सांसद मुकेश राजपूत के विवादित बयान पर दलित समाज आक्रोशित, माफी की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन
फर्रुखाबाद लोकसभा सांसद मुकेश राजपूत द्वारा सातनपुर मंडी में आयोजित लोधी सम्मेलन में दिए गए विवादित बयान से दलित समाज में आक्रोश फैल गया है। सांसद ने कथित तौर पर कहा कि जाटव और दलित समाज के लोग सबसे ज्यादा शराब पीते हैं, जिसके कारण त्योहारों और चुनाव के समय उनसे वोट मांगने का मन नहीं करता। इस बयान के विरोध में भीम आर्मी, भारत एकता मिशन और आजाद समाज पार्टी - कांशीराम के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने जिला अधिकारी फर्रुखाबाद को लोकसभा अध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सांसद माफी नहीं मांगते, तो दलित समाज आगामी चुनाव में वोट की चोट से जवाब देगा।

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : सांसद के बयान पर बवाल, दलित समाज ने जताया कड़ा विरोध
30 मार्च को सातनपुर मंडी में लोधी सम्मेलन के दौरान फर्रुखाबाद लोकसभा सांसद मुकेश राजपूत ने अपने समाज के बीच दिए भाषण में कथित तौर पर दलित समाज और जाटव समुदाय को शराबखोरी से जोड़ते हुए आपत्तिजनक बयान दिया। सांसद के इस बयान का वीडियो वायरल होने के बाद दलित समाज में गहरा आक्रोश फैल गया।

सांसद ने कथित तौर पर कहा कि जब भी किसी त्योहार या चुनाव के दौरान दलितों के बीच जाना पड़ता है, तो यह ध्यान रखना पड़ता है कि शाम का समय हो गया है और अधिकांश लोग शराब के नशे में होंगे। इसलिए उनसे वोट मांगने की इच्छा नहीं होती।
लोकसभा अध्यक्ष को ज्ञापन, चेतावनी के साथ माफी की मांग
सांसद के बयान पर भीम आर्मी, भारत एकता मिशन और आजाद समाज पार्टी - कांशीराम के कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने फर्रुखाबाद जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर लोकसभा अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग की।
ज्ञापन में सांसद से अपने बयान को वापस लेने और पूरे दलित समाज से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की गई। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि सांसद ने माफी नहीं मांगी, तो दलित समाज आगामी चुनाव में उन्हें वोट की चोट से सबक सिखाएगा।
राजनीतिक माहौल गर्म, चुनाव पर पड़ेगा असर?
सांसद के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। दलित समाज की नाराजगी से आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है। वहीं, विपक्षी दल इस मुद्दे को तूल देने में जुट गए हैं।
अब देखना होगा कि सांसद मुकेश राजपूत अपने बयान पर सफाई देते हैं या नहीं, और क्या यह मुद्दा चुनावी समीकरणों को प्रभावित करेगा।
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