गई तो मैं भी वहां से हट गया। अब वहां जाने की कोई संभावना नहीं है।” यह बयान मायावती के नेतृत्व में चल रही पार्टी पर उनके गहरे असंतोष को दर्शाता है।
क्यों शुरू हुई थीं वापसी की अटकलें?
हाल ही में, राजनीतिक हलकों में यह चर्चा शुरू हो गई थी कि मायावती पुराने नेताओं को वापस बुलाने की कोशिश कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, बसपा के कुछ नेताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात भी की थी। हालांकि, इस पर मौर्य लंबे समय तक चुप्पी साधे रहे।
संदर्भ | तथ्य |
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मायावती की बैठक | पुराने नेताओं को वापस बुलाने पर चर्चा |
बसपा नेताओं से मुलाकात | स्वामी प्रसाद मौर्य और बसपा नेताओं के बीच हाल की बातचीत |
मौर्य का बयान | “अब बसपा में लौटने की कोई संभावना नहीं है।” |
मायावती पर अप्रत्यक्ष हमला
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने बयान में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा पर अप्रत्यक्ष रूप से तंज कसा। उन्होंने संकेत दिए कि बसपा अब बाबा साहेब आंबेडकर के सिद्धांतों पर नहीं चल रही है, जिससे वह पार्टी छोड़ने को मजबूर हुए थे।
मौर्य के राजनीतिक सफर पर एक नजर
स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर बेहद रोचक और बदलावों से भरा रहा है।
पार्टी | कार्यकाल और भूमिका |
बहुजन समाज पार्टी | मायावती के करीबी सिपहसालार, कई वर्षों तक पार्टी का चेहरा रहे। |
भारतीय जनता पार्टी | बसपा छोड़ने के बाद भाजपा जॉइन की। |
समाजवादी पार्टी | भाजपा छोड़ने के बाद सपा में शामिल होकर सियासत जारी रखी। |
अपनी पार्टी | सपा से अलग होने के बाद अपनी नई पार्टी बनाई। |
मौर्य ने विभिन्न दलों में अपनी भूमिका निभाई, लेकिन फिलहाल वह किसी बड़ी पार्टी में सक्रिय नहीं हैं।
मौर्य के बयान का राजनीतिक महत्व
- बाबा साहेब के मिशन के प्रति प्रतिबद्धता: मौर्य ने अपने बयान में साफ किया कि वह बाबा साहेब आंबेडकर के मिशन को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
- मायावती के नेतृत्व पर सवाल: उन्होंने मायावती पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा कि बसपा अब मिशन से भटक चुकी है।
- अटकलों पर विराम: मौर्य के इस बयान से बसपा में उनकी वापसी की सभी अटकलों पर विराम लग गया है।
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