मौत की छलांग: मानसिक रूप से बीमार मां ने दो मासूमों संग लगाई ट्रेन के आगे छलांग
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के पाता रेलवे स्टेशन के पास एक दर्दनाक हादसा हुआ। मानसिक रूप से बीमार एक महिला ने अपने दो मासूम बच्चों के साथ ट्रेन के आगे छलांग लगा दी। इस घटना में चार साल की बेटी दिव्यांशी और डेढ़ साल के बेटे लल्ला की मौत हो गई, जबकि महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। ट्रेन की रफ्तार कम होने के कारण महिला की जान बच गई, लेकिन वह गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है।

INDC Network : औरैया, उत्तर प्रदेश : घटना बुधवार शाम की है, जब दिबियापुर कस्बे के रहने वाले राघवेंद्र सिंह की पत्नी नीतू कुशवाहा (29) अपने दो छोटे बच्चों के साथ घर से निकली थी। राघवेंद्र सिंह एक इलेक्ट्रॉनिक्स व्यापारी हैं और उनके तीन बच्चे थे – सात साल का आरुष, चार साल की दिव्यांशी और डेढ़ साल का लल्ला।
नीतू पिछले एक साल से मानसिक बीमारी से जूझ रही थी। बुधवार शाम वह अचानक बच्चों को लेकर घर से निकल गई। परिजन उनकी तलाश कर रहे थे, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।

फरक्का एक्सप्रेस के सामने लगाई जानलेवा छलांग
रात करीब 8 बजे पाता रेलवे स्टेशन के पूर्वी यार्ड के पास दिल दहला देने वाली घटना घटी। मानसिक रूप से अस्वस्थ नीतू अपने दोनों मासूम बच्चों को लेकर अचानक फरक्का एक्सप्रेस के सामने कूद गई।
ट्रेन की रफ्तार कम थी, इसलिए नीतू बच गई, लेकिन दोनों मासूमों की मौके पर ही मौत हो गई।
ट्रेन रुकने के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने रेलवे अधिकारियों को सूचना दी।
महिला को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज चिचौली में भर्ती कराया गया।
घर में मचा कोहराम, परिजनों को नहीं था अंदाजा
जब महिला की पहचान हुई, तो परिजनों को सूचना दी गई।
खबर मिलते ही घर में मातम पसर गया।
परिजन रो-रोकर बेहाल हो गए।
मृतक बच्चों के पिता राघवेंद्र सिंह और दादा मान सिंह पूरी तरह टूट गए।
महिला के ससुर मान सिंह ने बताया कि नीतू पिछले एक साल से मानसिक बीमारी से ग्रसित थी।
रेलवे पुलिस ने शुरू की जांच, परिजनों के बयान दर्ज
घटना की सूचना मिलते ही रेलवे पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।
मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की गई।
ट्रेन ड्राइवर ने बताया कि ट्रेन की रफ्तार कम थी, इसलिए महिला की जान बच गई।
पुलिस ने कहा कि जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इलाज जारी, परिजनों को न्याय की उम्मीद
गंभीर रूप से घायल महिला नीतू कुशवाहा का मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।
डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
पुलिस भी महिला के ठीक होने का इंतजार कर रही है, ताकि बयान दर्ज किया जा सके।
परिजनों ने महिला को उचित इलाज देने की मांग की है।
समाज के लिए बड़ा सवाल: मानसिक स्वास्थ्य को कब मिलेगा महत्व?
यह घटना एक गहरी सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती है।
मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को सही समय पर इलाज न मिलने के क्या परिणाम हो सकते हैं?
समाज और परिवार मानसिक रोगियों की देखभाल को लेकर कितने जागरूक हैं?
अगर समय रहते महिला का इलाज होता, तो क्या यह हादसा टल सकता था?
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