सरकार के खिलाफ 10 मार्च को लखनऊ में आंदोलन, पुलिस ने आजाद समाज पार्टी के नेताओं को किया नजरबंद
उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। 10 मार्च 2025 को लखनऊ में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने की योजना के चलते प्रदेश सरकार ने पुलिस को अलर्ट कर दिया। पुलिस ने कई नेताओं को नजरबंद कर दिया, वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को चंदौली में रोक दिया गया। विरोध में कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : 10 मार्च 2025 को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के कार्यकर्ताओं द्वारा एक संवैधानिक आंदोलन की योजना बनाई गई थी। इसको लेकर प्रदेश सरकार ने प्रशासन को सतर्क कर दिया और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
भीम आर्मी नेता नितिन गौतम हिरासत में
रविवार सुबह 9:30 बजे, मऊ दरवाजा थाने की पुलिस ने आजाद समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष नितिन कुमार गौतम को बाजार जाते समय हिरासत में ले लिया। इसके बाद उन्हें पहले उनके घर ले जाया गया और फिर बजरिया चौकी में रखा गया। बाद में सोमवार सुबह 10:00 बजे पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया।
चंद्रशेखर आजाद को चंदौली में रोका गया
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को उत्तर प्रदेश पुलिस ने चंदौली में रोक दिया और लखनऊ आंदोलन में शामिल होने से मना कर दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि उन्हें सरकार से आदेश मिला है कि चंद्रशेखर को आगे न बढ़ने दिया जाए। चंद्रशेखर ने इसका विरोध किया और कहा कि वह पार्लियामेंट जा रहे हैं, लेकिन उन्हें जबरन रोका जा रहा है।
प्रदेशभर में नेताओं को नजरबंद किया गया
प्रदेश में कई जिलों में आजाद समाज पार्टी के नेताओं को हाउस अरेस्ट किया गया।
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गुरसहायगंज के SHO ने छविराम जाटव और पवन गौतम को नजरबंद किया।
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फर्रुखाबाद जिला अध्यक्ष और कानपुर मंडल के कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया।
आंदोलन का मुख्य उद्देश्य
आजाद समाज पार्टी का कहना है कि अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार बढ़ रहे हैं। आए दिन हत्याएँ, प्रताड़ना, और भेदभाव के मामले सामने आ रहे हैं। इसी के विरोध में राजधानी लखनऊ में संवैधानिक और लोकतांत्रिक आंदोलन आयोजित किया गया था।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि:
"देशभर में दलित, पिछड़ा, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज पर अत्याचार की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। बहुजन समाज के खिलाफ हमले, हत्याएँ, बलात्कार और जातिगत भेदभाव चिंताजनक हैं।"
उन्होंने इसके साथ एक वीडियो भी जारी किया जिसमें वे प्रदेश सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए दिखे।
देशभर में दलित, पिछड़ा, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज पर अत्याचार की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। बहुजन समाज के खिलाफ हमले, हत्याएँ, बलात्कार और जातिगत भेदभाव के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ते जा रहे हैं।
देशभर में दलित, पिछड़ा, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज पर अत्याचार की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। बहुजन समाज के खिलाफ हमले, हत्याएँ, बलात्कार और जातिगत भेदभाव के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ते जा रहे हैं।
इन्हीं मुद्दों के विरोध में 10 मार्च को संबंधित राज्यों की राजधानियों में… pic.twitter.com/6W9ZL4DgVc — Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) March 10, 2025
राजनीतिक रणनीति या दमन?
प्रदेश सरकार द्वारा किए गए इन प्रतिबंधों को विपक्ष ने लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। क्या यह विपक्ष की आवाज दबाने की रणनीति है या कानून-व्यवस्था बनाए रखने का कदम? यह सवाल अभी भी बहस का विषय बना हुआ है।
पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए प्रमुख नेता
नेता का नाम | स्थान | स्थिति |
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नितिन गौतम | मऊ दरवाजा, फर्रुखाबाद | रिहा |
छविराम जाटव | गुरसहायगंज | नजरबंद |
पवन गौतम | गुरसहायगंज | नजरबंद |
चंद्रशेखर आजाद | चंदौली | पुलिस ने रोका |
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज के मुद्दों को लेकर चल रहा आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। प्रशासन के सख्त कदमों के बावजूद, कार्यकर्ता और नेता अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं। 10 मार्च के इस आंदोलन के प्रभाव को लेकर पूरे प्रदेश में चर्चा बनी हुई है।
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