जातीय जनगणना की चाल: विपक्ष के आगे झुक गयी सरकार, फैसले के बाद अखिलेश का बड़ा बयान

जातीय जनगणना को केंद्र की मंजूरी मिलते ही यूपी की सियासत में भूचाल आ गया है। समाजवादी पार्टी और विपक्ष ने इसे अपनी जीत बताया, तो बीजेपी ने इसे अंबेडकरवादी कदम के रूप में पेश किया। अखिलेश यादव ने इसे 'PDA की जीत' बताया और बीजेपी को निष्पक्षता की चेतावनी दी। 2027 के चुनावों से पहले यूपी में मंडल बनाम कमंडल की पिच तैयार होती दिख रही है। आइए जानते हैं जातीय जनगणना के इस फैसले के सियासी मायने और आगे की रणनीति।

May 2, 2025 - 07:43
May 15, 2025 - 16:35
 0
जातीय जनगणना की चाल: विपक्ष के आगे झुक गयी सरकार, फैसले के बाद अखिलेश का बड़ा बयान

INDC Network : उत्तर प्रदेश : जातीय जनगणना की चाल: विपक्ष के आगे झुक गयी सरकार, फैसले के बाद अखिलेश का बड़ा बयान

Advertisement Banner

जातीय जनगणना की मंजूरी: किसके लिए वरदान, किसके लिए चुनौती?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जातीय जनगणना को हरी झंडी दे दी। इस फैसले ने विपक्ष के एक बड़े मुद्दे को छीनकर राजनीतिक समीकरणों को उलझा दिया है।

INDC Network Poster

बीजेपी ने इस फैसले के जरिए खुद को बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों के करीब बताने की कोशिश की है, तो वहीं विपक्ष इस पर अपनी मोहर लगाने की होड़ में जुट गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फैसले का स्वागत करते हुए पूछा कि सरकार ने 11 साल तक इसका विरोध क्यों किया?


अखिलेश यादव का बड़ा दावा: 'यह हमारी जीत है'

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र के इस फैसले को सपा की जीत करार दिया। उन्होंने कहा:

“जातिगत जनगणना का फैसला PDA की जीत है। यह सरकार हमारे दबाव के चलते मजबूर हुई।”

अखिलेश ने केंद्र को यह भी चेताया कि जनगणना में किसी प्रकार की धांधली को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

“एक ईमानदार जनगणना ही हक दिलवाएगी, जिस पर अभी तक वर्चस्ववादी बैठे थे।”

उन्होंने इसे 'इंडिया की जीत' बताते हुए समाजवादियों की लंबी लड़ाई का नतीजा कहा।


राजनीति में नया मोड़: अखिलेश की आगे की रणनीति क्या?

जातीय जनगणना के मुद्दे को अपने पक्ष में कर चुके अखिलेश यादव अब 2027 की तैयारी में तेजी ला सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, करणी सेना और सांसद रामजी सुमन जैसे मुद्दों को मिलाकर वह मंडल बनाम कमंडल की राजनीति को फिर से हवा देने की तैयारी में हैं।


जातीय जनगणना: कौन क्या कह रहा है

दल / नेता प्रतिक्रिया
बीजेपी सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम, अंबेडकर के सपनों की पूर्ति
कांग्रेस (राहुल गांधी) 11 साल विरोध के बाद अचानक फैसला, सरकार को इसकी टाइमिंग स्पष्ट करनी चाहिए
सपा (अखिलेश यादव) यह PDA की जीत है, सरकार हमारे दबाव में आई, निष्पक्ष जनगणना जरूरी

क्या 2027 में फिर मंडल बनाम कमंडल?

जातीय जनगणना के जरिए अखिलेश यादव एक बार फिर सामाजिक न्याय की राजनीति को केंद्र में ला सकते हैं। मंडल बनाम कमंडल की बहस, जो 1990 के दशक में उफान पर थी, वह अब नए रूप में लौट सकती है। दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक (PDA) समीकरण के सहारे सपा एक बार फिर मैदान में उतरने की तैयारी में है।


निष्कर्ष: सियासी दांव अभी बाकी हैं

जातीय जनगणना की घोषणा भले हो गई हो, लेकिन इससे जुड़े राजनीतिक दांव-पेंच अभी जारी रहेंगे। जहां केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है, वहीं विपक्ष इसे अपने दबाव का नतीजा बता रहा है। अब देखना यह होगा कि यह जनगणना कितनी निष्पक्ष और प्रभावी होती है और 2027 में किसे इसका सबसे बड़ा फायदा मिलता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Arpit Shakya नमस्कार! मैं अर्पित शाक्य, INDC Network का मुख्य संपादक हूँ। मेरा उद्देश्य सूचनाओं को जिम्मेदारी और निष्पक्षता के साथ आप तक पहुँचाना है। INDC Network पर मैं स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों को आपकी भाषा में सरल, तथ्यपरक और विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत करता/करती हूँ। पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरा विश्वास है कि हर खबर का सच सामने आना चाहिए, और यही सोच मुझे जनहित से जुड़ी खबरों की तह तक जाने के लिए प्रेरित करती है। चाहे वह गाँव की आवाज़ हो या देश की बड़ी हलचल – मेरा प्रयास रहता है कि आपके सवालों को मंच मिले और जवाब मिलें। मैंने INDC Network को एक ऐसे डिजिटल मंच के रूप में तैयार किया है, जहाँ लोकल मुद्दों से लेकर ग्लोबल घटनाओं तक हर आवाज़ को जगह मिलती है। यहाँ मेरी प्रोफ़ाइल के माध्यम से आप मेरे द्वारा लिखे गए समाचार, लेख, इंटरव्यू और रिपोर्ट्स पढ़ सकते हैं।